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मिथिलांचल में हाशिये पर नजर आ रही कांग्रेस, लड़ रही अस्तित्व की लड़ाई - patna

कांग्रेस मिथिलांचल में हाशिये पर नजर आ रही है. टिकट बंटवारे में सिर्फ सुपौल और समस्तीपुर सीट कांग्रेस के खाते में आयी है.

कांग्रेस कार्यालय
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Published : Apr 19, 2019, 11:46 PM IST

पटना: कांग्रेस के लिए मिथिलांचल शुरू से परंपरागत गढ़ रहा है. लेकिन इस बार स्थिति बदली-बदली सी लग रही है. इस बार कांग्रेस मिथिलांचल में हासिये पर नजर आ रही है. टिकट बंटवारे में सुपौल और समस्तीपुर का सीट जरूर कांग्रेस के खाते में आयी है. लेकिन सुपौल की सीट भी विवादों में है रंजीता रंजन पप्पू यादव की पत्नी और सीटिंग सांसद भी हैं.


पप्पू यादव मधेपुरा से चुनाव लड़ रहे हैं. मधेपुरा में आरजेडी का उम्मीदवार भी चुनाव लड़ रहा है. इसी कारण से आरजेडी के नेता सुपौल में रंजीता रंजन के खिलाफ हैं. मधुबनी सीट पर भी कांग्रेस के शकील अहमद नॉमिनेशन कर चुके हैं. इसके कारण महागठबंधन में उठापटक मची हुई है।

पटना से खास रिपोर्ट

दरभंगा और मधुबनी सीट नहीं मिली
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिथिलांचल में दरभंगा और मधुबनी सीट मिलने की पूरी उम्मीद थी. लेकिन इस बार आरजेडी के सामने कांग्रेस अपने दावे पर कमजोर पड़ गई. इसी कारण मधुबनी, दरभंगा, झंझारपुर, बेगूसराय, सीतामढ़ी, शिवहर सीट पर एक नहीं चली. कांग्रेस के लिए चिंताजनक बात इसलिए भी है की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा मिथिलांचल से आते हैं. राष्ट्रीय प्रवक्ता शकील अहमद, प्रेमचंद्र मिश्रा, हरखू झा, कृपानाथ पाठक पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. बावजूद इसके मिथिलांचल में कांग्रेस को न तो टिकट दिला सके और जो टिकट मिला है उसमें न उसका विवाद ही समाप्त करा सके.

कांग्रेस की खराब होती स्थिति के लिए आरजेडी जिम्मेदार
कांग्रेस की खराब होती स्थिति के लिए पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा लगातार आरजेडी को दोषी बताते रहे हैं. जगन्नाथ मिश्रा सक्रिय राजनीति से हटने से पहले कांग्रेस छोड़ चुके थे और उनके पुत्र नीतीश मिश्रा बीजेपी में है. विशेषज्ञ का कहना है कि कमजोर नेतृत्व के कारण ही ऐसा हो रहा है. प्रोफेसर डी.एम दिवाकर का कहना है कि कभी पार्टी में कई बड़े नेता थे. लेकिन अब वह स्थिति नहीं है वैसे तो प्रदेश अध्यक्ष वहीं से हैं लेकिन उनकी चलती नहीं है.

कांग्रेस को ललित नारायण मिश्रा जैसे नेता भी मिले मिथिलांचल से
कभी मिथिलांचल में कांग्रेस को ललित नारायण मिश्रा जैसे नेता भी मिले थे .उनके जाने के बाद कांग्रेस की स्थिति लगातार दयनीय होती गई. आरजेडी को समर्पण करने के बाद पार्टी का जनाधार भी समाप्त होता गया. कई बड़े नेता दूसरे दल में चले गए. इसलिए इस बार मिथिलांचल में कांग्रेस की नैया डूबी नजर आ रही है. समस्तीपुर सीट से जहां अशोक राम चुनाव लड़ रहे हैं, वहां भी आरजेडी खेमे का पूरा सपोर्ट उन्हें नहीं मिल रहा है.

सीट कम मिलने से पार्टी में है नाराजगी
इस बार 40 सीट में कांग्रेस 16 सीट का का दावा करती रही लेकिन मात्र 9 सीट मिली. मिथिलांचल का दरभंगा सीट जो महत्वपूर्ण है कांग्रेस के लिए वह भी नहीं मिला. मिथिलांचल में सही संख्या में सीटें नहीं मिलने से पार्टी में काफी नाराजगी भी है.

पटना: कांग्रेस के लिए मिथिलांचल शुरू से परंपरागत गढ़ रहा है. लेकिन इस बार स्थिति बदली-बदली सी लग रही है. इस बार कांग्रेस मिथिलांचल में हासिये पर नजर आ रही है. टिकट बंटवारे में सुपौल और समस्तीपुर का सीट जरूर कांग्रेस के खाते में आयी है. लेकिन सुपौल की सीट भी विवादों में है रंजीता रंजन पप्पू यादव की पत्नी और सीटिंग सांसद भी हैं.


पप्पू यादव मधेपुरा से चुनाव लड़ रहे हैं. मधेपुरा में आरजेडी का उम्मीदवार भी चुनाव लड़ रहा है. इसी कारण से आरजेडी के नेता सुपौल में रंजीता रंजन के खिलाफ हैं. मधुबनी सीट पर भी कांग्रेस के शकील अहमद नॉमिनेशन कर चुके हैं. इसके कारण महागठबंधन में उठापटक मची हुई है।

पटना से खास रिपोर्ट

दरभंगा और मधुबनी सीट नहीं मिली
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिथिलांचल में दरभंगा और मधुबनी सीट मिलने की पूरी उम्मीद थी. लेकिन इस बार आरजेडी के सामने कांग्रेस अपने दावे पर कमजोर पड़ गई. इसी कारण मधुबनी, दरभंगा, झंझारपुर, बेगूसराय, सीतामढ़ी, शिवहर सीट पर एक नहीं चली. कांग्रेस के लिए चिंताजनक बात इसलिए भी है की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा मिथिलांचल से आते हैं. राष्ट्रीय प्रवक्ता शकील अहमद, प्रेमचंद्र मिश्रा, हरखू झा, कृपानाथ पाठक पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. बावजूद इसके मिथिलांचल में कांग्रेस को न तो टिकट दिला सके और जो टिकट मिला है उसमें न उसका विवाद ही समाप्त करा सके.

कांग्रेस की खराब होती स्थिति के लिए आरजेडी जिम्मेदार
कांग्रेस की खराब होती स्थिति के लिए पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा लगातार आरजेडी को दोषी बताते रहे हैं. जगन्नाथ मिश्रा सक्रिय राजनीति से हटने से पहले कांग्रेस छोड़ चुके थे और उनके पुत्र नीतीश मिश्रा बीजेपी में है. विशेषज्ञ का कहना है कि कमजोर नेतृत्व के कारण ही ऐसा हो रहा है. प्रोफेसर डी.एम दिवाकर का कहना है कि कभी पार्टी में कई बड़े नेता थे. लेकिन अब वह स्थिति नहीं है वैसे तो प्रदेश अध्यक्ष वहीं से हैं लेकिन उनकी चलती नहीं है.

कांग्रेस को ललित नारायण मिश्रा जैसे नेता भी मिले मिथिलांचल से
कभी मिथिलांचल में कांग्रेस को ललित नारायण मिश्रा जैसे नेता भी मिले थे .उनके जाने के बाद कांग्रेस की स्थिति लगातार दयनीय होती गई. आरजेडी को समर्पण करने के बाद पार्टी का जनाधार भी समाप्त होता गया. कई बड़े नेता दूसरे दल में चले गए. इसलिए इस बार मिथिलांचल में कांग्रेस की नैया डूबी नजर आ रही है. समस्तीपुर सीट से जहां अशोक राम चुनाव लड़ रहे हैं, वहां भी आरजेडी खेमे का पूरा सपोर्ट उन्हें नहीं मिल रहा है.

सीट कम मिलने से पार्टी में है नाराजगी
इस बार 40 सीट में कांग्रेस 16 सीट का का दावा करती रही लेकिन मात्र 9 सीट मिली. मिथिलांचल का दरभंगा सीट जो महत्वपूर्ण है कांग्रेस के लिए वह भी नहीं मिला. मिथिलांचल में सही संख्या में सीटें नहीं मिलने से पार्टी में काफी नाराजगी भी है.

Intro:पटना--- कांग्रेस के लिए मिथिलांचल शुरू से परंपरागत गढ़ रहा है लेकिन इस बार स्थिति बदली बदली सी लग रही है इस बार कांग्रेस मिथिलांचल में हासिये पर नजर आ रही है टिकट बंटवारे में सुपौल और समस्तीपुर का सीट जरूर कांग्रेस के खाते में आया है लेकिन सुपौल का सीट भी विवादों में है रंजीता रंजन पप्पू यादव की पत्नी हैं और सीटिंग सांसद भी। पप्पू यादव मधेपुरा से चुनाव लड़ रहे हैं मधेपुरा में आरजेडी का उम्मीदवार चुनाव लड़ रहा है इसी कारण आरजेडी के नेता सुपौल में रजत रंजीता रंजन के खिलाफ हैं । मधुबनी सीट पर भी कांग्रेस के शकील अहमद नॉमिनेशन कर चुके हैं इसके कारण महागठबंधन में उठापटक मचा है।


Body:लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिथिलांचल में दरभंगा और मधुबनी सीट मिलने की पूरी उम्मीद थी लेकिन इस बार आरजेडी के सामने कांग्रेस अपने दावे पर कमजोर पड़ गई और इसी कारण मधुबनी, दरभंगा, झंझारपुर, बेगूसराय, सीतामढ़ी, शिवहर पर एक नहीं चला । कांग्रेस के लिए चिंताजनक बात इसलिए भी है की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा मिथिलांचल से आते हैं राष्ट्रीय प्रवक्ता शकील अहमद, प्रेमचंद्र मिश्रा, हरखू झा, कृपानाथ पाठक श्री पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं बावजूद मिथिलांचल में कांग्रेस को न तो टिकट दिला सके और जो टिकट मिला है उसमें उसका विवाद ही समाप्त करा सके। कांग्रेस की खराब होती स्थिति के लिए पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा लगातार आरजेडी को दोषी बताते रहे हैं । जगन्नाथ मिश्रा सक्रिय राजनीति से हटने से पहले कांग्रेस छोड़ चुके थे और उनके पुत्र बीजेपी में है। विशेषज्ञ का कहना है कि कमजोर नेतृत्व के कारण ही ऐसा हो रहा है प्रोफेसर डीएम दिवाकर का कहना है कि कभी पार्टी में कई बड़े नेता थे लेकिन अब वह स्थिति नहीं है ऐसे तो प्रदेश अध्यक्ष वही से हैं लेकिन उनकी चलती नहीं है ।
बाईट--डी एम दिवाकर, प्रोफेसर, ए एन सिन्हा संस्थान।


Conclusion:कभी मिथिलांचल में कांग्रेस को ललित नारायण जैसे नेता भी मिले थे उनके जाने के बाद कांग्रेस की स्थिति लगातार दयनीय होती गई । आरजेडी को समर्पण करने के बाद पार्टी का जनाधार भी समाप्त होता गया कई बड़े नेता दूसरे दल में चले गए। इसलिये इस बार मिथिलांचल में कांग्रेस की नैया डूबी नजर आ रही है समस्तीपुर का सीट जहां अशोक राम चुनाव लड़ रहे हैं वहां भी आरजेडी खेमे का पूरा सपोर्ट नहीं मिल रहा है। इस बार 40 सीट में कांग्रेस 16 सीट का का दावा करती रही लेकिन मिला मात्र 9 सीट । मिथिलांचल का दरभंगा सीट जो महत्वपूर्ण है कांग्रेस के लिए वह भी नहीं मिला। मिथिलांचल में सही संख्या में सीटें नहीं मिलने से पार्टी में काफी नाराजगी भी है।
अविनाश,पटना।
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