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सदन में उठा निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस कटौती का मामला, CM ने कहा- 'निश्चित रूप से विचार करना पड़ेगा'

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने कहा कि हमें हाल में ही पता चला है कि मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए बड़ी संख्या में छात्र यूक्रेन जाते हैं. ऐसे में निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस में कटौती (Fee Reduction in Private Medical Colleges) पर निश्चित रूप से विचार करना पड़ेगा और विचार करेंगे भी. ये मामला सिर्फ राज्य सरकार का नहीं है, राष्ट्रीय स्तर पर सोचना पड़ेगा.

निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस कटौती का मामला
निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस कटौती का मामला
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Published : Mar 3, 2022, 3:53 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान आज निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस में कटौती (Fee Reduction in Private Medical Colleges) का मामला उठा. जिसके जवाब में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Health Minister Mangal Pandey) ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग करता है. उसके द्वारा गठित कमेटी बच्चों की फीस तय करती है. वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने कहा कि जिस तरह पता चला है कि बच्चे यूक्रेन जैसे देशों में पढ़ने जा रहे हैं, वैसे में हमें इस बारे में विचार करना होगा.

ये भी पढ़ें: RUSSIA UKRAINE WAR: यूक्रेन में फंसे खगड़िया के मेडिकल छात्र लगा रहे मदद की गुहार

निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस कटौती: दरअसल, जेडीयू विधायक डॉ. संजीव कुमार सहित कई विधायकों ने सदन में ये मामला उठाया. संजीव कुमार ने कहा कि फीस में कटौती और फीस निर्धारण कर सीएम नीतीश कुमार देश भर में मिशाल पेश करें. साथ ही सरकार की ओर से हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोला जाए. वहीं, बीजेपी विधायक नीतीश मिश्रा ने पूछा कि सवाल बिहार में मेडिकल की कितनी सीटें हैं और कितने कॉलेज खोले जा रहे हैं.

16 साल में 6 मेडिकल कॉलेज: इस सवाल के जवाब में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि फिलहाल बिहार में 1850 यूजीसी की सीटें हैं. आजादी के बाद पिछले 56 साल में सिर्फ 6 मेडिकल कालेज खुले, जबकि पिछले 16 साल में एनडीए की सरकार में 6 नए मेडिकल कालेज खोले गए गए हैं.

सुप्रीम कोर्ट करता है मॉनिटरिंग: वहीं, फीस को लेकर मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग करता है और उसके द्वारा गठित कमेटी बच्चों की फीस तय करती है. उन्होंने बताया कि निजी चिकित्सा महाविद्यालयों में 50 फीसदी छात्रों से सरकारी मेडिकल कालेजों के बराबर फीस लेने का प्रावधान किया गया है, जो अगले वर्ष से लागू होगा. कोई भी संस्था कैपिटेशन फीस नहीं वसूल सकती है.

फीस कम करने पर विचार करना होगा: यूक्रेन में छात्रों के मेडिकल की पढ़ाई को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सदन में कहा कि मेडिकल कॉलेज में पढ़ने के लिए बच्चे वहां जा रहे हैं, यह किसी को मालूम नहीं था. यह तो वास्तव में नेशनल लेवल पर सोचना होगा. उन्होंने कहा कि जो भी कम्पटीशन होता है, नेशनल स्तर से होता है. बाहर जाने के लिए कोई परीक्षा नहीं देनी होती है. सिर्फ बिहार के बच्चे पढ़ने नहीं गए हैं, अमीर राज्यों के बच्चे भी वहां पढ़ने गए हैं.

"हमलोगों को तो बहुत हाल में ये बात जानने को मिला कि इतने लोग बाहर चले जा रहे हैं तो सचमुच सोचना पड़ेगा. निश्चित रूप से विचार करना पड़ेगा और विचार करेंगे. ये मामला सिर्फ राज्य सरकार का नहीं है, सबको सोचना पड़ेगा"- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

ये भी पढ़ें: तिरंगे की ताकत: बोले बिहार लौटे तुषार- तिरंगा झंडा देख रूस-यूक्रेन की सेना ने दिया रास्ता

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पटना: बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान आज निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस में कटौती (Fee Reduction in Private Medical Colleges) का मामला उठा. जिसके जवाब में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Health Minister Mangal Pandey) ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग करता है. उसके द्वारा गठित कमेटी बच्चों की फीस तय करती है. वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने कहा कि जिस तरह पता चला है कि बच्चे यूक्रेन जैसे देशों में पढ़ने जा रहे हैं, वैसे में हमें इस बारे में विचार करना होगा.

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निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस कटौती: दरअसल, जेडीयू विधायक डॉ. संजीव कुमार सहित कई विधायकों ने सदन में ये मामला उठाया. संजीव कुमार ने कहा कि फीस में कटौती और फीस निर्धारण कर सीएम नीतीश कुमार देश भर में मिशाल पेश करें. साथ ही सरकार की ओर से हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोला जाए. वहीं, बीजेपी विधायक नीतीश मिश्रा ने पूछा कि सवाल बिहार में मेडिकल की कितनी सीटें हैं और कितने कॉलेज खोले जा रहे हैं.

16 साल में 6 मेडिकल कॉलेज: इस सवाल के जवाब में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि फिलहाल बिहार में 1850 यूजीसी की सीटें हैं. आजादी के बाद पिछले 56 साल में सिर्फ 6 मेडिकल कालेज खुले, जबकि पिछले 16 साल में एनडीए की सरकार में 6 नए मेडिकल कालेज खोले गए गए हैं.

सुप्रीम कोर्ट करता है मॉनिटरिंग: वहीं, फीस को लेकर मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग करता है और उसके द्वारा गठित कमेटी बच्चों की फीस तय करती है. उन्होंने बताया कि निजी चिकित्सा महाविद्यालयों में 50 फीसदी छात्रों से सरकारी मेडिकल कालेजों के बराबर फीस लेने का प्रावधान किया गया है, जो अगले वर्ष से लागू होगा. कोई भी संस्था कैपिटेशन फीस नहीं वसूल सकती है.

फीस कम करने पर विचार करना होगा: यूक्रेन में छात्रों के मेडिकल की पढ़ाई को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सदन में कहा कि मेडिकल कॉलेज में पढ़ने के लिए बच्चे वहां जा रहे हैं, यह किसी को मालूम नहीं था. यह तो वास्तव में नेशनल लेवल पर सोचना होगा. उन्होंने कहा कि जो भी कम्पटीशन होता है, नेशनल स्तर से होता है. बाहर जाने के लिए कोई परीक्षा नहीं देनी होती है. सिर्फ बिहार के बच्चे पढ़ने नहीं गए हैं, अमीर राज्यों के बच्चे भी वहां पढ़ने गए हैं.

"हमलोगों को तो बहुत हाल में ये बात जानने को मिला कि इतने लोग बाहर चले जा रहे हैं तो सचमुच सोचना पड़ेगा. निश्चित रूप से विचार करना पड़ेगा और विचार करेंगे. ये मामला सिर्फ राज्य सरकार का नहीं है, सबको सोचना पड़ेगा"- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

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