पटना: बिहार की राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी में राष्ट्रीय बालिका दिवस पर गांव की बेटियों ने आत्मनिर्भर बनने का संकल्प (Daughters took pledge to become self dependent ) लिया. बेटियों ने कहा कि हम परिवार पर बोझ नहीं, आत्मनिर्भर बनेंगे. हम आगे चलकर अपने परिवार और समाज का नाम बढ़ाएंगे. आज जहां पूरे देशभर में बालिका दिवस पर कई कार्यक्रम हो रहे हैं. वहीं पटना के ग्रामीण इलाकों में गांव की बेटियां आत्मनिर्भर बनने का संकल्प लेकर बदलाव की नई बयार बहाने की बात करती दिखीं.
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परिवार के लिए बोझ नहीं, आत्मनिर्भर बनने का संकल्प: राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली गांव की बेटियों ने खुद को परिवार का बोझ नहीं बनाने का संकल्प लिया. संकल्प लेने वाली छात्राओं में वैसी बेटियां भी शामिल थीं, जिनके माता-पिता ने कभी स्कूल में पढ़ाई नहीं की है. मजदूरी कर परिवार चलाते हैं. वैसे घरों की बेटिया आज गांव से चलकर शहर के सरकारी स्कूल में पढ़ने ज रही हैं. उन्होंने आज संकल्प लिया है कि बेटियां बोझ नहीं हैं. आगे चलकर कुछ काम करेंगी.
अपने बूते आगे बढ़ना चाहती हैं बेटियांः एक तरफ जहां सरकार महिला सशक्तीकरण और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के तहत कई कार्यक्रम कर रही हैं. वहीं गांव की यह बेटियां अपने बूते पर अब आगे बढ़ने की बात रही हैं. साक्षरता दर भले ही बढ़ी हो, लेकिन आज भी कई ऐसे परिवार हैं, जिनके परिवार में पीढ़ियों से कोई स्कूल नहीं गया. अब उन घरों की बेटियां जीवन में बदलाव लाने के दृढ़ निश्चय के साथ आत्मनिर्भर बनने का संकल्प लिया.
कोई डाॅक्टर तो कोई पुलिस अधिकारी बनना चाहताः बालिका दिवस के दिन किसी बेटी ने बड़ी होकर डॉक्टर बनना चाहती है, तो कोई पुलिस अधिकारी बनकर देवा देश की सेवा करना चाहती हैं. वहीं कोई इंजीनियर, तो कुछ शिक्षक और लेखक बनकर अपने माता-पिता परिवार और समाज का नाम बढ़ाना चाहती है. राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर मसौढ़ी में गांव की जिन बेटियों ने आत्मनिर्भर बनने का संकल्प लिया है, उसमें खुशी कुमारी, प्रगति, शिवानी, स्वीटी, रानी आदि के नाम शामिल हैं.
"बेटियां बोझ नहीं होती है. बालिका दिवस दिन हमलोग शपथ लेते हैं कि जीवन में हमलोग कुछ करके दिखाएंगे"-खुशी कुमारी, छात्रा,मसौढ़ी
"मैं लेखिका बनना चाहता हूं. लेखिका बनकर अच्छी चीजें लिखूंगी और लोगों के बीच शिक्षा का दीप जलाऊंगी और अपने घर और परिवार का नाम रोशन करूंगी. मेरा यही संकल्प है"- रुचि कुमारी, छात्रा, मसौढ़ी
"हर कोई अपनी जिंदगी में सफलता चाहता है और कुछ न कुछ बनना चाहता है. मैं भी बड़ी होकर आईएसएस बनना चाहती हूं और देश की और समाज की सेवा करना चाहती हूं. आज मैं आईएएस बनने का संकल्प लेती हूं"-लाडो प्रवीण छात्रा, मसौढ़ी
क्या कहती है बेटियां: दर्जी का दुकान चलाने वाले मोहम्मद कलाम की बेटी लाडो परवीन ने कहा कि मैं डॉक्टर बनकर अपने परिवार और समाज की सेवा करूंगी. इसी तरह से मोची का काम करने वाले संजय कुमार की बेटी प्रगति कुमारी ने कहा कि मैं समाज में शिक्षक बनकर एक नई पहचान बनाऊंगी. उसी तरह खुशी कुमारी, शिल्पी कुमारी, रागिनी कुमारी ने भी आत्मनिर्भर बनने का संकल्प लिया है.
"बालिका दिवस के अवसर पर सभी को बधाई देते हैं और सभी से अपील करते हैं कि लड़कियों को आगे बढ़ाने में योगदान करें"-अनिल कुमार सिन्हा
एसडीएम, मसौढ़ी