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लोजपा में टूट से उलझी बिहार की दलित राजनीति, महागठबंधन दे रहा चिराग को ऑफर

बिहार में 16 फीसदी वोट दलितों का है. इसमें लगभग 6 फीसदी वोट पासवान जाति का है. पारंपरिक तौर पर लोजपा के साथ पासवान वोट बैंक माना जाता है. रामविलास पासवान के निधन और पार्टी में टूट के बाद अब पासवान किसके साथ जाएंगे यह बड़ा सवाल है?

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दलित राजनीति
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Published : Jun 17, 2021, 8:41 PM IST

पटना: चिराग पासवान (Chirag Paswan) और पशुपति पारस (Pashupati Paras) के बीच विवाद के चलते बिहार में दलित राजनीति (Dalit Politics) उलझ गई है. महागठबंधन की ओर से जहां चिराग को ऑफर मिल रहा है. वहीं, पारस की नजदीकियां जदयू से है. पूरे प्रकरण में भाजपा पशोपेश में दिख रही है.

यह भी पढ़ें- प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोले पशुपति पारस- 'भतीजा तानाशाह हो जाए तो चाचा क्या करेगा'

भंवर में दलित राजनीति
विधानसभा चुनाव के बाद एक बार फिर बिहार का सियासी पारा चढ़ गया है. लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) दो फाड़ हो चुकी है. चिराग पासवान के नेतृत्व के खिलाफ पशुपति पारस की अगुवाई में 5 सांसदों ने बगावत कर दिया. गुरुवार को लोजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पशुपति पारस को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया. अब चिराग के अगले दांव का इंतजार है.

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ईटीवी भारत इन्फोग्राफिक्स

बिहार में 16 फीसदी है दलित वोट
बिहार में 16 फीसदी वोट दलितों का है. इसमें लगभग 6 फीसदी वोट पासवान जाति का है. पारंपरिक तौर पर लोजपा के साथ पासवान वोट बैंक माना जाता है. रामविलास पासवान के निधन और पार्टी में टूट के बाद अब पासवान किसके साथ जाएंगे यह बड़ा सवाल है? लोजपा में टूट से बिहार की दलित राजनीति उलझती दिख रही है.

वेट एंड वाच की स्थिति में है भाजपा
पशुपति पारस पर जदयू डोरे डाल रहा है. वहीं, चिराग पासवान को महागठबंधन की ओर से ऑफर मिल रहे हैं. इस मामले में भाजपा वेट एंड वाच की स्थिति में है. भाजपा नहीं चाहती कि लोजपा के किसी गुट की नजदीकी महागठबंधन से बढ़े. पार्टी दलित वोट बैंक में सेंधमारी का जोखिम उठाना नहीं चाहती. इसलिए बीजेपी चिराग पासवान और पशुपति पारस विवाद में फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है. भाजपा का मानना है कि लोजपा केंद्र में एनडीए का हिस्सा है.

भाजपा प्रवक्ता अखिलेश सिंह

चिराग के साथ हो रहा अन्याय
"लोजपा में विवाद खड़ा होने से दलित राजनीति थोड़ी कमजोर पड़ी है. हम दलितों के हक का मुद्दा उठाते रहेंगे."- दानिश रिजवान, प्रवक्ता, हम

हम प्रवक्ता दानिश रिजवान

"भाजपा और जदयू ने मिलकर लोजपा का यह हाल किया है. रामविलास पासवान लंबे समय तक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा रहे हैं. उनके बेटे के साथ अन्याय किया जा रहा है."- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता, राजद

राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी

सुलझे हुए राजनीतिज्ञ हैं चिराग
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार ने कहा, "चिराग पासवान पर जरूर डोरे डाले जा रहे हैं, लेकिन वह सुलझे हुए राजनीतिज्ञ हैं. वह जल्दबाजी में फैसला नहीं लेंगे. भाजपा पूरे मसले पर सोच-विचार के बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचेगी. महागठबंधन की दो बड़ी पार्टियां चिराग को साथ लाने की कोशिश कर रही है.

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार

"BJP ने विधानसभा चुनाव में जदयू के खिलाफ चिराग का इस्तेमाल किया. अब बीजेपी ने हाथ खींचकर उन्हें अकेला छोड़ दिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बीजेपी ने नीतीश कुमार के लिए चिराग से किनारा कर लिया?"- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

यह भी पढ़ें- लोजपा सांसद को हनी ट्रैप में फंसाया, मांगे 1 करोड़ रुपये

पटना: चिराग पासवान (Chirag Paswan) और पशुपति पारस (Pashupati Paras) के बीच विवाद के चलते बिहार में दलित राजनीति (Dalit Politics) उलझ गई है. महागठबंधन की ओर से जहां चिराग को ऑफर मिल रहा है. वहीं, पारस की नजदीकियां जदयू से है. पूरे प्रकरण में भाजपा पशोपेश में दिख रही है.

यह भी पढ़ें- प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोले पशुपति पारस- 'भतीजा तानाशाह हो जाए तो चाचा क्या करेगा'

भंवर में दलित राजनीति
विधानसभा चुनाव के बाद एक बार फिर बिहार का सियासी पारा चढ़ गया है. लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) दो फाड़ हो चुकी है. चिराग पासवान के नेतृत्व के खिलाफ पशुपति पारस की अगुवाई में 5 सांसदों ने बगावत कर दिया. गुरुवार को लोजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पशुपति पारस को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया. अब चिराग के अगले दांव का इंतजार है.

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ईटीवी भारत इन्फोग्राफिक्स

बिहार में 16 फीसदी है दलित वोट
बिहार में 16 फीसदी वोट दलितों का है. इसमें लगभग 6 फीसदी वोट पासवान जाति का है. पारंपरिक तौर पर लोजपा के साथ पासवान वोट बैंक माना जाता है. रामविलास पासवान के निधन और पार्टी में टूट के बाद अब पासवान किसके साथ जाएंगे यह बड़ा सवाल है? लोजपा में टूट से बिहार की दलित राजनीति उलझती दिख रही है.

वेट एंड वाच की स्थिति में है भाजपा
पशुपति पारस पर जदयू डोरे डाल रहा है. वहीं, चिराग पासवान को महागठबंधन की ओर से ऑफर मिल रहे हैं. इस मामले में भाजपा वेट एंड वाच की स्थिति में है. भाजपा नहीं चाहती कि लोजपा के किसी गुट की नजदीकी महागठबंधन से बढ़े. पार्टी दलित वोट बैंक में सेंधमारी का जोखिम उठाना नहीं चाहती. इसलिए बीजेपी चिराग पासवान और पशुपति पारस विवाद में फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है. भाजपा का मानना है कि लोजपा केंद्र में एनडीए का हिस्सा है.

भाजपा प्रवक्ता अखिलेश सिंह

चिराग के साथ हो रहा अन्याय
"लोजपा में विवाद खड़ा होने से दलित राजनीति थोड़ी कमजोर पड़ी है. हम दलितों के हक का मुद्दा उठाते रहेंगे."- दानिश रिजवान, प्रवक्ता, हम

हम प्रवक्ता दानिश रिजवान

"भाजपा और जदयू ने मिलकर लोजपा का यह हाल किया है. रामविलास पासवान लंबे समय तक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा रहे हैं. उनके बेटे के साथ अन्याय किया जा रहा है."- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता, राजद

राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी

सुलझे हुए राजनीतिज्ञ हैं चिराग
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार ने कहा, "चिराग पासवान पर जरूर डोरे डाले जा रहे हैं, लेकिन वह सुलझे हुए राजनीतिज्ञ हैं. वह जल्दबाजी में फैसला नहीं लेंगे. भाजपा पूरे मसले पर सोच-विचार के बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचेगी. महागठबंधन की दो बड़ी पार्टियां चिराग को साथ लाने की कोशिश कर रही है.

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार

"BJP ने विधानसभा चुनाव में जदयू के खिलाफ चिराग का इस्तेमाल किया. अब बीजेपी ने हाथ खींचकर उन्हें अकेला छोड़ दिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बीजेपी ने नीतीश कुमार के लिए चिराग से किनारा कर लिया?"- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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