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IGIMS में कोरोना से ज्यादा ब्लैक फंगस से मौत, 2 नए मरीज भी हुए भर्ती

पटना के आईजीआईएमएस में कोरोना से ज्यादा ब्लैक फंगस से मरीज की मौत हुई है. रविवार को 3 मरीज की ब्लैक फंगस से मौत हुई है.

death in patna IGIMS
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Published : Jun 13, 2021, 9:24 PM IST

पटना: आईजीआईएमएस (IGIMS) में डेडीकेटेड अस्पताल बनाकर लगातार ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीजों का इलाज किया जा रहा है. आज संस्थान में 4 मरीजों की मौत हुई है. जिसमें 3 ब्लैक फंगस से ग्रसित थे.

ये भी पढ़ें: बिहार में ब्लैक फंगस महामारी घोषित, कोरोना मरीजों की तरह रखा जाएगा रिकॉर्ड

ब्लैक फंगस के 2 नए मरीज
संस्थान के अधीक्षक मनीष मंडल के अनुसार अभी भी संस्थान में ब्लैक फंगस के 114 मरीज भर्ती हैं. जिसमें 9 कोविड पॉजिटिव हैं और 105 कोविड नेगेटिव हैं. सभी का इलाज यहां डेडीकेटेड डॉक्टरों के टीम द्वारा किया जा रहा है. आज भी संस्थान में ब्लैक फंगस के 2 नए मरीज भर्ती हुए हैं.

227 ऑक्सीजन बेड खाली
आईजीआईएमएस में कोविड वार्ड बनाकर कोविड के भी मरीजों का अलग से इलाज किया जा रहा है. लगातार डॉक्टरों की टीम कोविड अस्पताल में मरीजों का इलाज कर रही है. 163 कोरोना के मरीजों का यहां भी इलाज किया जा रहा है. अभी भी 227 ऑक्सीजन बेड यहां खाली हैं. जबकि आईसीयू और वेंटीलेटर बेड यहां खाली नहीं हैं.

क्या है ब्लैक फंगस
पटना एम्स के उपाधीक्षक डॉ. अनिल कुमार ने बताया है कि ब्लैक फंगस एक फंगल बीमारी है. यह तभी होती है, जब मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर हो जाती है. ब्लैक फंगस शरीर में नाक, मुंह और कटे फटे हिस्से के माध्यम से ही प्रवेश करते हैं. इसके प्रमुख शुरुआती लक्षण नाक से पानी आना और खून निकलना, नाक में काला पपड़ी जमना और आंख में सूजन होना और रोशनी कम होना है.

ये भी पढ़ें: MP के बड़े भाई के बैंक खाते से Cyber Fraud की कोशिश, मुकदमा दर्ज

क्या हैं लक्षण
इस बीमारी के और भी कई लक्षण हो सकते हैं. नाक के अंदर रुकावट, आंखों और गाल का फूलना, नाक के अंदर दिक्कत जैसे कुछ अटक रहा हो, इसके लक्षणों में एक हैं. डॉक्टर्स कहते हैं कि ये संकेत दिखने के तुरंत बाद बायोप्सी कराई जाती है और एंटी-फंगल उपचार शुरू कर दिया जाता है. देश के कई राज्यों में भी इस फंगस की समस्या देखी जा रही है.

तेजी से फैलता है फंगस
इस बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर देखने को मिलता है. इसके कारण आंखों की रोशनी भी चली जाती है. वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी तक गल जाती है. अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो मरीज की मौत हो जाती है.

ये भी पढ़ें: पटना में कड़ी सुरक्षा के बीच 23 थानों के जब्त शराब को किया गया नष्ट

भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक, 'ब्लैक फंगस' एक विशेष तरह का फंगस है. यह फंगस शरीर में बहुत तेजी से फैलता है. यह इंफेक्शन उन लोगों में देखने को मिल रहा है जो कि कोरोना संक्रमित होने से पहले किसी दूसरी बीमारी से ग्रस्त है. इसके अलावा यह उन्हीं लोगों में देखने को मिल रहा है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है.

पटना: आईजीआईएमएस (IGIMS) में डेडीकेटेड अस्पताल बनाकर लगातार ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीजों का इलाज किया जा रहा है. आज संस्थान में 4 मरीजों की मौत हुई है. जिसमें 3 ब्लैक फंगस से ग्रसित थे.

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ब्लैक फंगस के 2 नए मरीज
संस्थान के अधीक्षक मनीष मंडल के अनुसार अभी भी संस्थान में ब्लैक फंगस के 114 मरीज भर्ती हैं. जिसमें 9 कोविड पॉजिटिव हैं और 105 कोविड नेगेटिव हैं. सभी का इलाज यहां डेडीकेटेड डॉक्टरों के टीम द्वारा किया जा रहा है. आज भी संस्थान में ब्लैक फंगस के 2 नए मरीज भर्ती हुए हैं.

227 ऑक्सीजन बेड खाली
आईजीआईएमएस में कोविड वार्ड बनाकर कोविड के भी मरीजों का अलग से इलाज किया जा रहा है. लगातार डॉक्टरों की टीम कोविड अस्पताल में मरीजों का इलाज कर रही है. 163 कोरोना के मरीजों का यहां भी इलाज किया जा रहा है. अभी भी 227 ऑक्सीजन बेड यहां खाली हैं. जबकि आईसीयू और वेंटीलेटर बेड यहां खाली नहीं हैं.

क्या है ब्लैक फंगस
पटना एम्स के उपाधीक्षक डॉ. अनिल कुमार ने बताया है कि ब्लैक फंगस एक फंगल बीमारी है. यह तभी होती है, जब मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर हो जाती है. ब्लैक फंगस शरीर में नाक, मुंह और कटे फटे हिस्से के माध्यम से ही प्रवेश करते हैं. इसके प्रमुख शुरुआती लक्षण नाक से पानी आना और खून निकलना, नाक में काला पपड़ी जमना और आंख में सूजन होना और रोशनी कम होना है.

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क्या हैं लक्षण
इस बीमारी के और भी कई लक्षण हो सकते हैं. नाक के अंदर रुकावट, आंखों और गाल का फूलना, नाक के अंदर दिक्कत जैसे कुछ अटक रहा हो, इसके लक्षणों में एक हैं. डॉक्टर्स कहते हैं कि ये संकेत दिखने के तुरंत बाद बायोप्सी कराई जाती है और एंटी-फंगल उपचार शुरू कर दिया जाता है. देश के कई राज्यों में भी इस फंगस की समस्या देखी जा रही है.

तेजी से फैलता है फंगस
इस बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर देखने को मिलता है. इसके कारण आंखों की रोशनी भी चली जाती है. वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी तक गल जाती है. अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो मरीज की मौत हो जाती है.

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भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक, 'ब्लैक फंगस' एक विशेष तरह का फंगस है. यह फंगस शरीर में बहुत तेजी से फैलता है. यह इंफेक्शन उन लोगों में देखने को मिल रहा है जो कि कोरोना संक्रमित होने से पहले किसी दूसरी बीमारी से ग्रस्त है. इसके अलावा यह उन्हीं लोगों में देखने को मिल रहा है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है.

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