पटनाः बिहार में चुनावी बिगुल बज चुका है. लगभग सभी दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है और चुनाव की तैयारी में लग गए हैं. इसी बीच सीपीआई के छात्र विंग एआईएसएफ ने बागी रूप अपना लिया है.
सीपीआई नेताओं ने साधी चुप्पी
एआईएसएफ ने विधानसभा चुनाव में अपने बलबूते पर चुनाव लड़ने का फैसला लिया है और उम्मीदवारों की सूची भी जारी कर दी है. जिसके बाद से ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी कार्यालय में थोड़ा तनाव का माहौल है. जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने इस मसले पर सीपीआई नेताओं से बात करने की कोशिश की तो सभी जवाब देने से बचते नजर आए.
हम अपने दम पर चुनाव लड़ेंगे-एआईएसएफ
सीपीआई नेताओं की चुप्पी से साफ जाहिर होता है कि कहीं ना कहीं इस फैसले के बाद पार्टी में तनाव का माहौल है. एआईएसएफ ने यह साफ कर दिया है कि छात्रों और युवाओं को बिहार विधानसभा चुनाव में उचित भागीदारी नहीं मिली है. इसलिए उन्होंने यह फैसला लिया है. एआईएसएफ ने यह भी कहा है कि हमारा सीपीआई से विचारों का संबंध है. हमें उचित भागीदारी नहीं मिली, इसलिए हम अपने दम पर चुनाव लड़ेंगे.
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एआईएसएफ को समझाने में लगी सीपीआई
बता दें कि अगर एआईएसएफ चुनाव मैदान में उतरता है तो इससे सीपीआई और महागठबंधन को नुकसान हो सकता है. महागठबंधन या कभी नहीं चाहेगी कि किसी प्रकार का कोई नुकसान हो. यही कारण है कि सीपीआई के कोई नेता इस पर कुछ कहने से बच रहे हैं.
सूत्रों की मानें तो सीपीआई एआईएसएफ को समझाने बुझाने में लग गई है कि किसी तरीके से उनके फैसले को वापस करवाया जाए.