पटना: बेतिया में सामने आये टेरर फंडिंग मामले पर आर्थिक अपराध इकाई की नजर है. आर्थिक अपराध इकाई के अधीक्षक सुशील कुमार ने बताया कि फिलहाल मामले की जांच जिला पुलिस कर रही है. जिला पुलिस जांच के लिए सक्षम है. लेकिन, अगर तकनीकी सहयोग की जरूरत पड़ेगी तो आर्थिक अपराध इकाई सहयोग कर सकती है. बता दें कि, अमूमन टेरर फंडिंग मामले में आर्थिक अपराध इकाई हस्तक्षेप करती है. इसलिए ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि जल्दी ही इस मामले में EOU की एंट्री हो सकती है.
क्या है मामलाः उत्तर प्रदेश में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान से जिस केनरा बैंक अकाउंट में 70 लाख रुपये की फंडिंग की गई है उस खाते को बिहार के बेतिया के शिकारपुर थाना क्षेत्र का रहने वाला इजहारुल हुसैन कथित रुप से ऑपरेट कर रहा था. बैंक अकाउंट में इजहारुल का मोबाइल नंबर भी मिला है. उसी मोबाइल से बैंक अकाउंट को ऑपरेट किया जा रहा था. यूपी एटीएस ने हाल में बेतिया पुलिस के सहयोग से छापेमारी की थी. इजहारुल को पकड़ा गया लेकिन उसे यूपी एटीएस रिमांड पर नहीं ले जा सकी थी. गिरफ्तारी के वक्त इजहारुल नशे में था तो मद्द निषेध मामले में गिरफ्तार कर लिया गया.
"कई बार ऐसा देखा गया है कि साइबर अपराधी गरीब लोगों के पासबुक अपने कब्जे में ले लेते हैं और निश्चित रकम हर महीने किराया स्वरूप देने का प्रलोभन देते हैं. जब साइबर अपराध के मामले प्रकाश में आते हैं तो उक्त व्यक्ति के खिलाफ भी कार्रवाई होती है. लोग अपने बैंक अकाउंट्स के डिटेल्स किसी के साथ शेयर ना करें, ना ही अपने पासबुक और एटीएम किसी को सुपुर्द करें. ऐसा करने पर वह गंभीर मामलों में फंस सकते हैं."- सुशील कुमार, पुलिस अधीक्षक, आर्थिक अपराध इकाई
भोले-भाले लोगों का बनाते हैं निशानाः बिहार में साइबर ठगी का धंधा संगठित रूप अख्तियार कर चुका है. दिन प्रतिदिन साइबर अपराधियों की तादाद बढ़ती जा रही है. राज्य के 20 से ज्यादा जिलों में साइबर ठग सक्रिय हैं. साइबर अपराधी भोले भाले लोगों को चंगुल में फंसाते हैं. कई बार लोग टेरर फंडिंग के दलदल में फंस जाते हैं. साइबर एक्सपर्ट अभिनव बताते हैं कि साइबर अपराधियों का गिरोह बिहार में सक्रिय है. वह लोगों से आधार कार्ड लेते हैं उनके बैंक अकाउंट खुलवाते हैं और सारे कागजात अपने पास रख लेते हैं. हर महीने निश्चित रकम देने के का उन्हें प्रलोभन दिया जाता है साइबर अपराधी वैसे लोगों को निशाना बनाते हैं जो पढ़े-लिखे नहीं होते हैं.
खाताधारी को दी जाती है राशिः बिहार में साइबर अपराधी की पहुंच गांव तक हो चुकी है. साइबर अपराधी गरीब और भोले भाले लोगों को अपने चंगुल में फंसाते हैं. उनके आधार कार्ड लेकर बैंक अकाउंट खुलवाते हैं और फिर हर महीने निश्चित रकम देने का भरोसा दिलाते हैं. 5000 या 10000 महीना खाताधारी को दिया जाता है. अकाउंट होल्डर की एटीएम पासबुक पर साइबर ठग का कब्जा होता है. यहीं से साइबर ठगी का अनोखा खेल शुरू होता है. लोगों के अकाउंट का इस्तेमाल विदेश से पैसा मांगने के लिए किया जाता है.
टेरर फंडिंग के मामले आए हैंः पिछले दिनों गोपालगंज और सिवान जिले में भी ऐसे मामले प्रकाश में आए थे. पाकिस्तान से लोगों के अकाउंट में पैसे भेजे गए थे.
हालिया घटना बेतिया में प्रकाश में आया है. पश्चिम चंपारण जिले के शिकारपुर थाना क्षेत्र में आतंकी घटना को अंजाम देने के लिए टेरर फंडिंग की गई थी. खाताधारी शिकारपुर थाना क्षेत्र का रहने वाला इज़हारुल हुसैन बताया जा रहा है. इजहारुल के केनरा बैंक अकाउंट में पाकिस्तान से 70 लख रुपए की फंडिंग की गई थी. यूपी एटीएस के द्वारा सात संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद इस बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है.
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