पटनाः बिहार में 5 मई से लॉकडाउन लगा है. जिस दिन लॉकडाउन लगा उस दिन बिहार में संकरण दर 15.58% था. लेकिन लॉकडाउन के बाद ये संख्या घटना शुरू हुई और 17 मई को यह घटकर 5% से भी नीचे हो गई. इसी तरह 30 अप्रैल को सबसे अधिक 15 हजार 853 कोरोना संक्रमित मिले थे और 5 मई तक ये संख्या 15000 के आसपास ही बना रहा.
लॉकडाउन लगने के 10 दिनों बाद संक्रमण दर आधे से भी कम हो गया है. अब बड़ा सवाल कि जब लॉकडाउन से संक्रमण केवल बिहार ही नहीं देश के कई राज्यों में कोरोना नियंत्रण में आया तो फिर इसे लगाने में देरी क्यों हुई. विपक्ष इसी को लेकर निशाना भी साध रहा है.
22 अप्रैल को संक्रमण की दर 11.36%
बिहार में इस साल 8 मार्च तक कोरोना संक्रमितों की संख्या केवल 248 रह गई थी. लेकिन एकाएक दूसरी लहर में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने लगी. 22 मार्च को बिहार में कोरोना संक्रमण का दर केवल 0.2 प्रतिशत था. लेकिन एक महीने बाद यानी 22 अप्रैल को यह बढ़कर 11.36% तक पहुंच गया और 5 मई तक यह 15.58% से अधिक हो गया. इसके बाद ही बिहार में लॉकडाउन लगा.
30 अप्रैल को रिकॉर्ड 15853 कोरोना संक्रमित
लॉकडाउन लगते ही कोरोना संक्रमण की दर घटना शुरू हो गई. लॉकडाउन के 10 दिनों बाद ये 5% हो गया. बिहार में 30 अप्रैल को रिकॉर्ड 15853 कोरोना संक्रमित मिले थे. लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद 10 दिनों में यह संख्या घटकर आधे से भी कम हो गया. 17 मई को कोरोन संक्रमितों की संख्या 5920 तक पहुंच गई.
विपक्ष ने पहले ही की थी लॉकडाउन की मांग
गौरतलब है कि बिहार सहित कई राज्यों में लॉकडाउन लगा हुआ है और उसका असर भी दिख रहा है. दिल्ली, महाराष्ट्र, यूपी सहित अन्य राज्यों में लगातार कोना संक्रमित के केस घट रहे हैं. बिहार में 5 मई को जब लॉकडाउन लगा तो कोरोना संक्रमण नई ऊंचाइयों को छू रहा था. लॉकडाउन लगने के बाद संक्रमण लगातार घटने लगा.
हालांकि पांच मई से पहले सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस, आरजेडी और सहयोगी बीजेपी ने भी लॉकडाउन की मांग की थी और अब विपक्ष इसी को लेकर निशाना भी साध रहा है.
'बिहार में नीतीश सरकार कोरोना काल में पूरी तरह फेल हो गई है. आंकड़ों का खेल कर रही है. पिछले साल कोरोना आंकड़ों का घोटाला भी सामने आया था. आरजेडी प्रवक्ता का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सर्वदलीय बैठक में ही लॉकडाउन लगाने की मांग की थी. लेकिन जब संक्रमण सब जगह फैल गया तब जाकर लॉकडाउन लगाया गया'- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता, आरजेडी
'पिछले साल जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में लॉकडाउन लगाया तो कई दलों के नेताओं ने कई तरह के आरोप लगाए थे और इस साल राज्यों को अधिकार दिया गया कि अपने हिसाब से चीजों की समीक्षा कर फैसला लें. राज्य सरकार राज्य की स्थितियों के अनुसार फैसला ले रहे हैं, लॉकडाउन लगा रहे हैं'- नितिन नवीन, मंत्री, बीजेपी
राजधानी पटना अभी भी संक्रमण का हॉटस्पॉट
बता दें कि संक्रमण दर कम होने के बावजूद राजधानी पटना अभी भी संक्रमित मरीजों को लेकर हॉटस्पॉट बना हुआ है और लगातार 1000 से अधिक संक्रमित मिल रहे हैं. पटना में 6 मई को रिकॉर्ड 3665 मरीज मिले थे. लॉकडाउन लगने के बाद राजधानी में भी संक्रमण का दर घटा लेकिन अभी भी 1100 से 1200 के बीच राजधानी में कोरोना संक्रमित के केस मिल रहे हैं. लगातार 25 से अधिक लोगों की मौत भी हो रही है, जिसे एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है. ब्लैक फंगस के भी मामले लगातार बढ़ रहे हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण के दर घटने से लोगों को राहत भी मिली है.