पटनाः बिहार सरकार ने सोशल मीडिया पर सरकार और सरकार के कर्मियों पर टिप्पणी करने वालों पर कार्रवाई करने का फैसला लिया है. इसके बाद से विपक्ष ने सरकार पर हमला करना शुरू कर दिया है. वाम नेता भी अब खुलकर इसका विरोध कर रहे हैं.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने बिहार सरकार पर निशाना साधा. सीपीआई के राज्य सचिव रामनरेश पांडे ने और सीपीआईएम के राज्य सचिव अवधेश कुमार ने कहा, यह फैसला लोकतंत्र के खिलाफ है. वहीं बिहार में बढ़ते क्राइम पर सरकार मौन साधी हुई है.
बढ़ रहा है साइबर क्राइम
''सरकार चाहती है कि उनके मंत्री, विधायक और कर्मियों के खिलाफ कोई कुछ ना बोले. वह जो कर रहे हैं, बस उन्हें देखते रहें. सरकार इतनी ही एक्टिव है तो बिहार में दिन-प्रतिदिन साइबर क्राइम बढ़ता जा रहा है. उस पर क्यों नहीं कोई कार्रवाई हो रही है. बिहार सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पर क्यों मौन हैं. अगर कार्रवाई करनी है तो पहले साइबर क्राइम पर लगाम लगाएं. लेकिन वह तो सरकार के बस की बात नहीं है. इसलिए हम लोगों के अधिकारों का हनन करते हुए तुगलकी फरमान जारी किया गया है.''- रामनरेश पांडे, राज्य सचिव, सीपीआई
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फैसले पर करना चाहिए पुनर्विचार
सीपीआई के राज्य सचिव रामनरेश पांडे ने आगे कहा, सत्ता पक्ष के खिलाफ कोई व्यक्ति अब आवाज भी नहीं उठा सकता है. सरकार का यह फैसला सरासर लोकतंत्र पर हमला है. सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए यह फैसला लोकतंत्र और जनतंत्र की हत्या है. बिहार के जनमानस को इससे बहुत चोट पहुंची है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चाहिए कि वह इस फैसले पर पुनर्विचार करें और इस फैसले को जल्द से जल्द बदलें.
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लोकतंत्र में सभी को बोलने का अधिकार
''लोकतंत्र में सभी को बोलने का अधिकार है लेकिन सरकार हिटलर शाही चला रही है लोगों को अब बोलने से भी रोका जाएगा. यह फैसला सरासर गलत है. जब हिटलर जैसे तानाशाही को जनता ने बर्दाश्त नहीं किया और उसे जाना पड़ा, तो मोदी सरकार और नीतीश सरकार क्या चीज है. बिहार सरकार का यह पत्र हिटलर शाही कदम को दर्शाता है. सरकार का यह फैसला अलोकतांत्रिक कदम है जिसकी हम घोर निंदा करते हैं.'' - अवधेश कुमार, सीपीआईएम के राज्य सचिव