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हाजीपुर के ये दंपति केले के फाइबर से बनाते हैं इको फ्रेंडली सामान, मंत्री से मिलकर लगाई ऐसी फरियाद - Production Of Bananas in bihar

पटना के हाजीपुर निवासी एक दंपति केले के थम से निकलने वाले रेशों से हैंडी क्रॉफ्ट सामान बना रहे हैं. लेकिन पैसों के अभाव में वे अपने कार्य को आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं.

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Published : Aug 12, 2021, 9:58 AM IST

Updated : Aug 12, 2021, 12:41 PM IST

पटना: बिहार में बड़े पैमाने पर केले का उत्पादन (Production Of Bananas) किया जाता है. लेकिन उससे निकलने वाले मटेरियल को नदी या तालाबों में फेंक दिया जाता है. क्या आपने सोचा है कि इस वेस्ट मटेरियल से आकर्षक वस्तुएं बनाई जा सकती हैं. जी हां बिहार के वैशाली जिले के एक दंपति ने कुछ अलग करने की ठानी और केले के वेस्ट मटेरियल से कई उपयोगी सामान बनाया है.

इसे भी पढ़ें: Motihari News:सदर अस्पताल में भर्ती मरीजों को 'दीदी की रसोई' से मिलेगी गुणवत्तापूर्ण भोजन

बिहार में केले का उत्पादन लगभग 40,000 एकड़ भूमि पर किया जाता है. जिससे काफी मात्रा में मटेरियल निकलता हैं. जिसे अक्सर नदी या तालाब में फेंक दिया जाता है. लेकिन पर्यावरण की रक्षा के लिए हाजीपुर के दंपति ने केले के फाइबर (Banana Fiber) से ढेरों प्रोडक्टस बनाए हैं. जिसमें फाइबर से बना थैला काफी आकर्षक है. बिहार में पॉलीथिन पर प्रतिबंध के बाद केले के फाइबर से बने थैले मजबूत विकल्प हो सकते हैं.

देखें रिपोर्ट.

ये भी पढ़ें: बेतिया: समाज को सुरक्षित रखने के लिए जीविका दीदी बना रहीं मास्क

हाजीपुर निवासी रेनू दयाल और वीरेंद्र दयाल ने सोचा कि केले के वेस्ट मटेरियल से बड़े पैमाने पर प्रदूषण हो रहा है. ऐसे में उन्होंने केले के थम से रेशा निकालने के लिए मशीन लगवाया. साल 2012 तक इनका लघु उद्योग किसी तरीके से चला. उन्होंने केले के रेशे से कागज, थैला, आकर्षक खिलौने समेत ढेरों सामान निर्मित किए. साथ ही खूब सुर्खियां भी बटोरी.

कुछ समय बाद आर्थिक तंगी की वजह से धीरे-धीरे व्यवसाय दम तोड़ने लगा. आज के समय में दंपति किराया देने की स्थिति में भी नहीं है. वे भाजपा दफ्तर स्थित सहयोग कार्यक्रम के दौरान उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन से मुलाकात करने भी पहुंचे. लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी. वहीं खनन मंत्री राम जनक ने उन्हें भरोसा दिलाया कि इस कार्य को आगे ले जाने का प्रयास किया जाएगा.

'हमने केले का रेशा निकालने के लिए मशीन लगवाए थे. कई महिलाओं को रोजगार भी दिया गया था. कागज के थैले और खिलौने सहित कई आकर्षक सामान भी बनाए गए. लेकिन बाजार नहीं मिलने की वजह से आर्थिक तंगी हो गई और उत्पादन बंद हो गया.' -रेनू दयाल, उद्यमी

हमने पूरे तन-मन-धन से काम शुरू किया था. मैं चाहता था कि इस कार्य को पूरे बिहार में किया जाए. इससे हजारों लोगों को रोजगार मिल सकता था. यह कार्य पर्यावरण के लिए संजीवनी का काम कर सकता था. लेकिन सरकारी सहयोग के बगैर मैं योजनाओं को अंजाम नहीं दे सका. सरकार अगर हमें सहयोग दे तो बिहार के कई गांव की तस्वीर बदल सकती है. -वीरेंद्र दयाल, उद्यमी

दंपति के इस कार्य के लिए सराहना करता हूं. इस मामले को लेकर उद्योग मंत्री से बात की जाएगी. जिससे यह योजना पूरे बिहार में लागू हो सके. इस योजना के लागू होने से कई बेरोजगारों को रोजगार मिल जाएगा, जिससे उन्हें रोजगार के लिए प्रदेश से बाहर नहीं जाना पड़ेगा. -जनक राम, मंत्री, खान एवं भूतत्व विभाग

पटना: बिहार में बड़े पैमाने पर केले का उत्पादन (Production Of Bananas) किया जाता है. लेकिन उससे निकलने वाले मटेरियल को नदी या तालाबों में फेंक दिया जाता है. क्या आपने सोचा है कि इस वेस्ट मटेरियल से आकर्षक वस्तुएं बनाई जा सकती हैं. जी हां बिहार के वैशाली जिले के एक दंपति ने कुछ अलग करने की ठानी और केले के वेस्ट मटेरियल से कई उपयोगी सामान बनाया है.

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बिहार में केले का उत्पादन लगभग 40,000 एकड़ भूमि पर किया जाता है. जिससे काफी मात्रा में मटेरियल निकलता हैं. जिसे अक्सर नदी या तालाब में फेंक दिया जाता है. लेकिन पर्यावरण की रक्षा के लिए हाजीपुर के दंपति ने केले के फाइबर (Banana Fiber) से ढेरों प्रोडक्टस बनाए हैं. जिसमें फाइबर से बना थैला काफी आकर्षक है. बिहार में पॉलीथिन पर प्रतिबंध के बाद केले के फाइबर से बने थैले मजबूत विकल्प हो सकते हैं.

देखें रिपोर्ट.

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हाजीपुर निवासी रेनू दयाल और वीरेंद्र दयाल ने सोचा कि केले के वेस्ट मटेरियल से बड़े पैमाने पर प्रदूषण हो रहा है. ऐसे में उन्होंने केले के थम से रेशा निकालने के लिए मशीन लगवाया. साल 2012 तक इनका लघु उद्योग किसी तरीके से चला. उन्होंने केले के रेशे से कागज, थैला, आकर्षक खिलौने समेत ढेरों सामान निर्मित किए. साथ ही खूब सुर्खियां भी बटोरी.

कुछ समय बाद आर्थिक तंगी की वजह से धीरे-धीरे व्यवसाय दम तोड़ने लगा. आज के समय में दंपति किराया देने की स्थिति में भी नहीं है. वे भाजपा दफ्तर स्थित सहयोग कार्यक्रम के दौरान उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन से मुलाकात करने भी पहुंचे. लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी. वहीं खनन मंत्री राम जनक ने उन्हें भरोसा दिलाया कि इस कार्य को आगे ले जाने का प्रयास किया जाएगा.

'हमने केले का रेशा निकालने के लिए मशीन लगवाए थे. कई महिलाओं को रोजगार भी दिया गया था. कागज के थैले और खिलौने सहित कई आकर्षक सामान भी बनाए गए. लेकिन बाजार नहीं मिलने की वजह से आर्थिक तंगी हो गई और उत्पादन बंद हो गया.' -रेनू दयाल, उद्यमी

हमने पूरे तन-मन-धन से काम शुरू किया था. मैं चाहता था कि इस कार्य को पूरे बिहार में किया जाए. इससे हजारों लोगों को रोजगार मिल सकता था. यह कार्य पर्यावरण के लिए संजीवनी का काम कर सकता था. लेकिन सरकारी सहयोग के बगैर मैं योजनाओं को अंजाम नहीं दे सका. सरकार अगर हमें सहयोग दे तो बिहार के कई गांव की तस्वीर बदल सकती है. -वीरेंद्र दयाल, उद्यमी

दंपति के इस कार्य के लिए सराहना करता हूं. इस मामले को लेकर उद्योग मंत्री से बात की जाएगी. जिससे यह योजना पूरे बिहार में लागू हो सके. इस योजना के लागू होने से कई बेरोजगारों को रोजगार मिल जाएगा, जिससे उन्हें रोजगार के लिए प्रदेश से बाहर नहीं जाना पड़ेगा. -जनक राम, मंत्री, खान एवं भूतत्व विभाग

Last Updated : Aug 12, 2021, 12:41 PM IST
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