पटना: देश जितना आधुनिकता की ओर जा रहा है उसके साथ साथ लोगों के विचार भी बदलते नजर आ रहे हैं वही अपराधियों के द्वारा अपराध का तरीका भी बदला जा रहा है. अक्सर आपने देखा होगा कि साइबर अपराधी मोबाइल पर तरह-तरह के मैसेज भेज कर और फोन के जरिए लुभावनी बातें बनाकर आपके अकाउंट से पैसे उड़ा दिया करते हैं.
मानव तस्करी के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल: साथ-साथ आधुनिकता के युग में मानव तस्करी का भी तरीका बदलते नजर आ रहा है. आपने अक्सर देखा होगा मानव तस्कर किसी ना किसी तरीके से बच्चों, महिलाओं और लड़कियों की तस्करी करते हैं. पुलिस भी कई मामलों का उद्भेदन करती रहती है, लेकिन अब साइबर अपराधियों के द्वारा मानव तस्करी का खेल अलग तरीके से किया जा रहा है. साइबर अपराधी अब सोशल मीडिया के माध्यम से मानव तस्करी का खेल चला रहे हैं.
पुलिस मुख्यालय सतर्क: बता दें कि आए दिन मानव तस्करों पर कार्रवाई की जाती है. वहीं मानव तस्करी से बचने के लिए कई सामाजिक संस्थाओं के द्वारा जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है. वहीं स्टेशनों पर कई सेंटर भी बनाए गए हैं. मानव तस्करी की रोकथाम के लिए लगातार पुलिस मुख्यालय के द्वारा निर्देश भी दिए जाते हैं, कार्रवाई भी होती है. हालिया दिनों में पुलिस मुख्यालय के द्वारा डाटा भी जारी किया गया था. डाटा के अनुसार महिलाओं बच्चों और लड़कियों को मानव तस्करी से बचाया गया है.
लोगों को किया जा रहा जागरूक: लगातार जिला मुख्यालय में जिला स्तरीय व्यापार निरोधक इकाई के पुलिस पदाधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए चिल्ड्रन फाउंडेशन एवं कमजोर वर्ग के द्वारा अलग-अलग जिला मुख्यालय में 15 दिनों के प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाए जाते हैं. मानव व्यापार से संबंधित कानून के विषय में मुक्त कराए गए बच्चों के साथ व्यवहार कर्तव्य में संवेदनशीलता विकसित करने और बाल तस्करी एवं यौन शोषण के पीड़ित के साथ कर्तव्य निर्वहन के क्रम में अच्छे व्यवहार एवं ज्ञानवर्धक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाया जाता है.
2020 में मानव तस्करी का आंकड़ा: वहीं बिहार में 21 जून 2023 को विशेष अभियान चलाकर चिल्ड्रन इन स्ट्रीट सिचुएशन के अंतर्गत से 88 बच्चों को मुक्त भी कराया गया. वहीं अगर हम बात करें वर्ष 2020 की तो मानव व्यापार निरोध विषयक एवं बाल श्रम संबंधित कार्रवाई में पुलिस के द्वारा 75 प्राथमिकी दर्ज की गयी है. वहीं 102 महिलाओं को मुक्त कराया गया. 79 पुरुष भी मुक्त कराए गए और मानव तस्करी में संलिप्त 247 तस्करों को गिरफ्तार किया गया है.
2021-22 में भी जारी रहा सिलसिला: 2021 में 111 प्राथमिकी दर्ज की गई और 149 महिलाओं को मुक्त कराया गया. वहीं 235 पुरुष को भी मुक्त कराया गया और 331 मानव तस्कर को गिरफ्तार किया गया. 2022 में 260 प्राथमिकी दर्ज किए गए और 252 महिलाओं को मुक्त कराया गया, साथ ही 499 पुरुष को मुक्त कराया गया. वहीं 560 लोगों की इसमें संलिप्तता पाई गई, जिन्हें गिरफ्तार किया गया.
2023 में अब तक पुलिस की कार्रवाई: 2023 के मई तक में 74 प्राथमिकी दर्ज हुए हैं. 66 महिलाओं को मुक्त कराया जा चुका है और 165 पुरुषों को भी मुक्त कराया गया है. मानव तस्करी में संलिप्त 94 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. लगातार पुलिस और सामाजिक संगठनों के द्वारा जागरूकता अभियान के साथ-साथ कार्रवाई की जा रही है. लेकिन फिर भी कहीं ना कहीं लोगों में जागरूकता नहीं आ पा रहा है या फिर मानव तस्कर नए-नए तरीके से महिलाओं लड़कियों और बच्चों को अपनी तरफ आकर्षित करने में कामयाब हो जा रहे हैं.
चंगुल में फंसाता है: उसी कड़ी में बिहार में मानव तस्करी का नया खेल सामने आया है. जिस खेल में तस्करों के द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से लड़कियों को अपनी और आकर्षित किया जाता है. जिसके बाद उनके साथ मिलना जुलना होता है और नजदीकियां बढ़ती जाती है और दोनों एक दूसरे को रोक नहीं पाते हैं. जिसके बाद सोशल मीडिया के माध्यम से तस्करी करने वाले गिरोह पूरी तरह अपने चंगुल में लड़कियों को ले लेते हैं.
दोस्ती...सेक्स.. वीडियो और फिर ब्लैकमेल..: वहीं लड़की का वीडियो भी बना लेते हैं. वहीं कई बार शारीरिक संबंध भी बनाते हैं और वीडियो वायरल करने की धमकी देने के बाद उन्हें पूरी तरह अपने कब्जे में ले लेते हैं. जिसके बाद उन्हें बहला फुसलाकर गलत धंधे में धकेल दिया जाता है. ताजा मामला मुजफ्फरपुर का है, जहां एमबीए की छात्रा से फेसबुक के जरिए दोस्ती की जाती है. उसके बाद सिलसिला आगे बढ़ता है. फिर वीडियो कॉल से बातचीत शुरू होती है, जिसके बाद गिरोह के तस्कर सदस्य होटल में लड़की के साथ ग्रुप में शारीरिक संबंध भी बनाते हैं, वीडियो भी बनाते हैं और फिर लड़की को ब्लैकमेल किया जाता है.
मुजफ्फरपुर का मामला: अंत में लड़की को बेच दिया जाता है. दरअसल एमबीए की छात्रा मुजफ्फरपुर की रहने वाली है और यह घर से एग्जाम देने निकली थी. इसके बाद घर वापस नहीं लौटी. घरवालों के द्वारा काफी खोजबीन किया गया, लेकिन कुछ भी पता नहीं चला. तब जाकर परिजनों के द्वारा मुजफ्फरपुर के सदर थाने में इसकी लिखित शिकायत दर्ज कराई गई. इसके बाद भी अभी तक एमबीए छात्रा का कोई सुराग नहीं मिल पाया है.
लड़की का नहीं मिला सुराग: बता दें कि इसमें कई सामाजिक संगठन भी इसके खोजबीन में लगे हुए हैं. पता चला कि इस गिरोह में कई महिलाएं भी शामिल हैं. वहीं सामाजिक संगठनों के द्वारा पकड़ी गई महिला के द्वारा काफी बड़े खुलासे किए गए हैं. कई लोगों के नाम सामने आए हैं. महिला ने साफ तौर से बताया है कि फेसबुक के जरिए लड़की को अपने जाल में फंसाया गया था. फिर वीडियो कॉल के जरिए बातचीत हुई. फिर उसे होटल में बुलाया गया और दोनों के बीच कई बार शारीरिक संबंध भी बने.
रहें सावधान: इसी दौरान लड़के ने एमबीए छात्रा की पहचान एक महिला से कराई थी. फिर महिला, छात्रा को मुजफ्फरपुर के काफी चर्चित रेड लाइट एरिया चतुर्भुज स्थान ले गई. छात्रा को नशा दिया गया था और वहां उसे बेच दिया गया. हालांकि पुलिस अभी तक एमबीए छात्रा का पता नहीं लगा पाई है. वहीं इस महिला ने कई आश्चर्यजनक खुलासे किए हैं, जिसमें साफ तौर से बताया है कि यह गैंग सोशल मीडिया फेसबुक पर काफी एक्टिव है और फेसबुक के माध्यम से लड़कियों के प्रोफाइल चेक किए जाते हैं. जिसके बाद उन्हें अपने झांसे में लाया जाता है और फिर उन्हें गलत धंधे में धकेल दिया जाता है.