पटना: बिहार कृषि विभाग की ओर से जागरुकता अभियान चलाने के बाद भी जिले में किसान अपनी मनमानी कर रहे हैं. मसौढ़ी में किसान धड़ल्ले से पराली जला रहे हैं. इससे केवल प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है. बल्कि खेतों की मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो रही है. खेतों में जल रहे परली से बढ़ता प्रदूषण राज्य सरकार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. ऐसे में अब पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है.
3 सालों के लिए सरकारी योजनाओं से वंचित: मिली जानकारी के अनुसार, मसौढ़ी अनुमंडल में अब तक 30 किसानों पर कार्रवाई की गई है. जिसमें मसौढ़ी के 10, धनरूआ के 12 और पुनपुन के 8 किसान शामिल है. इन सभी को 3 सालों के लिए सभी सरकारी योजनाओं से उन्हें वंचित कर दिया गया है. साथ ही उनकी आईडी बंद कर दी गई है.
खाद का छिड़काव करना बना मजबूरी: कृषि वैज्ञानिकों की माने तो खेतों में पराली जलाने से न केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है. बल्कि मिट्टी के मित्र कीट और सूक्ष्म पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं. ऐसे में अगली खेती के लिए उन्हें रासायनिक खाद का छिड़काव करना मजबूरी हो जाती है, जिसको लेकर लगातार किसानों के बीच उन्हें जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. जिससे खेतों में पराली ना जलाएं बल्कि उनके खेतों में ही मिट्टी में दावा कर डीकंपोज कर दे ताकि उसका खाद बन जाए.
"मसौढी अनुमंडल के 30 किसानों पर कार्रवाई हुई है, जिसमें मसौढ़ी के 10, धनरूआ के 12 और पुनपुन के 8 किसान शामिल है. इन सभी किसानों की आईडी बंद कर दी गई है. अब वह 3 साल तक सरकार के किसी भी योजना का लाभ नहीं ले सकते हैं. सभी किसान सलाहकारों को निर्देशित किया गया है कि अपने-अपने पंचायत में गतिशील रहे. साथ ही अधिकारी चिन्हित करेंगे कि जो भी किसान खेतों में पराली जला रहे हैं उनकी आईडी को बंद कर दिया जाएं" - शकील अहमद खान, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, मसौढ़ी.
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