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पटना: लॉकडाउन के दौरान गरीबों को भोजन कराने में जुटे हैं कॉलेज के छात्र - lockdown in patna

राजधानी पटना के बोरिंग रोड में भी ए एन कॉलेज और पटना यूनिवर्सिटी के विभिन्न कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों का एक समूह पिछले 26 दिनों से गरीबों की सेवा में जुटा है. 25 से 30 की संख्या में छात्र हैं, जो आपस में ही पैसा इकट्ठा कर रोजाना गरीबों के लिए 700 पैकेट खाना तैयार कर उनके बीच बांट रहे हैं.

पटना यूनिवर्सिटी
पटना यूनिवर्सिटी
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Published : May 4, 2020, 5:07 PM IST

पटना : कोरोना वायरस के संक्रमण को कम करने के उद्देश्य से देश में पिछले 40 दिनों से ज्यादा समय से लॉकडाउन है. इस लॉकडाउन में दैनिक मजदूरों और कामगारों की समस्याएं बढ़ गई हैं. उन्हें दो वक्त का भोजन भी सही से नसीब नहीं हो पा रहा है. उनके पास अब पैसे भी खत्म हो गए हैं. लॉकडाउन के शुरुआती चरणों में प्रधानमंत्री मोदी ने देश के संपन्न और समृद्धि लोगों से अपील की थी कि गरीबों को भोजन कराने का जिम्मा उठाए, जिसके बाद कई सामाजिक संगठन और समृद्ध लोग बढ़-चढ़कर आगे आए हैं और गरीबों को भोजन मुहैया कराने में जुटे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

इसी कड़ी में राजधानी पटना के बोरिंग रोड में भी ए एन कॉलेज और पटना यूनिवर्सिटी के विभिन्न कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों का एक समूह पिछले 26 दिनों से गरीबों की सेवा में जुटा है. 25 से 30 की संख्या में छात्र हैं, जो आपस में ही पैसा इकट्ठा कर रोजाना गरीबों के लिए 700 पैकेट खाना तैयार कर उनके बीच बांट रहे हैं.

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पटना यूनिवर्सिटी के छात्र

गरीबों को करा रहे हैं भोजन मुहैया
ए एन कॉलेज के पोस्ट ग्रेजुएट के छात्र पप्पू कुमार ने बताया कि वह 10 अप्रैल से ही गरीबों को भोजन मुहैया कराने में जुटे हुए हैं. उन्होंने बताया कि रोजाना लगभग 700 पैकेट खाना गरीबों में उनके मोहल्ले में जाकर बांटते हैं. इसके साथ ही सड़क पर जो रिक्शा चालक ठेले चालक और जो दैनिक मजदूर लॉकडाउन में पटना फंस गए हैं और खाना बनाने की उनके पास कोई व्यवस्था नहीं है, उनको वह भोजन मुहैया करा रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह दाई के इलाके में भी जाकर उन सभी को खाना बांट रहे हैं, क्योंकि लोगों ने उन्हें अपने यहां काम पर बुलाना बंद कर दिया है और उन्हें अब पैसा भी नहीं मिल रहा है. ऐसे में उनको भर पेट भोजन के लिए काफी समस्या हो रही है.

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भोजन पैक करने में जुटे हैं छात्र

'गरीबों की भूख मिटाने की करें कोशिश'
कॉलेज स्टूडेंट करण ने बताया कि वह रोजाना 700 से 800 पैकेट खाना पैक करते हैं और रोजाना खाने का मीनू अलग होता है. उन्होंने बताया कि किसी दिन चावल-दाल तो कभी सब्जी-चावल, तो कभी पूरी-आलू चना की सब्जी बनता है. इसे पैक कर वह घूम-घूम कर बोरिंग रोड के आसपास के कई इलाकों में गरीबों के बीच बांटते हैं. वहीं, छात्र अंशु कुमार ने बताया कि वह अपने पहल के माध्यम से समाज को यही संदेश देना चाहते हैं कि अपने सामर्थ्य के हिसाब से जिसको जितना बन पड़ता है. वह गरीबों की भूख मिटाने की कोशिश करें.

पटना : कोरोना वायरस के संक्रमण को कम करने के उद्देश्य से देश में पिछले 40 दिनों से ज्यादा समय से लॉकडाउन है. इस लॉकडाउन में दैनिक मजदूरों और कामगारों की समस्याएं बढ़ गई हैं. उन्हें दो वक्त का भोजन भी सही से नसीब नहीं हो पा रहा है. उनके पास अब पैसे भी खत्म हो गए हैं. लॉकडाउन के शुरुआती चरणों में प्रधानमंत्री मोदी ने देश के संपन्न और समृद्धि लोगों से अपील की थी कि गरीबों को भोजन कराने का जिम्मा उठाए, जिसके बाद कई सामाजिक संगठन और समृद्ध लोग बढ़-चढ़कर आगे आए हैं और गरीबों को भोजन मुहैया कराने में जुटे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

इसी कड़ी में राजधानी पटना के बोरिंग रोड में भी ए एन कॉलेज और पटना यूनिवर्सिटी के विभिन्न कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों का एक समूह पिछले 26 दिनों से गरीबों की सेवा में जुटा है. 25 से 30 की संख्या में छात्र हैं, जो आपस में ही पैसा इकट्ठा कर रोजाना गरीबों के लिए 700 पैकेट खाना तैयार कर उनके बीच बांट रहे हैं.

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पटना यूनिवर्सिटी के छात्र

गरीबों को करा रहे हैं भोजन मुहैया
ए एन कॉलेज के पोस्ट ग्रेजुएट के छात्र पप्पू कुमार ने बताया कि वह 10 अप्रैल से ही गरीबों को भोजन मुहैया कराने में जुटे हुए हैं. उन्होंने बताया कि रोजाना लगभग 700 पैकेट खाना गरीबों में उनके मोहल्ले में जाकर बांटते हैं. इसके साथ ही सड़क पर जो रिक्शा चालक ठेले चालक और जो दैनिक मजदूर लॉकडाउन में पटना फंस गए हैं और खाना बनाने की उनके पास कोई व्यवस्था नहीं है, उनको वह भोजन मुहैया करा रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह दाई के इलाके में भी जाकर उन सभी को खाना बांट रहे हैं, क्योंकि लोगों ने उन्हें अपने यहां काम पर बुलाना बंद कर दिया है और उन्हें अब पैसा भी नहीं मिल रहा है. ऐसे में उनको भर पेट भोजन के लिए काफी समस्या हो रही है.

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भोजन पैक करने में जुटे हैं छात्र

'गरीबों की भूख मिटाने की करें कोशिश'
कॉलेज स्टूडेंट करण ने बताया कि वह रोजाना 700 से 800 पैकेट खाना पैक करते हैं और रोजाना खाने का मीनू अलग होता है. उन्होंने बताया कि किसी दिन चावल-दाल तो कभी सब्जी-चावल, तो कभी पूरी-आलू चना की सब्जी बनता है. इसे पैक कर वह घूम-घूम कर बोरिंग रोड के आसपास के कई इलाकों में गरीबों के बीच बांटते हैं. वहीं, छात्र अंशु कुमार ने बताया कि वह अपने पहल के माध्यम से समाज को यही संदेश देना चाहते हैं कि अपने सामर्थ्य के हिसाब से जिसको जितना बन पड़ता है. वह गरीबों की भूख मिटाने की कोशिश करें.

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