पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार बिहार में 2 सीटों पर उपचुनाव (By-Election) हो रहा है. तारापुर (Tarapur) और कुशेश्वरस्थान (Kusheshwarsthan) दोनों ही सीटें जदयू विधायकों के निधन के कारण खाली हुई है. नीतीश कुमार के लिए दोनों सीट प्रतिष्ठा का विषय बनी हुई है. जदयू में विधानसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक बदले गए हैं और बिहार इकाई में भी बड़े पैमाने पर फेरबदल हुए हैं, ऐसे में सभी की कड़ी परीक्षा भी होगी. पार्टी दोनों सीटों को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रही है.
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कुशेश्वरस्थान पहले सिंघिया विधानसभा सीट का हिस्सा थी, लेकिन 2010 में परिसीमन के बाद कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट हो गई और लगातार तीन बार शशिभूषण हजारी यहां से चुनाव जीतते रहे. उन्होंने पहले बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीता और फिर लगातार दो बार जदयू के टिकट पर चुनाव जीता. कोरोना के कारण उनका निधन हो गया था. 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज अशोक राम को शशिभूषण हजारी ने हराया था.
वहीं, तारापुर विधानसभा सीट से राष्ट्रीय जनता दल को 2000 और 2005 के दोनों विधानसभा चुनाव में जीत हासिल हुई थी. शकुनी चौधरी आरजेडी के टिकट पर यहां लगातार लड़ते रहे और जीतते भी रहे, लेकिन 2010 में जदयू की ओर से नीता चौधरी ने शकुनी चौधरी को पराजित किया था. 2015 में नीता चौधरी के पति मेवालाल चौधरी ने जदयू के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की और फिर 2020 में भी मेवालाल चौधरी को ही सफलता मिली थी. मेवालाल चौधरी के निधन के कारण यह सीट खाली हुई है. शकुनी चौधरी के बेटे अब बीजेपी कोटे से मंत्री हैं.
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नीतीश कुमार के लिए दोनों सीट प्रतिष्ठा का विषय बनी हुई है, क्योंकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा और संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उमेश कुशवाहा विधानसभा चुनाव के बाद जदयू में हुए फेरबदल के नए चेहरे हैं और तीनों का दावा रहा है कि पार्टी अब मजबूत हो गई है. ऐसे में उपचुनाव तीनों की पहली परीक्षा होगी, लेकिन जदयू के लिए परेशानी की बात ये है कि उपचुनाव में विपक्ष को लगातार सफलता मिलती रही है.
''अब तक बिहार में जो उपचुनाव का परिणाम आता रहा है, वो विपक्ष के पक्ष में ही रहा है. इस बार जेडीयू की नई टीम आई है, उनके लिए ये अग्निपरीक्षा की तरह होगी कि कैसे ये दोनों सीट वो अपने पाले में कर पाते हैं. दोनों ही सीट जेडीयू की ही है. पिछले कई उपचुनाव को देखें तो विपक्ष का जो सफलता का रेट है वह ज्यादा है, इसलिए जदयू के लिए चुनौती बड़ी है.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
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''कोई चुनौती नहीं है. दो जगह उपचुनाव है और दोनों सीट जदयू के खाते में ही आएगी. दुर्भाग्य से दोनों सीट खाली हुई है. कोरोना के कारण पार्टी के दोनों विधायक का निधन हुआ, लेकिन उपचुनाव में कहीं कोई लड़ाई नहीं है.''- उपेंद्र कुशवाहा, संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू
''राष्ट्रीय जनता दल दोनों सीटों को जीतकर लाएगी. बिहार की भावना महागठबंधन के साथ है. जदयू को विधानसभा का ट्रैक रिकॉर्ड देख लेना चाहिए. पहले आरजेडी का कब्जा रहा है और जदयू इस बार भी तीसरे नंबर पर ही आएगी. आरजेडी की लड़ाई निर्दलीय से है.''- शक्ति यादव, प्रवक्ता राजद
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''दावेदारी का यहां कहां सवाल होता है. यहां तो आपसी समन्वय से सरकार चलती है. समन्वय से ही गठबंधन चल रहा है और समन्वय के आधार पर जो सब लोग मिलकर तय करते हैं उस पर ही सब चलता है. उपचुनाव में एनडीए का एक उम्मीदवार होगा जिसे चारों घटक दल समर्थन करेंगे. दोनों सीट एनडीए के खाते में ही आएगी.''- अखिलेश सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी
जदयू की ओर से कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट के लिए शशिभूषण हजारी के बेटे अमन हजारी का नाम तय माना जा रहा है. वहीं, तारापुर से मेवालाल चौधरी के परिजनों को टिकट दिया जाए इस पर अंतिम मुहर नहीं लगी है. मेवालाल चौधरी के बेटे अमेरिका में सेटल है और फिलहाल बिहार नहीं आना चाहते हैं. ऐसे में पार्टी कुशवाहा समाज से आने वाले किसी नेता पर ही दांव खेल सकती है.
पार्टी में जो दो नाम सबसे अधिक चर्चा में है, उसमें एक राहुल सिंह का नाम है और दूसरा निर्मल सिंह को नाम है, दोनों क्षेत्र में जदयू के लिए लंबे समय से काम कर रहे हैं. हालांकि, इसके अलावा भी पार्टी के अंदर कई नामों पर चर्चा चल रही है, लेकिन जदयू के लिए दोनों सीट प्रतिष्ठा का विषय बनी हुई है, क्योंकि पहले जो उपचुनाव का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है एनडीए के लिए बहुत अच्छा नहीं रहा है, इसलिए पार्टी हर हाल में दोनों सीट जीतने की कोशिश करेगी और इसके लिए पूरी ताकत लगाने की तैयारी हो रही है.