पटना: बिहार में एक बार फिर से पेपर लीक कांड हुआ है. रविवार 1 अक्टूबर को आयोजित सिपाही भर्ती परीक्षा में प्रदेश के लगभग सभी जिलों से क्वेश्चन पेपर लीक होने के मामले सामने आए हैं. कई जगहों पर प्रशासन की कार्रवाई में परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों के हूबहू उत्तर सॉल्वर गैंग के पास मिले हैं. ऐसे में एक बार फिर से युवा निराश हुए हैं और बिहार की छवि देश भर में खराब हुई है.
सरकार की सहयोगी पार्टी ने की जांच की मांग: इन सब के बीच प्रदेश में सरकार की सहयोगी पार्टी कांग्रेस ने सरकार से इस पेपर लीक मामले की उच्च स्तरीय जांच करने की मांग करने के साथ-साथ कड़ी कार्रवाई करने की भी मांग कर दी है. बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने कहा कि पेपर लीक मामले पर कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है.
"सरकार को चाहिए कि एक उच्च स्तरीय जांच टीम बनाए जो देखे कि पेपर कैसे लीक हुआ है. पिछले दो-तीन बार से पेपर लीक हो रहा है, ऐसे में सभी चाहते हैं कि इस मामले पर त्वरित कार्रवाई हो."-अखिलेश सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस
प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक: वहीं कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक बिहार में ही नहीं हर राज्यों में होते हैं. लेकिन इस प्रकार की घटनाओं से विद्यार्थियों को काफी तकलीफ होती है. निष्पक्ष तरीके से उम्मीदवारों का चयन नहीं हो पता है. ऐसे में जरूरी है कि ऐसी घटनाओं की त्वरित जांच कर कार्रवाई की जाए. उसके साथी जो क्वेश्चन सेट छप चुके हैं उसे भी बदलना जरूरी है.
शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा: वहीं नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा की मांग पर शकील अहमद खान ने कहा कि इस पर एक गंभीर चर्चा सरकार में हुई है. जाहिर सी बात है कि नियोजित शिक्षकों को जब सरकारी कर्मी का दर्जा दिया जाएगा, उसके लिए ढेर सारी फॉर्मेलिटी है. बीते दिनों मुख्यमंत्री के साथ सभी पॉलीटिकल पार्टी की जो मीटिंग हुई थी जिसमें वह शामिल हुए थे इसमें सभी ने स्पष्ट कहा था कि नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा मिलना चाहिए.
"बिहार में नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देने को लेकर इस दिशा में प्रयास हो रहा है. सही समय पर इस बात की जानकारी भी सभी को मिल जाएगी."- शकील अहमद खान, नेता, विधायक दल