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बिहार में लॉकडाउन के दौरान 200 से 300 प्रतिशत बढ़ा साइबर क्राइम

लॉकडाउन में बिहार में सबसे ज्यादा साइबर अपराध का ग्राफ बढ़ा है. आर्थिक अपराध इकाई के मुताबिक लोगों की ओर से ओटीपी, सार्वजनिक जगहों पर फोन चार्ज या किसी अन-ऑथोराइज्ड लिंक पर क्लिक करने से पैसे निकले हैं.

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Published : Jun 15, 2020, 6:08 PM IST

Updated : Jun 15, 2020, 7:20 PM IST

पटना: सरकार एक तरफ जहां आम लोगों को डिजिटल पेमेंट से जोड़ने की बात कर रही है. लेकिन बिहार में बढ़ते साइबर अपराध के कारण लोग सहमे हैं. खासकर कोरोना के संक्रमण के दौरान साइबर क्राइम के ग्राफ में 200 से 300 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. कारण ये भी है कि लॉकडाउन में आम जनता अपने घर से ही डिजिटल के माध्यम से पेमेंट कर रही थी.

आर्थिक अपराध इकाई के एसपी प्रांतोष दास की मानें तो लॉकडाउन के दौरान साइबर फ्रॉड का मामला सबसे ज्यादा आया है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में साइबर अपराधियों ने अपना दायरा बढ़ा दिया है. एसपी ने बताया कि पटना में 22 मार्च के बाद से अभी तक 2 दर्जन से अधिक मामले सामने आए हैं. कोई कोरोना राहत के नाम पर ठगी का प्रयास कर रहा है तो कोई कैश-बैक के नाम पर. तेजी से बढ़ रही घटनाओं में पुलिस भी अपने स्तर से अपराधियों को खोजने का प्रयास कर रही है.

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आर्थिक अपराध इकाई, पटना

लॉकडाउन में बढ़ा साइबर अपराध
आर्थिक अपराध इकाई के एसपी प्रांतोष दास ने बताया कि सामान्य दिनों के मुताबिक लॉकडाउन में सबसे ज्यादा साइबर फ्रॉड के मामले में बढोतरी हुई है. उन्होंने कहा कि साइबर अपराध से जुड़े मामले में दो तरह से मामला दर्ज करवाया जाता है. पहला (cybercrime.gov.in) पर जिसके बारे में तकरीबन 58% पुलिसकर्मी और आम जनता को नहीं पता होता है. वहीं, दूसरा थाने स्तर से मामला दर्ज किया जाता है. लेकिन ज्यादातर लोगों का मामला ही दर्ज नहीं हो पाता है.

नए-नए हथकंडे अपना रहे अपराधी

एसपी प्रांतोष दास ने आगे कहा कि इन दिनों साइबर अपराधी नए-नए तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. ज्यादातर मामले ओटीपी, फर्जी लिंक पर क्लिक कर कर या मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट (हनी पॉट) भी कहते हैं. उस माध्यम से साइबर अपराधी आम जनता को ठग रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

जानिए क्या है आंकड़ा?
प्रांतोष दास ने आगे बताया कि नवंबर 2019 में कुल 36 मामले दर्ज हुए थे. दिसंबर में 22, जनवरी में 30, फरवरी में 45 और लॉकडाउन के दौरान मार्च 2020 में कुल 65 मामले सामने आए हैं. इसके अलावा अप्रैल में 103 और मई में 90 केस दर्ज हुए हैं. जिन पर कार्रवाई हो जारी है. आर्थिक अपराध इकाई के मुताबिक 1 मार्च 2019 से 31 मार्च 2020 तक के कुल 332 मामले दर्ज हुए. जिसमें से 264 मामले का निष्पादन हो चुका है. वहीं, 68 मामलों में जांच चल रही है. एसपी ने कहा कि फेसबुक से जुड़े 47 मामले आए थे. इसके अलावा एटीएम फ्रॉड से जुड़े मामले 199 और ईमेल से जुड़े 6 मामले और अन्य कुल 80 केस सामने आए.

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अरुण कुमार, पीड़ित

SP की जनता से अपील
इस दौरान एसपी प्रांतोष दास ने आम जनता से अपील की कि कोई भी बैंक या कोई भी संस्था अपने ग्राहकों से ओटीपी या लिंक के माध्यम से जोड़ने को नहीं कहता है. उन्होंने कहा कि साइबर अपराधी इसी का फायदा उठाकर आम जनता को ठगते हैं. इसके अलावा उन्होंने सार्वजनिक जगहों पर फोन चार्ज नहीं करने की नसीहत दी है.

साइबर फ्रॉड पीड़ित की शिकायत
साइबर फ्रॉड के शिकार हुए अरुण कुमार ने बताया कि उनके खाते से दो बार पैसा निकाला गया है. उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने कई दफा पुलिस कंप्लेन भी की. लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. पीड़ित अरुण ने बताया कि 6 महीने बीत गए हैं. लेकिन उनका पैसा वापस नहीं आया है.

पटना: सरकार एक तरफ जहां आम लोगों को डिजिटल पेमेंट से जोड़ने की बात कर रही है. लेकिन बिहार में बढ़ते साइबर अपराध के कारण लोग सहमे हैं. खासकर कोरोना के संक्रमण के दौरान साइबर क्राइम के ग्राफ में 200 से 300 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. कारण ये भी है कि लॉकडाउन में आम जनता अपने घर से ही डिजिटल के माध्यम से पेमेंट कर रही थी.

आर्थिक अपराध इकाई के एसपी प्रांतोष दास की मानें तो लॉकडाउन के दौरान साइबर फ्रॉड का मामला सबसे ज्यादा आया है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में साइबर अपराधियों ने अपना दायरा बढ़ा दिया है. एसपी ने बताया कि पटना में 22 मार्च के बाद से अभी तक 2 दर्जन से अधिक मामले सामने आए हैं. कोई कोरोना राहत के नाम पर ठगी का प्रयास कर रहा है तो कोई कैश-बैक के नाम पर. तेजी से बढ़ रही घटनाओं में पुलिस भी अपने स्तर से अपराधियों को खोजने का प्रयास कर रही है.

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आर्थिक अपराध इकाई, पटना

लॉकडाउन में बढ़ा साइबर अपराध
आर्थिक अपराध इकाई के एसपी प्रांतोष दास ने बताया कि सामान्य दिनों के मुताबिक लॉकडाउन में सबसे ज्यादा साइबर फ्रॉड के मामले में बढोतरी हुई है. उन्होंने कहा कि साइबर अपराध से जुड़े मामले में दो तरह से मामला दर्ज करवाया जाता है. पहला (cybercrime.gov.in) पर जिसके बारे में तकरीबन 58% पुलिसकर्मी और आम जनता को नहीं पता होता है. वहीं, दूसरा थाने स्तर से मामला दर्ज किया जाता है. लेकिन ज्यादातर लोगों का मामला ही दर्ज नहीं हो पाता है.

नए-नए हथकंडे अपना रहे अपराधी

एसपी प्रांतोष दास ने आगे कहा कि इन दिनों साइबर अपराधी नए-नए तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. ज्यादातर मामले ओटीपी, फर्जी लिंक पर क्लिक कर कर या मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट (हनी पॉट) भी कहते हैं. उस माध्यम से साइबर अपराधी आम जनता को ठग रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

जानिए क्या है आंकड़ा?
प्रांतोष दास ने आगे बताया कि नवंबर 2019 में कुल 36 मामले दर्ज हुए थे. दिसंबर में 22, जनवरी में 30, फरवरी में 45 और लॉकडाउन के दौरान मार्च 2020 में कुल 65 मामले सामने आए हैं. इसके अलावा अप्रैल में 103 और मई में 90 केस दर्ज हुए हैं. जिन पर कार्रवाई हो जारी है. आर्थिक अपराध इकाई के मुताबिक 1 मार्च 2019 से 31 मार्च 2020 तक के कुल 332 मामले दर्ज हुए. जिसमें से 264 मामले का निष्पादन हो चुका है. वहीं, 68 मामलों में जांच चल रही है. एसपी ने कहा कि फेसबुक से जुड़े 47 मामले आए थे. इसके अलावा एटीएम फ्रॉड से जुड़े मामले 199 और ईमेल से जुड़े 6 मामले और अन्य कुल 80 केस सामने आए.

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अरुण कुमार, पीड़ित

SP की जनता से अपील
इस दौरान एसपी प्रांतोष दास ने आम जनता से अपील की कि कोई भी बैंक या कोई भी संस्था अपने ग्राहकों से ओटीपी या लिंक के माध्यम से जोड़ने को नहीं कहता है. उन्होंने कहा कि साइबर अपराधी इसी का फायदा उठाकर आम जनता को ठगते हैं. इसके अलावा उन्होंने सार्वजनिक जगहों पर फोन चार्ज नहीं करने की नसीहत दी है.

साइबर फ्रॉड पीड़ित की शिकायत
साइबर फ्रॉड के शिकार हुए अरुण कुमार ने बताया कि उनके खाते से दो बार पैसा निकाला गया है. उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने कई दफा पुलिस कंप्लेन भी की. लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. पीड़ित अरुण ने बताया कि 6 महीने बीत गए हैं. लेकिन उनका पैसा वापस नहीं आया है.

Last Updated : Jun 15, 2020, 7:20 PM IST
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