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पटना नगर निगम के वार्षिक बजट को लेकर नगर आयुक्त और वार्ड पार्षद समिति के बीच बढ़ी तकरार - Controversy over annual budge

पटना नगर निगम के बजट को लेकर वार्ड पार्षद सशक्त स्थाई समिति और नगर आयुक्त के बीच तकरार बढ़ गई है. पूरे मामले पर ईटीवी भारत ने सभी पक्षों की दलील सुनी हैं. पढ़ें और देखें, पूरी खबर....

पटना से अरविंद राठौर की रिपोर्ट
पटना से अरविंद राठौर की रिपोर्ट
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Published : Dec 20, 2020, 6:49 PM IST

पटना : शहर के विकास को लेकर पटना नगर निगम हर साल अपना वार्षिक बजट पेश करता है. 2020-21 का जो बजट पेश किया गया था, वह लगभग 35 सौ करोड़ रुपए का था. 2021-22 का बजट मार्च महीने में पेश किया जाएगा. लेकिन 2020-21 का जो बजट है, उस बजट का पैसा नगर विकास विभाग से मिला या नहीं इसको लेकर वार्ड पार्षद सशक्त स्थाई समिति के सदस्य और नगर आयुक्त में तकरार बढ़ गई है.

वार्ड पार्षदों का कहना है कि नगर विकास विभाग के तरफ से निगम द्वारा पेश किए गए बजट कब पैसा अभी मिला नहीं है, जिससे काम करने में समस्या हो रही है. वहीं नगर आयुक्त का मानना है कि नगर विकास विभाग के तरफ से बजट का पैसा मिल चुका है और काम भी हो रहा है. पटना नगर निगम का वित्तीय वर्ष 2020-21 का बजट 4017 करोड़ रुपये पेश करने के लिए बनाया गया था. बजट तो पेश हो पाया था लेकिन 3500 करोड़ रुपये की मंजूरी मिस पाई थी. अतिरिक्त सभी 75 वार्ड पार्षदों को दो-दो करोड़ रुपये अपने-अपने वार्ड में खर्च के लिए दिया गया था.

पटना से अरविंद राठौर की रिपोर्ट

स्थाई समिति ने खड़े किए सवाल
वहीं, नगर विकास विभाग से जो निगम को बजट का पैसा मिलता है, वह अभी पूरी तरह से नहीं मिल पाया है. इसको लेकर नगर निगम के वार्ड पार्षद और सशक्त स्थाई समिति के सदस्य विभाग के साथ नगर विकास विभाग पर भी सवाल खड़ा करने लगे हैं. वार्ड नंबर 9 के पार्षद अभिषेक कुमार बताते हैं कि निगम काम करने में काफी लापरवाही बरत रहा है क्योंकि जब वार्षिक बजट पेश हुआ था. उस बजट में वेंडिंग जोन से लेकर सामुदायिक भवन तक बनाने की योजना थी. लेकिन अभी तक कोई भी काम शुरू नहीं हो पाया है. वहीं, सशक्त स्थाई समिति के सदस्य इंद्रदीप चंद्रवंशी का मानना है कि निगम अपना काम तो बखूबी करता है लेकिन सरकार के तरफ से कुछ सहयोग नहीं मिल पाता है. वार्षिक बजट जो हमारा है, उस बजट का भी पैसा सरकार के तरफ से नहीं मिल पाता है. इसकी वजह से काम आधे अधूरे ही रह जाते हैं.

'सरकार की अनदेखी'
इंद्रदीप ने कहा कि सरकार के अनदेखी की वजह से नगर निगम को अपने शहर वासियों के आगे जलील होना पड़ रहा है. वहीं, आशीष सिन्हा का मानना है कि हमारा जो बजट पास हुआ था. उसमें प्रमुख कामों में से एक वेंडिंग जोन का निर्माण प्रमुख था ताकि सड़कों पर जाम की समस्या ना हो सके. इसके अलावा शहर का सौंदर्यीकरण को लेकर भी नगर निगम का योजना चला रहा है. लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की सुस्ती की वजह और सरकार के अनदेखी नगर निगम को बजट का पैसा अवेलेबल नहीं कराने के कारण कई योजना अधर में हैं. ऐसे में हम शहर का विकास कैसे कर सकते हैं.

हिमांशु शर्मा, नगर आयुक्त
हिमांशु शर्मा, नगर आयुक्त

मिल चुका है पूरा पैसा- नगर आयुक्त
पूरे मामले को पर पटना नगर निगम के नगर आयुक्त हिमांशु शर्मा ने कहा कि सरकार की तरफ से निगम को लगभग पूरा पैसा मिल चुका है. पैसा लगभग मिल चुका है, 3550 करोड़ का बजट, जो लास्ट ईयर का था. उसमें व्यावसायिक प्रतिष्ठान आना है. इसके लिए कमर्शियल प्रॉपर्टीज पर 200 करोड़ का इनकम का लक्ष्य रखा था. एजेंसी को प्रभार दिया गया है और वो कर रही हैं.

तीन तरह से मिलता है फंड
नगर आयुक्त ने कहा कि नगर विकास विभाग के माध्यम से जो हमे फंड मिलता है, वो तीन तरह से मिलता है. फिफ्टिन फाईनेंस कमीशन, सिक्स फाईनेंस कमीशन इसके अलावा राज्य योजना आयोग की ओर से जारी किया जाता है. फिफ्टिन फाईनेंस कमीशन मे हम लोगों को 408 करोड़ इस वित्त वर्ष मे आना है. इसमें 204 करोड़ हमे मिल चुका है. सिक्क फाईनेंस कमीशन के माध्यम से 118 करोड़ आना है. ऐसी उम्मीद है कि ये 25 दिसंबर तक मिल जाएगा. वहीं, राज्य योजना आयोग के माध्यम से जो फंड मिलता है, उसमें कार्य योजनाएं शामिल हैं. नगर विकास विभाग की ओर से जलजमाव को लेकर 60 करोड़ और नल जल के लेकर 15 करोड़ की राशि मिली है. ऐसे में बिहार में कुल 300 करोड़ रुपये का खर्च सालाना होता है.

गौरतलब है कि शहर के विकास के लिए नगर निगम कई तरह के टैक्स की वसूली भी करता है. ताकि लोगों को अच्छी सुविधा मिल सके. इसके अलावा सरकार की तरफ से बजट को लेकर जो फंड आता है, उस फंड से निगम शहर के विकास सौंदर्यीकरण पर खर्च करता है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में निगम की तरफ से जो बजट पेश किया गया था, उस बजट के पैसे को लेकर निगम के जनप्रतिनिधि और अधिकारियों के बीच तकरार होती हुई दिख रही है. ऐसे में साफ पता चलता है कि अधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि के बीच का मनमुटाव शहर के विकास पर बाधा बन रहा है.

पटना : शहर के विकास को लेकर पटना नगर निगम हर साल अपना वार्षिक बजट पेश करता है. 2020-21 का जो बजट पेश किया गया था, वह लगभग 35 सौ करोड़ रुपए का था. 2021-22 का बजट मार्च महीने में पेश किया जाएगा. लेकिन 2020-21 का जो बजट है, उस बजट का पैसा नगर विकास विभाग से मिला या नहीं इसको लेकर वार्ड पार्षद सशक्त स्थाई समिति के सदस्य और नगर आयुक्त में तकरार बढ़ गई है.

वार्ड पार्षदों का कहना है कि नगर विकास विभाग के तरफ से निगम द्वारा पेश किए गए बजट कब पैसा अभी मिला नहीं है, जिससे काम करने में समस्या हो रही है. वहीं नगर आयुक्त का मानना है कि नगर विकास विभाग के तरफ से बजट का पैसा मिल चुका है और काम भी हो रहा है. पटना नगर निगम का वित्तीय वर्ष 2020-21 का बजट 4017 करोड़ रुपये पेश करने के लिए बनाया गया था. बजट तो पेश हो पाया था लेकिन 3500 करोड़ रुपये की मंजूरी मिस पाई थी. अतिरिक्त सभी 75 वार्ड पार्षदों को दो-दो करोड़ रुपये अपने-अपने वार्ड में खर्च के लिए दिया गया था.

पटना से अरविंद राठौर की रिपोर्ट

स्थाई समिति ने खड़े किए सवाल
वहीं, नगर विकास विभाग से जो निगम को बजट का पैसा मिलता है, वह अभी पूरी तरह से नहीं मिल पाया है. इसको लेकर नगर निगम के वार्ड पार्षद और सशक्त स्थाई समिति के सदस्य विभाग के साथ नगर विकास विभाग पर भी सवाल खड़ा करने लगे हैं. वार्ड नंबर 9 के पार्षद अभिषेक कुमार बताते हैं कि निगम काम करने में काफी लापरवाही बरत रहा है क्योंकि जब वार्षिक बजट पेश हुआ था. उस बजट में वेंडिंग जोन से लेकर सामुदायिक भवन तक बनाने की योजना थी. लेकिन अभी तक कोई भी काम शुरू नहीं हो पाया है. वहीं, सशक्त स्थाई समिति के सदस्य इंद्रदीप चंद्रवंशी का मानना है कि निगम अपना काम तो बखूबी करता है लेकिन सरकार के तरफ से कुछ सहयोग नहीं मिल पाता है. वार्षिक बजट जो हमारा है, उस बजट का भी पैसा सरकार के तरफ से नहीं मिल पाता है. इसकी वजह से काम आधे अधूरे ही रह जाते हैं.

'सरकार की अनदेखी'
इंद्रदीप ने कहा कि सरकार के अनदेखी की वजह से नगर निगम को अपने शहर वासियों के आगे जलील होना पड़ रहा है. वहीं, आशीष सिन्हा का मानना है कि हमारा जो बजट पास हुआ था. उसमें प्रमुख कामों में से एक वेंडिंग जोन का निर्माण प्रमुख था ताकि सड़कों पर जाम की समस्या ना हो सके. इसके अलावा शहर का सौंदर्यीकरण को लेकर भी नगर निगम का योजना चला रहा है. लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की सुस्ती की वजह और सरकार के अनदेखी नगर निगम को बजट का पैसा अवेलेबल नहीं कराने के कारण कई योजना अधर में हैं. ऐसे में हम शहर का विकास कैसे कर सकते हैं.

हिमांशु शर्मा, नगर आयुक्त
हिमांशु शर्मा, नगर आयुक्त

मिल चुका है पूरा पैसा- नगर आयुक्त
पूरे मामले को पर पटना नगर निगम के नगर आयुक्त हिमांशु शर्मा ने कहा कि सरकार की तरफ से निगम को लगभग पूरा पैसा मिल चुका है. पैसा लगभग मिल चुका है, 3550 करोड़ का बजट, जो लास्ट ईयर का था. उसमें व्यावसायिक प्रतिष्ठान आना है. इसके लिए कमर्शियल प्रॉपर्टीज पर 200 करोड़ का इनकम का लक्ष्य रखा था. एजेंसी को प्रभार दिया गया है और वो कर रही हैं.

तीन तरह से मिलता है फंड
नगर आयुक्त ने कहा कि नगर विकास विभाग के माध्यम से जो हमे फंड मिलता है, वो तीन तरह से मिलता है. फिफ्टिन फाईनेंस कमीशन, सिक्स फाईनेंस कमीशन इसके अलावा राज्य योजना आयोग की ओर से जारी किया जाता है. फिफ्टिन फाईनेंस कमीशन मे हम लोगों को 408 करोड़ इस वित्त वर्ष मे आना है. इसमें 204 करोड़ हमे मिल चुका है. सिक्क फाईनेंस कमीशन के माध्यम से 118 करोड़ आना है. ऐसी उम्मीद है कि ये 25 दिसंबर तक मिल जाएगा. वहीं, राज्य योजना आयोग के माध्यम से जो फंड मिलता है, उसमें कार्य योजनाएं शामिल हैं. नगर विकास विभाग की ओर से जलजमाव को लेकर 60 करोड़ और नल जल के लेकर 15 करोड़ की राशि मिली है. ऐसे में बिहार में कुल 300 करोड़ रुपये का खर्च सालाना होता है.

गौरतलब है कि शहर के विकास के लिए नगर निगम कई तरह के टैक्स की वसूली भी करता है. ताकि लोगों को अच्छी सुविधा मिल सके. इसके अलावा सरकार की तरफ से बजट को लेकर जो फंड आता है, उस फंड से निगम शहर के विकास सौंदर्यीकरण पर खर्च करता है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में निगम की तरफ से जो बजट पेश किया गया था, उस बजट के पैसे को लेकर निगम के जनप्रतिनिधि और अधिकारियों के बीच तकरार होती हुई दिख रही है. ऐसे में साफ पता चलता है कि अधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि के बीच का मनमुटाव शहर के विकास पर बाधा बन रहा है.

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