पटना: दरभंगा पार्सल ब्लास्ट (Darbhanga Parcel Blast) मामले में सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गिरफ्तार आतंकी नासिर ने एनआईए (NIA) की पूछताछ के दौरान बड़ा खुलासा किया है. आतंकियों की साजिश पूरी ट्रेन को उड़ाने की थी. आतंकी अपने मंसूबे में कामयाब होते तो तेज रफ्तार से दौड़ रही सिकंदराबाद-दरभंगा स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेन धधक उठती. इसमें न जाने कितने यात्रियों की जान जाती.
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एक चूक से बची सैकड़ों की जान
आतंकियों ने नाइट्रिक एसिड और सल्फ्यूरिक एसिड की मदद से आईईडी बनाया था. प्लान था कि कपड़े के बंडल में रखे गए आईईडी में विस्फोट हो और पूरी ट्रेन में आग लग जाए. आतंकियों से आईईडी बनाते वक्त एक चूक हो गई, जिसकी वजह से ट्रेन में सवार सैकड़ों यात्रियों की जान बच गई. अगर गलती नहीं होती तो आतंकियों की साजिश के अनुसार हैदराबाद से 120 किलोमीटर दूर काजीपेट और रामागुंडम स्टेशन के बीच धमाका होता.
केमिकल के मिश्रण में हुई देर
आतंकियों ने शीशी में नाइट्रिक एसिड और सल्फ्यूरिक एसिड रखा था. दोनों एसिड के मिलने के बाद ही धमाका होना था. नाइट्रिक एसिड और सल्फ्यूरिक एसिड के पार्टिशन के बीच एक मोटी परत का कागज रखना था. दोनों एसिड पेपर को जलाता और फिर दोनों एसिड के मिलने के बाद जोरदार धमाका होता. कपड़ों के बंडल में आग लगती और पूरी ट्रेन धधक उठती. बहरहाल, आतंकियों ने कागज की जगह हार्ड बोर्ड रख दिया. इसके चलते दोनों केमिकल के मिलने में देर हुई और चलती ट्रेन में ब्लास्ट नहीं हो सका.
आईजीआईएमएस में हुई आतंकियों की कोरोना जांच
दूसरी ओर पटना के आईजीआईएमएस (IGIMS) में कोरोना जांच के लिए पहुंचे दोनों आतंकियों में से एक सलीम का इलाज यूरिन संबंधी परेशानी आने पर किया गया. आईजीआईएमएस के अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि फिलहाल सलीम को कैथेटर लगा दिया गया है. सलीम पूरी तरह से मेडिकल फिट है. वह यात्रा कर सकता है. थोड़ी देर में उसे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा.
हैदराबाद से किया गया था गिरफ्तार
गौरतलब है कि एनआईए ने नासिर मलिक और इमरान मलिक को हैदराबाद से गिरफ्तार किया था. दोनों को शुक्रवार को एनआईए कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने दोनों को सात दिन के रिमांड पर एनआईए को सौंपा था. बताया जा रहा है कि दोनों सगे भाई हैं. पूर्व में सिमी के लिए काम कर चुके हैं. इसके लिए करोड़ों की फंडिंग आईएसआईएस (ISIS) द्वारा की गई थी. इस मामले में शामली के कुछ नामी लेडीज सूट कारोबारी NIA के रडार पर हैं.
दो भाइयों को दी गई थी जिम्मेवारी
रडार पर आए लेडीज सूट कारोबारी कासिम उर्फ कफील और सलीम उर्फ टुइया से NIA और ATS की टीम ने पूछताछ की थी. पूछताछ के दौरान कासिम और सलीम ने कई खुलासे किए थे. जानकारी के अनुसार, कैराना से गिरफ्तार सलीम पाकिस्तान के इकबाल काना के संपर्क में था. सूत्र बताते हैं कि दरभंगा ब्लास्ट कराने की जिम्मेदारी आईएसआईएस (ISIS) से सलीम को मिली थी.
पाकिस्तान के आकाओं के निर्देश पर उठाते रहे कदम
NIA की जांच टीम द्वारा अपराध स्थल का दौरा करने और महत्वपूर्ण इनपुट लेने के बाद आरोपियों को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया था. आरोपी व्यक्तियों की प्रारंभिक जांच हुई. जांच में वे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए पाए गए. आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने और जान-माल को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने के लिए ये लोग साजिश रच रहे थे. लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तान स्थित आकाओं के निर्देशों पर इन दोनों ने काम किया था.
गुप्त रूप से साधता था लश्कर-ए-तैयबा से संपर्क
जानकारी के अनुसार, गिरफ्तार आरोपी मोहम्मद नासिर खान और उसके भाई इमरान मलिक ने आग लगाने वाला आईईडी बनाया था और उसे कपड़े के एक पार्सल में पैक किया था. पार्सल को सिकंदराबाद से दरभंगा तक लंबी दूरी की ट्रेन में बुक किया गया. इसका उद्देश्य चलती हुई यात्री ट्रेन में विस्फोट कराना और आग लगाना था, जिससे जान-माल का भारी नुकसान होता. गिरफ्तार आरोपी मोहम्मद नासिर मलिक 2012 में पाकिस्तान गया था. उसने स्थानीय रूप से उपलब्ध रसायनों से आईईडी बनाने में लश्कर के संचालकों से प्रशिक्षण लिया था. वह अपने भाई इमरान के साथ एन्क्रिप्टेड कम्यूनिकेशन प्लेटफॉर्मों पर लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तान स्थित आकाओं के संपर्क में था.
पुणे एफएसएल की टीम करेगी जांच
दरभंगा ब्लास्ट मामले में भेजे गए सैंपल की जांच कोलकाता एफएसएल में पुणे एफएसएल की टीम करेगी. इधर, इस ब्लास्ट के तार जिन क्षेत्रों में जुड़ रहे हैं, उन सभी क्षेत्रों के संगठनों की हिस्ट्री खंगाली जा रही है. एनआईए के विशेष सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार दरभंगा ब्लास्ट मामले में एनआईए के द्वारा उच्चस्तर पर जांच शुरू कर दी गई थी.
17 जून को हुआ था धमाका
बता दें कि 17 जून को दरभंगा स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर ट्रेन से पार्सल उतारने के क्रम में ब्लास्ट हो गया था. इसके बाद से ही हमले के आतंकी कनेक्शन को खंगाले जाने लगे थे. अब तक इस मामले में यूपी एटीएस ने शामली से दो संदिग्ध (पिता-पुत्र) को गिरफ्तार किया था. वहीं, आईएसआईएस के लिए काम करने वाले एक शख्स को तेलंगाना एटीएस ने गिरफ्तार किया था. फिलहाल एनआईए इस पूरे मामले की जांच कर रही है.
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