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अशोक पर दिए बयान से घिरे लेखक दया प्रकाश सिन्हा की सफाई- 'नहीं की औरंगजेब से तुलना, बेवजह घसीटा जा रहा'

सम्राट अशोक (Emperor Ashoka The Grate) पर दिए बयान पर नाटककार दया प्रकाश सिन्हा (Daya Prakash Sinha) की ओर से सफाई आई है. उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी सम्राट अशोक और औरंगजेब की तुलना नहीं की. उनकी पुस्तक 2010 से मार्केट में उपलब्ध है. किताब में कहीं भी क्रूर शासक औरंगजेब से सम्राट अशोक की तुलना नहीं की.

नहीं की औरंगजेब से तुलना
लेखक दया प्रकाश सिन्हा की सफाई
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Published : Jan 14, 2022, 8:50 PM IST

पटना: प्रसिद्ध साहित्यकार और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित दया प्रकाश सिन्हा (Daya Prakash Sinha) के नाटक 'सम्राट अशोक' पर जेडीयू ने सियासी भूचाल मचा रखा है. इस मसले को मुद्दा बनाकर जेडीयू के बड़े लीडर बीजेपी पर हमलावर हैं. जेडीयू ने पद्मश्री पुरस्कार और साहित्य अकादमी पुरस्कार वापस लेने की भी मांग सरकार से कर डाली. प्रेशर पॉलिटिक्स का असर ये हुआ कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने लेखक दया प्रकाश सिन्हा पर FIR दर्ज करा दी. हालांकि इस मसले पर अब दया प्रकाश सिन्हा की मीडिया में सफाई आई है. उन्होंने कहा कि 10 साल पहले 'सम्राट अशोक' नाम से नाटक लिखा था. उसमें दूर दूर तक औरंगजेब से कोई वास्ता नहीं. किताब मार्केट में है कोई भी पढ़ सकता है.

ये भी पढ़ें- औरंगजेब की तुलना सम्राट अशोक से की, विवाद बढ़ते ही लेखक के खिलाफ मामला दर्ज

हाल ही में एक अखबार को दिए इंटरव्यू में दया प्रकाश सिन्हा ने सफाई देते हुए कहा कि सम्राट अशोक और औरंगजेब के बीच तुलना नहीं हो सकती. पूरी दुनिया में अशोक को महान मानती है. डीपी सिन्हा ने कहा कि सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया लेकिन किसी दूसरे पर थोपने का काम नहीं किया. अशोक सभी धर्मो को समान भाव से देखते थे. तत्कालीन शिलालेखों में इस बात का प्रमाण भी मिलता है. उस समय बौद्ध श्रमण को जो सम्मान मिलता था उतना ही सम्मान वैदिक ब्राह्मणों को भी देने का आदेश था. दूसरी ओर औरंगजेब कट्टर था, जबकि अशोक सभी धर्मों का समान भाव से आदर करते थे.

ये भी पढ़ें- सम्राट अशोक और औरंगजेब की तुलना पर बिहार में सियासी घमासान

दया प्रकाश सिन्हा ने साफ किया कि उनकी बात को गलत तरीके से उछालकर उन्हे बेवजह विवाद में घसीटा गया. कहीं गलतफहमी हुई है तो वो उसे दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. डीपी सिन्हा ने बीजेपी से संबंधों पर भी सफाई दी और कहा कि वो 2010 से बीजेपी से अलग हैं उनका बीजेपी से कोई संबंध नहीं.

ये भी पढ़ें- सम्राट अशोक और औरंगजेब की तुलना पर राजनीति ऐसी गरमायी कि नेताओं ने उनकी जाति भी ढूंढ ली

गौरतलब है कि दया प्रकाश सिन्हा पर आरोप है कि उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि सम्राट अशोक पर नाटक लिखने के दौरान उन्होंने रिसर्च किया था. श्रीलंका के कई बौद्ध धर्म ग्रंथों का हवाला देकर उन्होंने कहा था कि तब उन्हें आश्चर्य हुआ कि अशोक और मुगल शासक औरंगजेब के चरित्र में समानता है. दोनों ने ही अपने शुरुआती शासनकाल में पाप किए थे. फिर इसे छिपाने के लिए अतिधार्मिकता का लबादा ओढ़ लिया. दोनों ने अपने भाई की हत्या कराई थी और पिता को जेल में डाल दिया था. दोनों ही कुरूप थे. दया प्रकाश सिन्हा के इसी इंटरव्यू के बाद से जेडीयू हमलावर है. बीजेपी और जेडीयू आमने सामने है. जेडीयू के हमलावर तेवर को देखकर बीजेपी ने लेखक दया प्रकाश सिन्हा पर पटना के कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी.

ये भी पढ़ें- सम्राट अशोक के खिलाफ टिप्पणी को लेकर सियासत गर्म, लेखक दया प्रकाश सिन्हा का फूंका पुतला

FIR दर्ज होने के बाद भी जेडीयू और बीजेपी की बयानबाजी थमी नहीं है. जेडीयू नेता उपेन्द्र कुशवाहा अब भी दर्ज प्राथिमिकी को आईवॉश बता रहे हैं. हालांकि दया प्रकाश सिन्हा की सफाई के बाद एक बात साफ है कि उन्होंने अपने नाटक सम्राट अशोक में कहीं भी औरंगजेब से तुलना नहीं की है. फिर सवाल उठता है कि इस मामले को क्यों इतना तूल दिया गया? और बिहार में सम्राट अशोक के बहाने प्रदर्शन किया गया ?

ये भी पढ़ें- सम्राट अशोक पर BJP नेता के विवादित बयान पर बोले ललन सिंह- 'ऐसे व्यक्ति का वापस लें पद्मश्री'

ये भी पढ़ें- बीजेपी नेता के सम्राट अशोक को लेकर दिए बयान पर भड़के जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा, कहा- पार्टी करे कार्रवाई

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हाल ही में एक अखबार को दिए इंटरव्यू में दया प्रकाश सिन्हा ने सफाई देते हुए कहा कि सम्राट अशोक और औरंगजेब के बीच तुलना नहीं हो सकती. पूरी दुनिया में अशोक को महान मानती है. डीपी सिन्हा ने कहा कि सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया लेकिन किसी दूसरे पर थोपने का काम नहीं किया. अशोक सभी धर्मो को समान भाव से देखते थे. तत्कालीन शिलालेखों में इस बात का प्रमाण भी मिलता है. उस समय बौद्ध श्रमण को जो सम्मान मिलता था उतना ही सम्मान वैदिक ब्राह्मणों को भी देने का आदेश था. दूसरी ओर औरंगजेब कट्टर था, जबकि अशोक सभी धर्मों का समान भाव से आदर करते थे.

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दया प्रकाश सिन्हा ने साफ किया कि उनकी बात को गलत तरीके से उछालकर उन्हे बेवजह विवाद में घसीटा गया. कहीं गलतफहमी हुई है तो वो उसे दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. डीपी सिन्हा ने बीजेपी से संबंधों पर भी सफाई दी और कहा कि वो 2010 से बीजेपी से अलग हैं उनका बीजेपी से कोई संबंध नहीं.

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