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पटना: व्यापारियों के लिए GST बना जंजाल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को भेजा विरोध पत्र

जिले में जीएसटी नियमों में धारा 86-बी जोड़ने को लेकर कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) बिहार समेत पूरे देश ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को एक पत्र भेजा है. उनका कहना है कि नियम से व्यापारियों के ऊपर बोझ ज्यादा बढ़ गया है.

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स
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Published : Dec 26, 2020, 8:50 AM IST

पटना: केंद्र सरकार के माध्यम से 22 दिसम्बर को जीएसटी नियमों में धारा 86-बी को जोड़ दिया गया है. यह नियम ऐसे व्यापारियों के लिए है जिनका मासिक टर्नओवर 50 लाख रुपये से ज्यादा है. अब ऐसे व्यापारियों को अनिवार्य रूप से 1 प्रतिशत जीएसटी जमा कराना पड़ेगा. लेकिन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने इस पर एतराज जताया है.

केंद्रीय वित्त मंत्री को भेजा गया पत्र
इस प्रावधान पर कड़ा एतराज जताते हुए कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) बिहार समेत पूरे देश ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को एक पत्र भेजकर मांग की है. उन्होंने कहा है कि इस नियम को तुरंत स्थगित किया जाए. 7 व्यापारियों से सलाह कर ही इसे लागू किया जाए. कैट ने यह भी मांग की है की जीएसटी और आयकर में ऑडिट की रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 दिसम्बर 2020 को भी तीन महीने के लिए आगे बढ़ाया जाए.

राष्ट्रीय और राष्ट्रीय महामंत्री ने रखी अपनी बात
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल बिहार अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा ने निर्मला सीतारमन को भेजे पत्र में अपनी बातों को रखा है. उन्होंने कहा है कि अब समय आ गया है जब एक बार सरकार को व्यापारियों के साथ बैठ कर अब तक जीएसटी कर प्रणाली की सम्पूर्ण समीक्षा की जाए. इसके साथ ही कर प्रणाली को सरलीकृत बनाया जाए और साथ ही किस तरह से कर का दायर बढ़ाया जाए. इसके साथ ही साथ केंद्र और राज्य सरकारों के राजस्व में वृद्धि को लेकर चर्चा की जाए. कैट ने इस मुद्दे पर निर्मला सीतारमन से मिलने का समय मांगा है.

व्यापारियों पर डालेगा आर्थिक बोझ
कैट बिहार अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा और महासचिव डॉ रमेश गांधी ने कहा है कि नियम 86-बी देशभर के व्यापारियों के व्यापार पर विपरीत असर डालेगा. कोरोना के कारण व्यापार में आई अनेक प्रकार की परेशानियों से व्यापारी पहले ही त्रस्त है. ऐसे में यह नया नियम व्यापारियों पर एक अतिरिक्त बोझ बनेगा. यह एक सर्व विदित तथ्य है की पिछले एक वर्ष से व्यापारियों का पेमेंट चक्र बुरी तरह बिगड़ गया है. लम्बे समय तक व्यापारियों के माध्यम से बेचे गए माल का भुगतान और जीएसटी की रकम महीनों तक नहीं आ रहा है. ऐसे में एक प्रतिशत का जीएसटी नकद जमा कराने का नियम व्यापारियों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालेगा जो न्याय संगत नहीं है.

सख्ती से निबटने की कही बात
कैट ने कहा कि जीएसटी विभाग के पास फर्जी बिलों के माध्यम से जीएसटी लेकर राजस्व को चूना लगाने वाले लोगों के खिलाफ शिकायत हैं तो ऐसे लोगों को कानून के मुताबिक बहुत सख्ती से निबटना चाहिए. लेकिन कुछ कथित लोगों की वजह से सभी व्यापारियों को एक ही लाठी से हांकना न तो तर्क संगत है और न ही न्याय संगत. लिहाजा इस नियम को फिलहाल स्थगित किया जाए.

व्यापारियों पर बढ़ रहा बोझ
वर्मा और गांधी ने यह भी कहा की पिछले समय में जीएसटी के नियमों में आए दिन मनमाने संशोधन कर व्यापारियों पर बोझ लगातार बढ़ाया जा रहा है, जो की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' के सिद्धांत के खिलाफ है. इससे जीएसटी कर प्रणाली बेहद जटिल हो गई है. यह बड़ा सवाल है कि व्यापारी व्यापार करे या फिर करों सहित अन्य कानूनों का पालन ही करता रहे जिससे उसका व्यापार बुरी तरह प्रभावित होता रहे.

अधिकारियों को दिए जा रहे असीमित अधिकारी
वर्मा और गांधी ने यह भी कहा कि अनेक नियमों ने माध्यम से अधिकारियों को असीमित अधिकार दिए जा रहे है, जो भ्रष्टाचार को पनपाएंगे. जीएसटी का पंजीकरण रद्द करने और गिरफ्तार करने के नियम बेहद कठोर है. इनपर पर चर्चा किया जाना आवश्यक है. यह बेहद खेद जनक है कि जीएसटी के किसी भी मामले में व्यापारियों से कोई भी सलाह मशवरा कतई नहीं किया जाता है. इसके कारण मनमाने नियम व्यापारियों के ऊपर लादे जा रहे हैं. उन्होंने जोर देकर कहा की एक बार जीएसटी की सम्पूर्ण कर प्रणाली कर व्यापक रूप से चर्चा होनी आवश्यक है. इससे न केवल व्यापारियों को सुविधा हो बल्कि सरकार के राजस्व में भी वृद्धि हो. व्यापारी सरकार के साथ सहयोग करने को तैय्यार हैं लेकिन कर प्रणाली जितनी सरल होगी और कर पालना जितना आसान होगा, उतनी ही अर्थव्यवस्था मजबूत होगी.

पटना: केंद्र सरकार के माध्यम से 22 दिसम्बर को जीएसटी नियमों में धारा 86-बी को जोड़ दिया गया है. यह नियम ऐसे व्यापारियों के लिए है जिनका मासिक टर्नओवर 50 लाख रुपये से ज्यादा है. अब ऐसे व्यापारियों को अनिवार्य रूप से 1 प्रतिशत जीएसटी जमा कराना पड़ेगा. लेकिन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने इस पर एतराज जताया है.

केंद्रीय वित्त मंत्री को भेजा गया पत्र
इस प्रावधान पर कड़ा एतराज जताते हुए कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) बिहार समेत पूरे देश ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को एक पत्र भेजकर मांग की है. उन्होंने कहा है कि इस नियम को तुरंत स्थगित किया जाए. 7 व्यापारियों से सलाह कर ही इसे लागू किया जाए. कैट ने यह भी मांग की है की जीएसटी और आयकर में ऑडिट की रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 दिसम्बर 2020 को भी तीन महीने के लिए आगे बढ़ाया जाए.

राष्ट्रीय और राष्ट्रीय महामंत्री ने रखी अपनी बात
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल बिहार अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा ने निर्मला सीतारमन को भेजे पत्र में अपनी बातों को रखा है. उन्होंने कहा है कि अब समय आ गया है जब एक बार सरकार को व्यापारियों के साथ बैठ कर अब तक जीएसटी कर प्रणाली की सम्पूर्ण समीक्षा की जाए. इसके साथ ही कर प्रणाली को सरलीकृत बनाया जाए और साथ ही किस तरह से कर का दायर बढ़ाया जाए. इसके साथ ही साथ केंद्र और राज्य सरकारों के राजस्व में वृद्धि को लेकर चर्चा की जाए. कैट ने इस मुद्दे पर निर्मला सीतारमन से मिलने का समय मांगा है.

व्यापारियों पर डालेगा आर्थिक बोझ
कैट बिहार अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा और महासचिव डॉ रमेश गांधी ने कहा है कि नियम 86-बी देशभर के व्यापारियों के व्यापार पर विपरीत असर डालेगा. कोरोना के कारण व्यापार में आई अनेक प्रकार की परेशानियों से व्यापारी पहले ही त्रस्त है. ऐसे में यह नया नियम व्यापारियों पर एक अतिरिक्त बोझ बनेगा. यह एक सर्व विदित तथ्य है की पिछले एक वर्ष से व्यापारियों का पेमेंट चक्र बुरी तरह बिगड़ गया है. लम्बे समय तक व्यापारियों के माध्यम से बेचे गए माल का भुगतान और जीएसटी की रकम महीनों तक नहीं आ रहा है. ऐसे में एक प्रतिशत का जीएसटी नकद जमा कराने का नियम व्यापारियों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालेगा जो न्याय संगत नहीं है.

सख्ती से निबटने की कही बात
कैट ने कहा कि जीएसटी विभाग के पास फर्जी बिलों के माध्यम से जीएसटी लेकर राजस्व को चूना लगाने वाले लोगों के खिलाफ शिकायत हैं तो ऐसे लोगों को कानून के मुताबिक बहुत सख्ती से निबटना चाहिए. लेकिन कुछ कथित लोगों की वजह से सभी व्यापारियों को एक ही लाठी से हांकना न तो तर्क संगत है और न ही न्याय संगत. लिहाजा इस नियम को फिलहाल स्थगित किया जाए.

व्यापारियों पर बढ़ रहा बोझ
वर्मा और गांधी ने यह भी कहा की पिछले समय में जीएसटी के नियमों में आए दिन मनमाने संशोधन कर व्यापारियों पर बोझ लगातार बढ़ाया जा रहा है, जो की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' के सिद्धांत के खिलाफ है. इससे जीएसटी कर प्रणाली बेहद जटिल हो गई है. यह बड़ा सवाल है कि व्यापारी व्यापार करे या फिर करों सहित अन्य कानूनों का पालन ही करता रहे जिससे उसका व्यापार बुरी तरह प्रभावित होता रहे.

अधिकारियों को दिए जा रहे असीमित अधिकारी
वर्मा और गांधी ने यह भी कहा कि अनेक नियमों ने माध्यम से अधिकारियों को असीमित अधिकार दिए जा रहे है, जो भ्रष्टाचार को पनपाएंगे. जीएसटी का पंजीकरण रद्द करने और गिरफ्तार करने के नियम बेहद कठोर है. इनपर पर चर्चा किया जाना आवश्यक है. यह बेहद खेद जनक है कि जीएसटी के किसी भी मामले में व्यापारियों से कोई भी सलाह मशवरा कतई नहीं किया जाता है. इसके कारण मनमाने नियम व्यापारियों के ऊपर लादे जा रहे हैं. उन्होंने जोर देकर कहा की एक बार जीएसटी की सम्पूर्ण कर प्रणाली कर व्यापक रूप से चर्चा होनी आवश्यक है. इससे न केवल व्यापारियों को सुविधा हो बल्कि सरकार के राजस्व में भी वृद्धि हो. व्यापारी सरकार के साथ सहयोग करने को तैय्यार हैं लेकिन कर प्रणाली जितनी सरल होगी और कर पालना जितना आसान होगा, उतनी ही अर्थव्यवस्था मजबूत होगी.

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