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पटना: दीपावली में कौड़ी खेलने की थी परंपरा, अब जुआ की ओर बढ़ा लोगों का रूझान - छुपकर जुआं खेलते

दीपावाली में कौड़ी का खेल 9 कौड़ी की सहायता से खेला जाता था. इसमे भी लूडो के खेल के तरह ही पॉइंट मिलते हैं और जीत सुनिश्चित किया जाता है. लोग पासा को रखकर इसे खेलते थे और पैसे की दांव लगाई जाती है.

दीपावली में कौड़ी खेलने की प्रथा
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Published : Oct 27, 2019, 9:26 PM IST

Updated : Oct 27, 2019, 10:46 PM IST

पटना: देश भर में बड़े धूमधाम से दीपावली का त्यौहार मनाया जा रहा है. दीपावली के दिन कई जगह कौड़ी खेलने की प्रथा है. कौड़ी के खेल में पैसे की बोली लगाकर दांव लगाया जाता है. लोग टोलियों में बंटकर कौड़ी खेल का आनंद भी उठाते हैं. लेकिन, अब यह खेल जुआ में तब्दील होता जा रहा है.

बिहार के कई हिस्सों में कौड़ी का खेल

धीरे-धीरे लोगों ने इस प्रथा को जुआ की तरह खेलना शुरू कर दिया है. लोग अब कौड़ी की जगह ताश के पत्ते का इस्तेमाल करने लगे हैं. लोग दीपावली के दिन तास के पत्ते पर जुआ खेलते हैं. राजधानी पटना सहित बिहार के कई हिस्सों में दीपावली के दिन लोग इसे खेलना पसंद करते हैं. कौड़ी की प्रथा महज नाम बनकर रह गई है.

दीपावली में कौड़ी खेलने की प्रथा

पैसे का लगाया जाता है दांव

स्थानीय लोगों का कहना है कि दीपावली में लोग पहले कौड़ी ही खेलते थे. यह खेल 9 कौड़ी के सहायता से खेला जाता था. इसमे भी लूडो के खेल के तरह ही पॉइंट मिलते थे और जीत सुनिश्चित किया जाता था. लोग पासा को रखकर इसे खेलते थे और पैसे की दांव लगाई जाती थी. कुल मिलाकर लोग जिस जुए को आज तास के पत्ते से खेलते हैं. जबकि इसकी शुरुआत कौड़ी से हुई है. आज बाजार में कौड़ियां तो मिलती हैं लेकिन, सिर्फ इसका उपयोग लक्ष्मी पूजन सामग्री के रूप में हो रहा है.

Patna
ताश के पत्तों से खेल.

पटना: देश भर में बड़े धूमधाम से दीपावली का त्यौहार मनाया जा रहा है. दीपावली के दिन कई जगह कौड़ी खेलने की प्रथा है. कौड़ी के खेल में पैसे की बोली लगाकर दांव लगाया जाता है. लोग टोलियों में बंटकर कौड़ी खेल का आनंद भी उठाते हैं. लेकिन, अब यह खेल जुआ में तब्दील होता जा रहा है.

बिहार के कई हिस्सों में कौड़ी का खेल

धीरे-धीरे लोगों ने इस प्रथा को जुआ की तरह खेलना शुरू कर दिया है. लोग अब कौड़ी की जगह ताश के पत्ते का इस्तेमाल करने लगे हैं. लोग दीपावली के दिन तास के पत्ते पर जुआ खेलते हैं. राजधानी पटना सहित बिहार के कई हिस्सों में दीपावली के दिन लोग इसे खेलना पसंद करते हैं. कौड़ी की प्रथा महज नाम बनकर रह गई है.

दीपावली में कौड़ी खेलने की प्रथा

पैसे का लगाया जाता है दांव

स्थानीय लोगों का कहना है कि दीपावली में लोग पहले कौड़ी ही खेलते थे. यह खेल 9 कौड़ी के सहायता से खेला जाता था. इसमे भी लूडो के खेल के तरह ही पॉइंट मिलते थे और जीत सुनिश्चित किया जाता था. लोग पासा को रखकर इसे खेलते थे और पैसे की दांव लगाई जाती थी. कुल मिलाकर लोग जिस जुए को आज तास के पत्ते से खेलते हैं. जबकि इसकी शुरुआत कौड़ी से हुई है. आज बाजार में कौड़ियां तो मिलती हैं लेकिन, सिर्फ इसका उपयोग लक्ष्मी पूजन सामग्री के रूप में हो रहा है.

Patna
ताश के पत्तों से खेल.
Intro:एंकर दीपावली के दिन पहले लोग कौड़ी खेला करते थे और अगर एक तरफ से कहें तो कौड़ी के बहाने भी लोग जुआ खेलते थे यानी इसमे पैसे की बोली लगाकर दांव पर दांव लगाया जाता था और लोग टोलियों में बंटकर कौड़ी खेल का आनंद भी उठाते थे मुख्य रूप से वैसे लोग इसे खेलना पसंद करते थे जो जुआ खेलते थे धीरे धीरे लोग इस तरह के जुआ को तास के पत्ते तक सीमित कर दिया और लोग दीपावली के दिन अभी भी तास के पत्ते पर जुआ खेलते हैं राजधानी पटना सहित बिहार के कई हिस्सों में दीपवाली के दिन लोग इसे खेलना पसंद करते हैं वैसे पुलिसिया दविश के कारण लोगों को छिपछिपाकर जुआ खेलना पड़ता है लेकिन कौड़ी से सुरु होकर ये खेल अब गली कुची में दीपावली को देखने मिल जाता है


Body: बुजुर्गों का भी कहना है कि दिवाली में लोग पहले कौड़ी ही खेलते थे और ये खेल 9 कौड़ी के सहायता से खेला जाता था इसमे भी लूडो के खेल के तरह ही पॉइंट मिलते थे और जीत सुनिश्चित किया जाता था लोग पासा को रखकर इसे खेलते थे और पैसे की दांव लगाई जाती थी कुल मिलाकर लोग जिस जुए को आज ताश के पत्ते से खेलते है उसकी सुरुआत कौड़ी से हुई है और आज बाजार में कौड़ी तो मिलते हैं लेकिन सिर्फ इसका उपयोग आज लक्ष्मी पूजन सामग्री के रूप में हो रहा है


Conclusion:
Last Updated : Oct 27, 2019, 10:46 PM IST
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