पटना: वर्ष 2006 से वर्ष 2015 के दौरान सर्टिफिकेट लाओ नौकरी पाओ की तर्ज पर विभिन्न पंचायत इकाइयों में नौकरी कर रहे बिहार के करीब 90000 शिक्षकों को निगरानी विभाग ने उनके सर्टिफिकेट वेरीफाई नहीं होने की स्थिति में संदिग्ध की श्रेणी में रखा था. ऐसे शिक्षकों को शिक्षा विभाग (Education Department) ने 21 जून से 20 जुलाई के बीच अपने सर्टिफिकेट एनआईसी पोर्टल (NIC Portal) पर अपलोड (upload certificate) करने का निर्देश दिया था. लेकिन अब तक सिर्फ 11000 शिक्षकों ने ही सर्टिफिकेट अपलोड किया है.
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शिक्षा विभाग के निर्देश ने स्पष्ट किया गया था कि जो शिक्षक 20 जुलाई तक अपने सर्टिफिकेट शिक्षा विभाग के पोर्टल पर अपलोड नहीं करेंगे उन्हें फर्जी मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक अब तक करीब 11000 शिक्षकों ने ही अपने सर्टिफिकेट पोर्टल पर अपलोड किए हैं जबकि कुल 90000 शिक्षकों को अपने सर्टिफिकेट अपलोड करने हैं.
ऐसे में यह बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या करीब 80000 शिक्षक फर्जी छात्र सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रहे हैं क्योंकि अगर वह किसी कारणवश अपने सर्टिफिकेट अपलोड नहीं करते हैं तो शिक्षा विभाग यह मान लेगा कि अब उनके पास कहने को कुछ नहीं है. क्योंकि उन्हें पर्याप्त मौका दिया जा चुका है.
'यह सारी गलती दरअसल शिक्षा विभाग की है जिसने सभी पंचायत इकाइयों को रिक्रूटमेंट बोर्ड का दर्जा दे दिया और वहां जमकर भ्रष्टाचार हुआ और मनमानी हुई. इसका खामियाजा आज शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है. ऑनलाइन पोर्टल में कई तरह की परेशानियां है जिसके बारे में शिक्षा विभाग को लिखा गया है. पहले शिक्षा विभाग परेशानियां दूर करे. अगर शिक्षकों को यूंही नौकरी से हटाया गया तो हम आंदोलन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे.'- मनोज कुमार, कार्यकारी अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार के मुताबिक 20 जुलाई तक संदिग्ध की श्रेणी में शामिल जो टीचर अपने सर्टिफिकेट अपलोड नहीं करेंगे उन्हें ना सिर्फ नौकरी से निकाला जाएगा बल्कि उनसे वेतन की वसूली होगी और उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जाएगी.