पटना: कांग्रेस (Congress) विधायक दल के नेता अजीत शर्मा (Ajit Sharma) ने सरकार को पत्र लिखकर सुरक्षा की गुहार लगाई है. उन्होंने कहा कि वह लगातार जिस तरह से बालू माफिया (Balu Mafia) और शराब माफिया (Liquor Mafia) के खिलाफ सदन के अंदर आवाज उठाते हैं. जिसकी वजह से वो इन माफियाओं के रडार पर आ गए हैं. लोगों का जनप्रतिनिधि होने के कारण उनकी आवाज दबे नहीं, इसलिए सुरक्षा को लेकर सरकार हमें सिक्योरिटी गार्ड मुहैया कराएं.
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कांग्रेस नेता अजीत शर्मा ने कहा है कि सुरक्षा की गुहार को लेकर हम कई बार राज्य सरकार को पत्र लिख चुके हैं. लेकिन अभी तक हमें सुरक्षा उपलब्ध नहीं करवाई गई है. आये दिन हम भागलपुर जाते हैं, जहां पर आम लोगों से घिरे रहते हैं. हमारी सुरक्षा वहां की जनता करती है. जनता द्वारा ही उन्हें पता चला है कि वो माफियाओं के रडार पर आ गए हैं.
''सरकार ने जब शराब बंदी लागू की थी, तो इसका समर्थन भी हम लोगों ने किया था. लेकिन, आज आए दिन शराब की तस्करी हो रही है. इस तस्करी के खिलाफ जब हम आवाज उठाते है, तो निश्चित ही उन माफियाओं के नजर में आ गए हैं. जिससे हमें जान का खतरा है.''- अजीत शर्मा, कांग्रेस विधायक दल के नेता
कांग्रेस नेता ने कहा कि आज बिहार के हर गांव कस्बों में शराब आसानी से उपलब्ध हो जा रही है. इससे साफ पता चलता है कि पदाधिकारियों की मिलीभगत से ही शराब की तस्करी हो रही है. जब इसकी आवाज हमने सदन के अंदर उठाई है, तो शराब माफियाओं ने हमें अपने टारगेट पर ले लिया है. उन्होंने कहा कि भागलपुर में रहते हैं तो वहां पर भी हमें डर रहता है. अब जब सरकार ने हमें आवास भी आवंटित करवा दिया है, यहां पर भी सुरक्षा नहीं है. इसलिए हमने एक बार फिर से पत्र लिखकर सुरक्षा की गुहार लगाई है.
अजीत शर्मा ने कहा कि जब शराब तस्करी रुक नहीं रही है. सरकार से तो निश्चित ही सरकार को शराब ओपन कर देना चाहिए और दोगुने और तिगुने कीमतों में बेचा जाए. ताकि राजस्व की भी कमी ना हो और शराब की तस्करी भी ना हो पाए.
शराब और बालू की तस्करी जिस तरह से हो रही है. इससे बिहार सरकार का राजस्व का घाटा हो रहा है. बालू तस्करी को लेकर जब सरकार ने केके पाठक के प्रधान सचिव बनाया था. उस समय तस्करी तो रुकी थी, लेकिन बालू माफियाओं के इशारों पर सरकार ने उन्हें बदल दिया और आज धड़ल्ले से बालू का व्यापार अन लीगल हो रहा है. इसी तरह शराब में भी अधिकारियों की मिलीभगत से ही तस्करी हो रही है.
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अजीत शर्मा ने कहा कि सरकार ढिंढोरा पिटती है कि सुशासन की सरकार है, लेकिन यहां जब एक पदाधिकारी पर एफआईआर दर्ज करवाने थाने में जाते हैं तो उसकी एफआईआर नहीं ली जाती है. जब महंगाई के खिलाफ कांग्रेस अपनी आवाज उठाती है, तो कोविड प्रोटोकॉल के तहत उन पर एफआईआर कर दी जाती है. इससे साफ पता चलता है कि सरकार सिर्फ अधिकारियों की ही बात सुनती है. जो पदाधिकारी सरकार के मनमाफिक काम नहीं करते हैं. उन्हें तत्काल हटा दिया जाता है. अब देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा द्वारा सुरक्षा को लेकर लिखे गए पत्र के बाद क्या इन्हें सुरक्षा मुहैया हो पाता है या नहीं.