पटना: महाशिवरात्रि पर्व (Mahashivratri 2023) को लेकर राजधानी पटना समेत ग्रामीण इलाकों में विभिन्न शिवालयों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी हुई है. इस बीच पटना के ग्रामीण इलाके में स्थित शिवालयों में माथे पर त्रिपुंड तिलक बनवाने का युवाओं में क्रेज साफ दिखाई दे रहा है. खासकर महिलाओं और युवा लड़कियों में त्रिपुंड तिलक बनाने की होड़ देखी जा रही है. मसौढ़ी के धनरूआ प्रखंड के गौरी शंकर मंदिर में भगवान शंकर और मां पार्वती की पूजा करने के लिए युवाओं, लड़कियों और महिलाओं की भारी भीड़ देखने को मिल रही है.
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महाशिवरात्रि पर मंदिरों में उमड़ी भारी भीड़ : धनरूआ प्रखंड के गौरी शंकर मंदिर को बुढ़वा महादेव स्थान कहते हैं. जिसकी कई पौराणिक मान्यताएं हैं. इस मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व को लेकर सुबह से ही जलाभिषेक को लेकर भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है. मंदिर में युवाओं में त्रिपुंड तिलक बनवाने का क्रेज दिख रहा है. जो भी लड़के-लड़कियां, महिलाएं इस मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए आ रहे हैं, वह त्रिपुंड तिलक लगवा रहे हैं. ऐसी धारणा है कि जिनके वैवाहिक जीवन में परेशानियां होती हैं, वह सारी परेशानियां त्रिपुंड तिलक लगाने से नष्ट हो जाती हैं.
युवाओं में त्रिपुंड तिलक लगवाने का क्रेज : त्रिपुंड तिलक को प्रसाद रूप में लगवाने से विवाह में हो रही देरी का भी अंत हो जाता है. कहा जाता है कि महादेव का त्रिपुंड केवल तिलक नहीं शिव भक्तों के लिए वरदान है. हर देवी, देवता अपने माथे पर एक तिलक धारण करते हैं. उसी प्रकार महादेव भी त्रिपुंड तिलक लगाते हैं. धनरूआ के गौरी शंकर मंदिर के पुजारी दयानंद मिश्रा बताते हैं की महादेव के त्रिपुंड तिलक में 27 देवताओं का वास होता है.
"त्रिपुंड तिलक में तीन रेखाएं होती हैं और हर एक रेखा में 9 देवता स्थापित होते हैं, इस प्रकार तीन रेखाओं में 27 देवताओं का वास होता है. शिव के त्रिपुंड में स्थित यह 27 देवता व्यक्ति के भीतर 27 गुणों का संचार करते हैं. यह वही 27 गुण होते हैं जो विवाह के समय लड़का और लड़की के मिलाए जाते हैं." - दयानंद मिश्रा, पुजारी गौरीशंकर मंदिर, धनरूआ