पटना: केंद्र सरकार ने कोचिंग संस्थानों को लेकर की नई एडवाइजरी जारी की है. इस एडवाइजरी के तहत कोचिंग संस्थान 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं पढ़ा सकते हैं. इसके अलावा यह भी निर्देश दिया गया है कि सुबह 7:00 से पहले और रात में 8:00 बजे के बाद कोचिंग संस्थान नहीं चल सकते हैं. इस नई एडवाइजरी का कोचिंग एसोसिएशन ऑफ भारत ने विरोध किया है. एसोसिएशन का कहना है कि वह इस मामले में शिक्षा मंत्री और शिक्षा सचिव से मुलाकात करेंगे. जरूरत पड़ी तो न्यायालय का भी रुख करेंगे.
"सरकार इस एडवाइजरी को बनाने में यह भूल गई कि सामान्य रूप से 14 साल की उम्र में बच्चे मैट्रिक करते हैं और 16 साल की उम्र में बच्चे बारहवीं कर लेते हैं. ऐसे में सरकार ने सीधे-सीधे आईआईटी जेईई और नीट की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थानों को टारगेट किया है."- सुधीर कुमार सिंह, राष्ट्रीय सचिव, कोचिंग एसोसिएशन ऑफ भारत
एक लाख करोड़ का है कारोबारः कोचिंग एसोसिएशन ऑफ भारत के राष्ट्रीय सचिव सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि देश में ऑफलाइन मोड में कोचिंग संस्थानों का 54000 करोड़ रुपया का कारोबार है और ऑनलाइन ऑफलाइन मिलकर यह एक लाख करोड़ हो जाता है. नई एडवाइजरी में है कि 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चे का कोचिंग संस्थानों में दाखिला नहीं हो सकता. सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि कोचिंग संस्थानों में ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे पढ़ते हैं, जिन्हें शिक्षा का वह बेहतर माहौल नहीं मिल पाया होता है.
कारपेट एरिया का पालन नवोदय विद्यालय में भी नहींः सुधीर सिंह ने कहा कि सरकारी स्कूलों में जो पढ़ाई होती है या कई प्राइवेट स्कूल भी ऐसे हैं जहां 11वीं और 12 वीं की पढ़ाई से बच्चे आईआईटी और नीट क्वालीफाई नहीं कर सकते हैं. कोचिंग संस्थानों का फीस भी बहुत अधिक नहीं है. गिने चुने देश भर के 8-10 संस्थानों को छोड़ दें तो अधिकांश कोचिंग संस्थान विषय वार तरीके से हजार से डेढ़ हजार रुपया मासिक चार्ज करते हैं. नए एडवाइजरी में 1 स्क्वायर मीटर कारपेट एरिया एक छात्रा के लिए बात की जा रही है और यह नवोदय-नेतरहाट जैसे विद्यालय में भी नहीं है.
स्वरोजगार के अधिकार को छीनने का प्रयासः सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि एसएचओएम की रिपोर्ट की मानें तो कोचिंग संस्थानों का देशभर में 54000 करोड़ रुपया का ऑफलाइन मार्केट है. ऑनलाइन में काफी बढ़ जाता है. वर्ल्ड वाइड यह 102 बिलियन यूएस डॉलर का कारोबार है, जिसमें कोरिया लीड करता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को टॉप 3 इकोनामी बनाने में लगे हुए हैं और स्वरोजगार की बात करते हैं. बिहार में ही कोचिंग संस्थानों में करीब 7 लाख लोग जुड़े हुए हैं. यह आर्टिकल 21 के तहत स्वरोजगार के अधिकार को छीनने का प्रयास है. कुछ इसी प्रकार का निर्देश बिहार में आया था तो वह लोग हाई कोर्ट गए थे, जिसके बाद उस आदेश पर रोक लगी थी.
ग्रामीण परिवेश के बच्चों का नहीं रखा ध्यान : सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि जिन लोगों ने एडवाइजरी तैयार की है, उन्होंने ग्रामीण परिवेश के बच्चों को ध्यान में नहीं रखा है. सिर्फ शहरी क्षेत्र के एलीट वर्ग के बच्चों को ध्यान में रखते हुए नियम बनाया है. जिन बच्चों को उनके माता-पिता 12000 से 15000 रुपया महीना फीस देकर स्कूल में पढ़ा रहे हैं, उनको ध्यान में रखकर यह नियम बनाया गया है. वह अपने संगठन के प्रतिनिधि मंडल के साथ दिल्ली पहुंचकर शिक्षा सचिव और शिक्षा मंत्री से बात करेंगे. जरूरत पड़ी तो गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी इस मुद्दे पर मिलेंगे. फिर भी अगर कुछ सुनवाई नहीं होती है तो न्यायालय का रास्ता खुला हुआ है. सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगाएंगे.
बहुत सारी बातों पर है आपत्तिः सुधीर सिंह ने कहा कि एडवाइजरी में यह है कि कोचिंग संस्थान जहां चलेंगे तो वहां फायर सेफ्टी के प्रबंध होंगे. लेकिन यह सिर्फ कोचिंग संस्थान का नहीं बल्कि मकान मालिक का भी सामूहिक दायित्व बनता है कि अगर वह किसी कोचिंग संस्थान को अपना स्पेस भाड़ा पर देना चाहते हैं तो अपने मकान को बिल्डिंग बायलॉज के नियमों के तहत बनाएं. एक तरफ सरकार कह रही है कि फीस स्ट्रक्चर पर लगाम लगाएंगे और दूसरी तरफ कह रही है कि साइकोलॉजिस्ट रखना होगा. टाइमिंग में भी परिवर्तन है. दिन के 10 से 4 बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं तो कोचिंग संस्थान वाले कोचिंग चलाएंगे कब.
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