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दागियों को धड़ल्ले से टिकट दे रहीं पार्टियां, 30% से अधिक आपराधिक छवि के उम्मीदवार

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Published : May 1, 2019, 8:35 PM IST

इस चुनावी मौसम में पार्टियां सिर्फ ऐसे चेहरे और बाहुबलियों को टिकट दे रही हैं जो उन्हें जीत का सेहरा पहना सके.

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पटना: बिहार में चार चरणों के चुनाव में 19 सीटों पर वोट डाले जा चुके हैं. लोकसभा चुनाव में सभी पार्टियों ने इस बार बड़ी संख्या में गंभीर अपराध के दागी उम्मीदवारों को भी चुनाव मैदान में उतारा है. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे उम्मीदवारों को जिन पर गंभीर अपराध के मामले हैं. तीन बार विज्ञापन निकालने का आदेश दिया था. लेकिन उसका भी पालन नहीं हो रहा है.

इलेक्शन वॉच बिहार के संयोजक राजीव कुमार ने इस बारे में ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि आजकल उम्मीदवारों को टिकट देने में पार्टियों ने ट्रेंड भी बदल दिया है. पार्टियां अगर किसी कारणवश ऐसे लोगों को टिकट नहीं भी दे पा रही हैं तो उन्होंने इसका तोड़ निकाल लिया है और अपराधियों की पत्नी या फिर परिवार के सदस्यों को टिकट देने लगी हैं.

30% से अधिक छवि वाले उम्मीदवार
लोकसभा चुनाव में 40 सीटों पर इस बार भी बड़ी संख्या में गंभीर अपराध के दागी उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. राजीव कुमार ने बताया कि अब तक हुए 4 चरणों के चुनाव में हर चरण में 30% से अधिक अपराधिक छवि वाले उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे और आने वाले चरणों में भी ट्रेंड इसी के आसपास है.

नहीं दिया विज्ञापन
राजीव ने कहा कि पार्टियों ने टिकट देने का ट्रेंड भी बदल दिया है. अब उन्हें लगता है कि जो गंभीर अपराध में सजा पा सकते हैं तो सीधे उन्हें टिकट न देकर उनकी पत्नी को या फिर उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट दिया जाए. राजीव का यह भी कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि जो भी आपराधिक छवि वाले उम्मीदवार हैं उनको विज्ञापन देना होगा और बताना होगा कि उनपर किस तरह के गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं. ऐसे उम्मीदवारों को प्रमुख समाचार पत्र और टीवी में तीन बार विज्ञापन देना था लेकिन उसका भी सही ढंग से पालन नहीं हो रहा है.

प्रत्येक चरण में उतरे दागी उम्मीदवार
बिहार में पहले चरण में ऐसे कई उम्मीदवार चुनाव लड़े हैं जिनपर गंभीर अपराध को लेकर केस चल रहे हैं. दूसरे चरण में 5 सीटों पर 68 उम्मीदवार में से 14 पर गंभीर अपराधिक मामले चल रहे हैं. तीसरे चरण में 5 सीटों पर 82 उम्मीदवार चुनाव लड़े हैं. इसमें से 25 पर गंभीर आपराधिक मामले हैं. वहीं, चौथे चरण में 5 सीटों पर 64 उम्मीदवार चुनाव लड़े हैं जिसमें 21 पर गंभीर आपराधिक मामले हैं.

इलेक्शन वॉच बिहार के संयोजक से बातचीत करते ईटीवी भारत संवाददाता

5वें चरण के 14 प्रत्याशी पर गंभीर मामले
पांचवें चरण में 5 सीटों पर 81 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. इसमें से 14 पर गंभीर आपराधिक मामले हैं. छठे और सातवें चरण का हाल भी कमोवेश यही है. आपराधिक और भ्रष्टाचार के मामले में सजा मिलने पर कई नेताओं की सदस्यता जा चुकी है.

नहीं उतरा कोई खरा
बिहार विधानसभा में राजबल्लभ यादव और इलियास हुसैन की सदस्यता कोर्ट के द्वारा सजा सुनाने के बाद समाप्त हुई. बिहार इलेक्शन वाच के संयोजक राजीव कुमार का यह भी कहना है कि चुनाव से पहले पार्टियों की ओर से शुचिता का दावा तो किया जाता है लेकिन कोई भी उस पर खरा नहीं उतरता है.

पटना: बिहार में चार चरणों के चुनाव में 19 सीटों पर वोट डाले जा चुके हैं. लोकसभा चुनाव में सभी पार्टियों ने इस बार बड़ी संख्या में गंभीर अपराध के दागी उम्मीदवारों को भी चुनाव मैदान में उतारा है. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे उम्मीदवारों को जिन पर गंभीर अपराध के मामले हैं. तीन बार विज्ञापन निकालने का आदेश दिया था. लेकिन उसका भी पालन नहीं हो रहा है.

इलेक्शन वॉच बिहार के संयोजक राजीव कुमार ने इस बारे में ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि आजकल उम्मीदवारों को टिकट देने में पार्टियों ने ट्रेंड भी बदल दिया है. पार्टियां अगर किसी कारणवश ऐसे लोगों को टिकट नहीं भी दे पा रही हैं तो उन्होंने इसका तोड़ निकाल लिया है और अपराधियों की पत्नी या फिर परिवार के सदस्यों को टिकट देने लगी हैं.

30% से अधिक छवि वाले उम्मीदवार
लोकसभा चुनाव में 40 सीटों पर इस बार भी बड़ी संख्या में गंभीर अपराध के दागी उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. राजीव कुमार ने बताया कि अब तक हुए 4 चरणों के चुनाव में हर चरण में 30% से अधिक अपराधिक छवि वाले उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे और आने वाले चरणों में भी ट्रेंड इसी के आसपास है.

नहीं दिया विज्ञापन
राजीव ने कहा कि पार्टियों ने टिकट देने का ट्रेंड भी बदल दिया है. अब उन्हें लगता है कि जो गंभीर अपराध में सजा पा सकते हैं तो सीधे उन्हें टिकट न देकर उनकी पत्नी को या फिर उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट दिया जाए. राजीव का यह भी कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि जो भी आपराधिक छवि वाले उम्मीदवार हैं उनको विज्ञापन देना होगा और बताना होगा कि उनपर किस तरह के गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं. ऐसे उम्मीदवारों को प्रमुख समाचार पत्र और टीवी में तीन बार विज्ञापन देना था लेकिन उसका भी सही ढंग से पालन नहीं हो रहा है.

प्रत्येक चरण में उतरे दागी उम्मीदवार
बिहार में पहले चरण में ऐसे कई उम्मीदवार चुनाव लड़े हैं जिनपर गंभीर अपराध को लेकर केस चल रहे हैं. दूसरे चरण में 5 सीटों पर 68 उम्मीदवार में से 14 पर गंभीर अपराधिक मामले चल रहे हैं. तीसरे चरण में 5 सीटों पर 82 उम्मीदवार चुनाव लड़े हैं. इसमें से 25 पर गंभीर आपराधिक मामले हैं. वहीं, चौथे चरण में 5 सीटों पर 64 उम्मीदवार चुनाव लड़े हैं जिसमें 21 पर गंभीर आपराधिक मामले हैं.

इलेक्शन वॉच बिहार के संयोजक से बातचीत करते ईटीवी भारत संवाददाता

5वें चरण के 14 प्रत्याशी पर गंभीर मामले
पांचवें चरण में 5 सीटों पर 81 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. इसमें से 14 पर गंभीर आपराधिक मामले हैं. छठे और सातवें चरण का हाल भी कमोवेश यही है. आपराधिक और भ्रष्टाचार के मामले में सजा मिलने पर कई नेताओं की सदस्यता जा चुकी है.

नहीं उतरा कोई खरा
बिहार विधानसभा में राजबल्लभ यादव और इलियास हुसैन की सदस्यता कोर्ट के द्वारा सजा सुनाने के बाद समाप्त हुई. बिहार इलेक्शन वाच के संयोजक राजीव कुमार का यह भी कहना है कि चुनाव से पहले पार्टियों की ओर से शुचिता का दावा तो किया जाता है लेकिन कोई भी उस पर खरा नहीं उतरता है.

Intro:पटना-- बिहार में चार चरणों के चुनाव में 19 सीटों पर वोट डाले जा चुके हैं । लोकसभा चुनाव में सभी पार्टियों ने इस बार बड़ी संख्या में गंभीर अपराध के दागी उम्मीदवारों को भी चुनाव मैदान में उतारा है सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे उम्मीदवारों को जिन पर गंभीर अपराध के मामले हैं तीन बार विज्ञापन निकालने का आदेश दिया था लेकिन उसका भी पालन नहीं हो रहा है। इलेक्शन वॉच बिहार के संयोजक राजीव कुमार ने खास बातचीत में कहा कि उम्मीदवारों को टिकट देने में पार्टियों ने ट्रेंड भी बदल दिया है पार्टियां अब अपराधियों के पत्नी को या फिर परिवार के लोगों को टिकट देने लगी है।
पेश है spl रिपोर्ट--


Body: लोकसभा चुनाव में 40 सीटों पर इस बार भी बड़ी संख्या में गंभीर अपराध के दागी उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। सभी प्रमुख पार्टियों ने ऐसे उम्मीदवारों को उतारा है जिन पर गंभीर अपराध के मामले चल रहे हैं । बिहार इलेक्शन वॉच के संयोजक राजीव कुमार ने खास बातचीत में कहा कि अब तक हुई 4 चरणों के चुनाव में हर चरण में 30% से अधिक अपराधिक छवि वाले उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे और आने वाले चरणों में भी ट्रेड इसी के आसपास है। राजीव ने कहा कि पार्टियों ने टिकट देने का ट्रेंड भी बदल दिया है अब उन्हें लगता है कि जो गंभीर अपराध में सजा पा सकते हैं तो सीधे उन्हें टिकट ना देकर उनके पत्नी को या फिर उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट दे रहे हैं। राजीव का यह भी कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि जो भी आपराधिक छवि वाले उम्मीदवार हैं उनको विज्ञापन देना होगा और बताना होगा कि उन पर किस तरह के गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं ।ऐसे उम्मीदवारों को प्रमुख समाचार पत्र और टीवी में तीन बार विज्ञापन देना था लेकिन उसका भी सही ढंग से पालन नहीं हो रहा है।


Conclusion: बिहार में पहले चरण में ऐसे कई उम्मीदवार चुनाव लड़े हैं जिन पर गंभीर अपराध को लेकर केस चल रहे हैं दूसरे चरण में 5 सीटों पर 68 उम्मीदवार में से 14 पर गंभीर अपराधिक मामले चल रहे हैं । तीसरे चरण में 5 सीटों पर 82 उम्मीदवार चुनाव लड़े हैं इसमें से 25 पर गंभीर आपराधिक मामले हैं । चौथे चरण में 5 सीटों पर 64 उम्मीदवार चुनाव लड़े हैं जिसमें 21 पर गंभीर आपराधिक मामले हैं । पांचवें चरण में 5 सीटों पर 81 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं इसमें से 14 पर गंभीर आपराधिक मामले हैं। छठे और सातवें चरण का हाल भी कमोवेश यही है। आपराधिक और भ्रष्टाचार के मामले में सजा मिलने पर कई नेता की सदस्यता जा चुकी है ।
बिहार विधानसभा में राजबल्लभ यादव और इलियास हुसैन की सदस्यता कोर्ट के सजा सुनाने के बाद समाप्त हुई । बिहार इलेक्शन वाच के संयोजक राजीव कुमार का यह भी कहना है चुनाव से पहले पार्टियों की ओर से सुचिता का दावा तो किया जाता है लेकिन कोई भी उस पर खड़ा नहीं उतरता है।
अविनाश, पटना।
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