पटना : बिहार की राजधानी पटना में आर्थिक अपराध इकाई के साइबर सेल ने तीन साइबर अपराधियों के गैंग का खुलासा किया है. इन गिरोह के सदस्यों ने गया और मोतिहारी में साइबर ठगी की थी. साइबर ठग एनी डेस्क नाम के ऐप के माध्यम से ठगी को अंजाम देते थे. एक गैंग के पास से 14 लाख रुपये कैश और 300 ग्राम सोना भी बरामद किया गया है. वहीं दो अन्य गैंग के पास से दर्जनों मोबाइल बरामद की गई है.
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आर्थिक अपराध इकाई ने किया खुलासा : इन गैंगों के खुलासे की बाबत आर्थिक अपराध इकाई के एसपी सुशील कुमार ने लोगों को ऐसी ठगी को लेकर जागरूक करने के उद्देश्य से इन गैंगों के अपराध करने के पूरे तौर-तरीके की जानकारी दी. उन्होंने ने बताया कि पहला मामला गया से जुड़ा हुआ है. यहां एनी डेस्क नाम के एक एप के माध्यम से साइबर ठगों ने अपराध को अंजाम दिया. यह गिरोह लोगों से ओटीपी प्राप्त कर उनके मोबाइल या डिवाइस का एक्सेस ले लेता था.
"गया वाले गिरोह का टारगेट एक खास वर्ग होता था. यह गैंग सिर्फ मतदाता सूची और चुनाव के काम में लगे रहने वाले शिक्षकों, जो बीएलओ या अन्य कर्मी का काम करते थे, सिर्फ उन्हें ही शिकार बनाता था. उन्हें क्षेत्र का BDO बनकर काॅल करता था और ओटीपी मांगकर मोबाइल का एक्सेस ले लेता था. फिर पीड़ित के अकाउंट से पैसा निकाल लेते थे".- सुशील कुमार, एसपी, आर्थिक अपराध ईकाई
बीडीओ बनकर बीएलओ से ले लेता था उसका OTP : एसपी ने बताया कि गया वाला गैंग BLO या अन्य शिक्षकों के अकाउंट से पैस निकालकर एक पेट्रोल पंप के अकाउंट में मंगवाता था. इस काम में साथ देने के लिए पेट्रोल पंप के तीन कर्मियों को भी गिरफ्तार किया गया है. उसके बाद ड्राइवरों के लिए जो पेट्रो कार्ड व अन्य स्कीम होते हैं, उसके तहत पैसा वहां से निकाल लेते थे. इस तरह कई लेयर में यह ठगी की जाती थी, ताकि ये शातिर पकड़े ना जा सके.
एनी डेस्क के माध्यम से क्रियेट करता था नया यूपीआई : ईओयू के एसपी सुशील कुमार ने बताया कि दूसरा गैंग पटना के आसपास सक्रिय था. इसमें पटना सिटी का रहने वाला राहुल कुमार पकड़ा गया है. वहीं पीड़ित व्यक्ति मोतिहारी का रहने वाला एसएसबी का कर्मी था. यह गैंग भी एनी डेस्क के माध्यम से पैसे उड़ाता था, लेकिन यह पीड़ित के डिवाईस में एक्सेस लेकर यूपीआई क्रिएट कर देता था. फिर उसके पैसे का ट्रांजिक्शन करते रहते थे.
"एसपी ने बताया कि दूसरा गैंग का मुख्य सरगना झारखंड का रहने वाला है. उसकी पहचान हो गई है. झारखंड पुलिस से बात हो गई है. जल्द ही उसकी भी गिरफ्तारी हो जाएगी. ये शातिर गैंग लोगों का पैसा उड़ाकर उसे तुरंत सोना खरीदने में इन्वेस्ट कर देता था. इस गैंग के पास से हमें 14 लाख रुपया, 70 मोबाइल, 109 एटीम कार्ड, डेबिट कार्ड और 300 ग्राम सोना मिला है". - सुशील कुमार, एसपी, आर्थिक अपराध ईकाई
टेलीग्राम और व्हाट्स एप के जरिए करता था ठगी : इसी तरह तीसरे गैंग का भी खुलासा हुआ. एसपी ने बताया कि तीसरा गैंग चलाने वाला भी पटना का निवासी है. यह गिरोह टेलीग्राम और व्हाट्सएप पर मैसेज कर लोगों को ग्रुप में जोड़ता था. फिर लाइक और सब्सक्राइब के नाम पर पैसों का लोभ देते थे. इन साइबर ठगों ने अब तक लोगों के 30 लाख रुपये गायब किए हैं. इन सभी की निशानदेही पर ही पर अन्य अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है.
बिहार में स्थापित हैं 44 साइबर थाना : देश में साइबर अपराध काफी तेजी से पैर फैल रहा है. आए दिन लोग इसका शिकार हो रहे हैं हालांकि पुलिस मुख्यालय के द्वारा लगातार जागरूकता अभियान भी चलाए जाते हैं. वहीं आर्थिक अपराध इकाई के द्वारा लगातार जिला एवं प्रखंड तथा स्कूल , कॉलेज में भी साइबर अपराध से बचने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाता है. फिर भी आए दिन साइबर अपराधी नए-नए हथकंडे अपना कर ठगी कर रहे हैं. इन साइबर ठगों पर नकेल कसने के लिए बिहार में 44 साइबर थाने की भी स्थापना की गई है.