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कांग्रेस: झारखंड में सरकार, अब बिहार में तैयार

गठबंधन में चेहरे पर कोई विभेद नहीं था और कांग्रेस सहयोगी के तौर पर खड़ी थी, तो उसका फायदा भी कांग्रेस को सीट के रूप में मिला. हालांकि यह प्रयोग कांग्रेस के लिए 2015 में बिहार जैसा ही रहा.

congress party is ready for vidhansabha election in bihar
झारखंड में सरकार, अब बिहार में तैयार
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Published : Dec 25, 2019, 11:51 AM IST

पटना: झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव के परिणामों में कांग्रेस ने जिस तरीके से राजनैतिक वापसी की है. उसके बाद बिहार में भी कांग्रेस के विधानसभा चुनाव की तैयारी और पार्टी को मजबूत करने की रणनीति को नया आयाम मिल गया है. देश में बीजेपी के खिलाफ खड़े हो रहे गठबंधन में कांग्रेस की भूमिका अहम है. 2020 में बिहार विधानसभा के लिए चुनाव होना है. सत्ता की हुकूमत की जंग के लिए सभी राजनैतिक दल अभी से चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. 2020 में चुनावी तैयारी विपक्ष की एकजुटता पर निर्भर करती है, जो झारखंड में कांग्रेस ने बाकी राजनीतिक दलों के साथ गठजोड़ में रह कर दिखाया है.

कांग्रेस को सीट के रूप में मिला फायदा
गठबंधन में चेहरे पर कोई विभेद नहीं था और कांग्रेस सहयोगी के तौर पर खड़ी थी, तो उसका फायदा भी कांग्रेस को सीट के रूप में मिला. हालांकि यह प्रयोग कांग्रेस के लिए 2015 में बिहार जैसा ही रहा. 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जब नीतीश और लालू के बीच गठबंधन का सूत्र बनी, तो 3 सीटों पर सिमटी कांग्रेस 27 सीटों तक पहुंच गई. झारखंड में भी कमोबेश स्थिति ऐसी ही रही. गठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा और राजद के साथ हमराही बनी कांग्रेस ने 7 से 16 सीटों का सफर पूरा कर लिया है.

झारखंड में सरकार, अब बिहार में तैयार
महागठबंधन के सभी नेता

गठबंधन के फार्मूले को लेकर चल रही कांग्रेस
2020 में बिहार विधानसभा का चुनाव होना है और इसको लेकर कांग्रेस ने अभी से माथापच्ची शुरू कर दी है. कांग्रेस के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस गठबंधन के फार्मूले को ही लेकर आगे चलना चाहती है. 2015 में बिहार में जिन सीटों पर कांग्रेस जीती थी. गठबंधन में कांग्रेस फिर यह चाहेगी कि उसके पास 27 सीटें बची रहे. विरोध और विभेद नहीं होने की पीछे की वजह यह भी है कि जिन 27 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. उस पर न तो राजद की कोई मजबूत दावेदारी थी और न तो जदयू इन सीटों पर झगड़ा चाहती थी. मामला साफ है कि अब जो महागठबंधन बिहार में खड़ा है, उसमें कांग्रेस की सीट की दावेदारी अभी तक तो पुख्ता है, जो 2015 में जीत के साथ कांग्रेस के खाते में आई थी. हालांकि महागठबंधन बिहार में किस स्वरूप में होगा, यह तो राजनीति के वक्त के तकाजे के अंदर कैद है. जो चुनाव की सियासी सरगर्मी बढ़ने के बाद ही पटल पर आएगी.

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महागठबंधन में मांझी के बने रहने पर संशय

महागठबंधन में शह मात का खेल जारी
बिहार में फिलहाल जो स्थिति बनी है उसमें गठबंधन में मांझी होंगे, यह बातें मझधार में है. कुशवाहा के साथ महागठबंधन में शह मात का खेल जारी है. राजद खुद को मजबूत करने में जुटी हुई है. ऐसे में राजद और कांग्रेस का कुनबा तो साथ जुड़ेगा. लेकिन बाकी गठबंधन में कौन आएगा, यह बड़ी बात होगी. सबसे अहम मामला जो 2020 में कांग्रेस के साथ बिहार की सियासत में जुड़ रहा है, वह यही है कि जिन 27 सीटों पर कांग्रेस ने 2015 में फतेह हासिल की थी. उसे बचा ले और नई सीटों पर कब्जा जमा लें. क्योंकि इस लड़ाई में अभी भी एनडीए उलझा हुआ है. उसमें नीतीश और मोदी के बीच चेहरे की जंग बिहार में नहीं होगी. इससे इनकार नहीं किया जा सकता और इसी विभेद का फायदा कांग्रेस और गठबंधन के लोग उठा सकते हैं.

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लालू परिवार में पारिवारिक कलह


पारिवारिक उलझन में लालू परिवार
राजद और लालू परिवार जिस पारिवारिक उलझन में पड़ा हुआ था और तेजस्वी ने झारखंड में जो मेहनत की उससे फिर राजद के एकजुटता और नेतृत्व में तेजस्वी को लेकर किसी तरह का संदेह नहीं रहा. अब कांग्रेस और राजद के बीच इस बात का समीकरण अभी से ही बैठाया जा रहा है कि अगर बिहार के और दल राजद के साथ नहीं आते हैं तो कांग्रेस और राजद साथ में चुनाव में लड़ेगें? यह झारखंड में हुए चुनावों के बाद चर्चा में है. लेकिन सियासत में कुछ भी हो सकता है और यही बिहार में कांग्रेस की नई राजनैतिक तैयारी का आधार होगा.

पटना: झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव के परिणामों में कांग्रेस ने जिस तरीके से राजनैतिक वापसी की है. उसके बाद बिहार में भी कांग्रेस के विधानसभा चुनाव की तैयारी और पार्टी को मजबूत करने की रणनीति को नया आयाम मिल गया है. देश में बीजेपी के खिलाफ खड़े हो रहे गठबंधन में कांग्रेस की भूमिका अहम है. 2020 में बिहार विधानसभा के लिए चुनाव होना है. सत्ता की हुकूमत की जंग के लिए सभी राजनैतिक दल अभी से चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. 2020 में चुनावी तैयारी विपक्ष की एकजुटता पर निर्भर करती है, जो झारखंड में कांग्रेस ने बाकी राजनीतिक दलों के साथ गठजोड़ में रह कर दिखाया है.

कांग्रेस को सीट के रूप में मिला फायदा
गठबंधन में चेहरे पर कोई विभेद नहीं था और कांग्रेस सहयोगी के तौर पर खड़ी थी, तो उसका फायदा भी कांग्रेस को सीट के रूप में मिला. हालांकि यह प्रयोग कांग्रेस के लिए 2015 में बिहार जैसा ही रहा. 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जब नीतीश और लालू के बीच गठबंधन का सूत्र बनी, तो 3 सीटों पर सिमटी कांग्रेस 27 सीटों तक पहुंच गई. झारखंड में भी कमोबेश स्थिति ऐसी ही रही. गठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा और राजद के साथ हमराही बनी कांग्रेस ने 7 से 16 सीटों का सफर पूरा कर लिया है.

झारखंड में सरकार, अब बिहार में तैयार
महागठबंधन के सभी नेता

गठबंधन के फार्मूले को लेकर चल रही कांग्रेस
2020 में बिहार विधानसभा का चुनाव होना है और इसको लेकर कांग्रेस ने अभी से माथापच्ची शुरू कर दी है. कांग्रेस के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस गठबंधन के फार्मूले को ही लेकर आगे चलना चाहती है. 2015 में बिहार में जिन सीटों पर कांग्रेस जीती थी. गठबंधन में कांग्रेस फिर यह चाहेगी कि उसके पास 27 सीटें बची रहे. विरोध और विभेद नहीं होने की पीछे की वजह यह भी है कि जिन 27 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. उस पर न तो राजद की कोई मजबूत दावेदारी थी और न तो जदयू इन सीटों पर झगड़ा चाहती थी. मामला साफ है कि अब जो महागठबंधन बिहार में खड़ा है, उसमें कांग्रेस की सीट की दावेदारी अभी तक तो पुख्ता है, जो 2015 में जीत के साथ कांग्रेस के खाते में आई थी. हालांकि महागठबंधन बिहार में किस स्वरूप में होगा, यह तो राजनीति के वक्त के तकाजे के अंदर कैद है. जो चुनाव की सियासी सरगर्मी बढ़ने के बाद ही पटल पर आएगी.

congress party is ready for vidhansabha election in bihar
महागठबंधन में मांझी के बने रहने पर संशय

महागठबंधन में शह मात का खेल जारी
बिहार में फिलहाल जो स्थिति बनी है उसमें गठबंधन में मांझी होंगे, यह बातें मझधार में है. कुशवाहा के साथ महागठबंधन में शह मात का खेल जारी है. राजद खुद को मजबूत करने में जुटी हुई है. ऐसे में राजद और कांग्रेस का कुनबा तो साथ जुड़ेगा. लेकिन बाकी गठबंधन में कौन आएगा, यह बड़ी बात होगी. सबसे अहम मामला जो 2020 में कांग्रेस के साथ बिहार की सियासत में जुड़ रहा है, वह यही है कि जिन 27 सीटों पर कांग्रेस ने 2015 में फतेह हासिल की थी. उसे बचा ले और नई सीटों पर कब्जा जमा लें. क्योंकि इस लड़ाई में अभी भी एनडीए उलझा हुआ है. उसमें नीतीश और मोदी के बीच चेहरे की जंग बिहार में नहीं होगी. इससे इनकार नहीं किया जा सकता और इसी विभेद का फायदा कांग्रेस और गठबंधन के लोग उठा सकते हैं.

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लालू परिवार में पारिवारिक कलह


पारिवारिक उलझन में लालू परिवार
राजद और लालू परिवार जिस पारिवारिक उलझन में पड़ा हुआ था और तेजस्वी ने झारखंड में जो मेहनत की उससे फिर राजद के एकजुटता और नेतृत्व में तेजस्वी को लेकर किसी तरह का संदेह नहीं रहा. अब कांग्रेस और राजद के बीच इस बात का समीकरण अभी से ही बैठाया जा रहा है कि अगर बिहार के और दल राजद के साथ नहीं आते हैं तो कांग्रेस और राजद साथ में चुनाव में लड़ेगें? यह झारखंड में हुए चुनावों के बाद चर्चा में है. लेकिन सियासत में कुछ भी हो सकता है और यही बिहार में कांग्रेस की नई राजनैतिक तैयारी का आधार होगा.

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