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बिहार में कोरोना के सीवियर मामले काफी कम, रिकवरी रेट सबसे बेहतर

डॉ. मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि प्रदेश में कोरोना की सीवियरिटी काफी कम है. वहीं कोरोना मरीजों में कोरोना का सर्वाधिक साइड इफेक्ट व्यक्ति के फेफड़े में देखने को मिल रहा है.

Dr. Manoj Kumar Sinha
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Published : Dec 5, 2020, 1:42 PM IST

पटना: प्रदेश में कोरोना संकट बना हुआ है और आए दिन 600 से अधिक है नए मामले रोज सामने आ रहे हैं. अकेले राजधानी पटना में 200 से 300 मामले प्रतिदिन मिल रहे हैं. प्रदेश में अब तक 2 लाख 31 हजार 108 मरीज ठीक हो चुके हैं और एक्टिव मरीजों की संख्या 5572 है.

क्या कहते हैं चिकित्सक
प्रदेश में अब तक कोरोना से 1287 मौतें हो चुकी है. जिस प्रकार से यहां संक्रमण का दर है, मौत का आंकड़ा देशभर में काफी कम है. रिकवरी रेट भी 97.12% है. ऐसे में पटना के चिकित्सकों का कहना है कि प्रदेश में जो कोरोना के मामले मिल रहे हैं. उनमें अधिकांश एसिंप्टोमेटिक रह रहे हैं.

कोरोना सैंपल की जांच
पटना के इनकम टैक्स चौराहा स्थित न्यू गार्डिनर रोड हॉस्पिटल में प्रतिदिन 200 से अधिक कोरोना सैंपल के जांच होते हैं. इस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि प्रदेश में कोरोना की सीवियरिटी काफी कम है. लगभग 80 से 85% कोरोना मरीज एसिंप्टोमेटिक रह रहे हैं और उसके बाद 10 से 12% माइल्ड लक्षण के कोरोना मरीज रह रहे हैं. सीवियर मामले एक से 2% ही रह रहे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

इलाज कराने के लिए पर्याप्त समय
डॉ. मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि प्रदेश में जिस प्रकार से जांच हो रहे हैं, उससे अर्ली स्टेज में ही लोग जांच कराने पहुंच जा रहे हैं और उनका वायरस डिटेक्ट हो जा रहा है. ऐसे में उन्हें इलाज कराने के लिए पर्याप्त समय मिल रहा है और वह समय पर खुद को आइसोलेट भी कर ले रहे हैं.

इस वजह से संक्रमण कंट्रोल में रह रहा है. डॉक्टर ने कहा कि जांच की अच्छी सुविधा होने से शुरुआती समय में ही लोगों में लक्षण पता चल जा रहे हैं और यही वजह है कि प्रदेश में रिकवरी प्रतिशत देशभर में सबसे बेहतर है.

अधिक जनसंख्या वाला शहर
प्रदेश में राजधानी पटना में सर्वाधिक मामले प्रतिदिन सामने आ रहे हैं और इसकी दो प्रमुख वजह है. पहली वजह है कि यह प्रदेश में सबसे अधिक जनसंख्या डेंसिटी वाला शहर है और यहां हवाई जहाज, ट्रेन और सड़क परिवहन के माध्यम से काफी लोग प्रतिदिन पटना आते हैं और यहां लोगों का एक दूसरे से इंटरेक्शन सबसे अधिक होता है.

खरीदारी के लिए पहुंचे रहे लोग
डॉ. मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि दूसरी वजह है कि पटना प्रदेश का बिजनेस सेंटर है और कई सारे यहां मार्केट हैं. जहां लोग प्रतिदिन दूरदराज इलाके से खरीदारी करने के लिए पहुंचते हैं और मार्केट में एक दूसरे से काफी इंटरेक्ट होते हैं.

कोरोना का साइड इफेक्ट
पटना के मशहूर चिकित्सक डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि प्रदेश में ठीक हो चुके कोरोना मरीजों में कोरोना का सर्वाधिक साइड इफेक्ट व्यक्ति के फेफड़े में देखने को मिल रहा है. बहुत सारे लोगों में कोरोना से ठीक होने के बाद पोस्ट कोविड सिफली जैसे कि व्यक्ति के लंग्स में इन्फ्लेमेशन, लंग्स में फाइबरोसिस या फिर फेफड़े की कंडीशन नॉर्मल से थोड़ी कम देखी जा रही है.

ब्रेन स्ट्रोक कि शिकायत
इस वजह से कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों में लंबे समय तक सांस की तकलीफ देखी जा रही है. इसके अलावा किसी-किसी कोरोना मरीज में ठीक होने के बाद ब्रेन में इसका साइड इफेक्ट देखने को मिल रहा है और ब्रेन स्ट्रोक कि शिकायत मिल रही है. इसके अलावा किसी को गैस्ट्रोस्टिनल इंवॉल्वमेंट देखी जा रही है.

कुछ महीने के बाद मौत
डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि तमाम साइड इफेक्ट्स में सबसे अधिक लंग्स में साइड इफेक्ट के कारण समस्याएं उत्पन्न हो रही है. कई बार ऑक्सीजन सैचुरेशन डाउन होने की वजह से मरीज के कोरोना से ठीक होने के कुछ महीने बाद उसकी मौत हो जा रही है. क्योंकि जब ऑक्सीजन सैचुरेशन डाउन होगा तो, शरीर के सभी अंग काम करना बंद करने लगेंगे और शरीर के अंदर ब्लड क्लोट करने लगेगा.

पटना: प्रदेश में कोरोना संकट बना हुआ है और आए दिन 600 से अधिक है नए मामले रोज सामने आ रहे हैं. अकेले राजधानी पटना में 200 से 300 मामले प्रतिदिन मिल रहे हैं. प्रदेश में अब तक 2 लाख 31 हजार 108 मरीज ठीक हो चुके हैं और एक्टिव मरीजों की संख्या 5572 है.

क्या कहते हैं चिकित्सक
प्रदेश में अब तक कोरोना से 1287 मौतें हो चुकी है. जिस प्रकार से यहां संक्रमण का दर है, मौत का आंकड़ा देशभर में काफी कम है. रिकवरी रेट भी 97.12% है. ऐसे में पटना के चिकित्सकों का कहना है कि प्रदेश में जो कोरोना के मामले मिल रहे हैं. उनमें अधिकांश एसिंप्टोमेटिक रह रहे हैं.

कोरोना सैंपल की जांच
पटना के इनकम टैक्स चौराहा स्थित न्यू गार्डिनर रोड हॉस्पिटल में प्रतिदिन 200 से अधिक कोरोना सैंपल के जांच होते हैं. इस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि प्रदेश में कोरोना की सीवियरिटी काफी कम है. लगभग 80 से 85% कोरोना मरीज एसिंप्टोमेटिक रह रहे हैं और उसके बाद 10 से 12% माइल्ड लक्षण के कोरोना मरीज रह रहे हैं. सीवियर मामले एक से 2% ही रह रहे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

इलाज कराने के लिए पर्याप्त समय
डॉ. मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि प्रदेश में जिस प्रकार से जांच हो रहे हैं, उससे अर्ली स्टेज में ही लोग जांच कराने पहुंच जा रहे हैं और उनका वायरस डिटेक्ट हो जा रहा है. ऐसे में उन्हें इलाज कराने के लिए पर्याप्त समय मिल रहा है और वह समय पर खुद को आइसोलेट भी कर ले रहे हैं.

इस वजह से संक्रमण कंट्रोल में रह रहा है. डॉक्टर ने कहा कि जांच की अच्छी सुविधा होने से शुरुआती समय में ही लोगों में लक्षण पता चल जा रहे हैं और यही वजह है कि प्रदेश में रिकवरी प्रतिशत देशभर में सबसे बेहतर है.

अधिक जनसंख्या वाला शहर
प्रदेश में राजधानी पटना में सर्वाधिक मामले प्रतिदिन सामने आ रहे हैं और इसकी दो प्रमुख वजह है. पहली वजह है कि यह प्रदेश में सबसे अधिक जनसंख्या डेंसिटी वाला शहर है और यहां हवाई जहाज, ट्रेन और सड़क परिवहन के माध्यम से काफी लोग प्रतिदिन पटना आते हैं और यहां लोगों का एक दूसरे से इंटरेक्शन सबसे अधिक होता है.

खरीदारी के लिए पहुंचे रहे लोग
डॉ. मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि दूसरी वजह है कि पटना प्रदेश का बिजनेस सेंटर है और कई सारे यहां मार्केट हैं. जहां लोग प्रतिदिन दूरदराज इलाके से खरीदारी करने के लिए पहुंचते हैं और मार्केट में एक दूसरे से काफी इंटरेक्ट होते हैं.

कोरोना का साइड इफेक्ट
पटना के मशहूर चिकित्सक डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि प्रदेश में ठीक हो चुके कोरोना मरीजों में कोरोना का सर्वाधिक साइड इफेक्ट व्यक्ति के फेफड़े में देखने को मिल रहा है. बहुत सारे लोगों में कोरोना से ठीक होने के बाद पोस्ट कोविड सिफली जैसे कि व्यक्ति के लंग्स में इन्फ्लेमेशन, लंग्स में फाइबरोसिस या फिर फेफड़े की कंडीशन नॉर्मल से थोड़ी कम देखी जा रही है.

ब्रेन स्ट्रोक कि शिकायत
इस वजह से कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों में लंबे समय तक सांस की तकलीफ देखी जा रही है. इसके अलावा किसी-किसी कोरोना मरीज में ठीक होने के बाद ब्रेन में इसका साइड इफेक्ट देखने को मिल रहा है और ब्रेन स्ट्रोक कि शिकायत मिल रही है. इसके अलावा किसी को गैस्ट्रोस्टिनल इंवॉल्वमेंट देखी जा रही है.

कुछ महीने के बाद मौत
डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि तमाम साइड इफेक्ट्स में सबसे अधिक लंग्स में साइड इफेक्ट के कारण समस्याएं उत्पन्न हो रही है. कई बार ऑक्सीजन सैचुरेशन डाउन होने की वजह से मरीज के कोरोना से ठीक होने के कुछ महीने बाद उसकी मौत हो जा रही है. क्योंकि जब ऑक्सीजन सैचुरेशन डाउन होगा तो, शरीर के सभी अंग काम करना बंद करने लगेंगे और शरीर के अंदर ब्लड क्लोट करने लगेगा.

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