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अब देश की राजनीति में सक्रिय होंगे सीएम नीतीश, ऐसा होगा JDU का पीएम मोदी के खिलाफ एक्शन प्लान

बिहार के सीएम नीतीश कुमार के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने को लेकर खुद उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने तस्वीर साफ कर दी है. कुछ दिन पहले ही मंत्री श्रवण कुमार ने ऐलान कर दिया था कि आने वाले समय में नालंदा का बेटा लाल किले से झंडा फहराएगा. ऐसे में जदयू की रणनीति क्या होगी जानें.

CM Nitish Kumar strategy for mission 2024
CM Nitish Kumar strategy for mission 2024
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Published : Aug 29, 2022, 9:17 PM IST

Updated : Sep 5, 2022, 6:14 PM IST

पटना: 2024 के लोकसभा चुनाव ( Strategy For Mission 2024) में पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को चुनौती देने के लिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने कमर कस ली है. जदयू नेताओं ने रणनीति पर काम भी करना शुरू कर दिया है. सोशल मीडिया से लेकर अखबारों में पार्टी नेताओं की सक्रियता बढ़ गई है. जदयू नेता कह रहे हैं कि चाय वाले का बेटा प्रधानमंत्री ( PM Material CM Nitish Kumar ) बन सकता है तो एक वैध का बेटा क्यों नहीं?

पढ़ें- नीतीश के टारगेट पर नरेंद्र मोदी, क्या पीएम बनने की फिर जगी इच्छा

देशभर का दौरा करेंगे नीतीश: बिहार की धरती से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने की तैयारी शुरू हो गई है. बिहार में सरकार बदलते ही महागठबंधन नेताओं का उत्साह सातवें आसमान पर है. राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन को मूर्त रूप देने के लिए बकायदा एक टीम ने काम करना शुरू कर दिया है. वहीं कांग्रेस को मनाने का जिम्मा लालू प्रसाद यादव को दिया गया है.

बिहार की सत्ता में सालों से काबिज हैं सीएम नीतीश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नीतीश कुमार की अदावत पुरानी है. साल 2013 में जब नीतीश कुमार की तस्वीर नरेंद्र मोदी के साथ छपी थी तब नीतीश नाराज हुए थे और भोज कैंसिल कर दिया था. नरेंद्र मोदी को जब प्रधानमंत्री प्रोजेक्ट किया तब भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया. 2014 में लोकसभा चुनाव में जबरदस्त पटकनी खाने के बाद नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया था.

9 महीने बाद ही जीतन राम मांझी से विवाद हो गया और लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर फिर मुख्यमंत्री की उन्होंने शपथ ली. उस समय नीतीश कुमार को राजद का समर्थन बाहर से प्राप्त था. 2015 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार की सियासत एक नया मोड़ लेती है और महागठबंधन को मूर्त रूप दिया जाता है. महागठबंधन को जनता का अपार समर्थन मिलता है और नीतीश कुमार फिर मुख्यमंत्री बन जाते हैं. साथ ही पहली बार तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री पद पर आसीन हो जाते हैं लेकिन कहा जाता है कि समाजवादी बहुत दिन एक साथ नहीं चल सकते और हुआ भी यही 2017 में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर एक बार फिर से नीतीश कुमार ने लालू यादव का साथ छोड़ दिया. राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन टूटने के बाद नीतीश एक बार फिर एनडीए में वापसी करते हैं. एक बार फिर से इनकी सत्ता आबाद हो जाती है. एनडीए की सियासत बिहार के राजनीतिक गलियारे में सरपट दौड़ने लगती है और फिर 2019 का लोकसभा चुनाव नीति भाजपा के साथ मिलकर लड़ते हैं और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को अपार बहुमत मिलती है.

पीएम बनना चाहते हैं सीएम नीतीश!: 2020 का विधानसभा चुनाव भी नीतीश भाजपा के साथ मिलकर लड़ते हैं लेकिन 2 साल नहीं बीते कि भाजपा से नीतीश कुमार के ठन गई. नीतीश कुमार ने कुछ दिनों के अंतर पर भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ लिया और एक बार फिर तेजस्वी यादव के साथ सरकार बना लिया. नीतीश कुमार के मन में प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा हिलोरे मारने लगी.जिस तरीके से भ्रष्टाचार के मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर शिकंजा कस चुका है, वैसी स्थिति में अब महागठबंधन के घटक दलों की निगाहें नीतीश कुमार पर है. जदयू नेता मौके की नजाकत को बेहतर समझ रहे हैं. जदयू की ओर से अब नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाने के लिए मुहिम शुरू कर दी गई है.

नीतीश के लिए जदयू ने बनाई रणनीति: जदयू नेता छोटू सिंह ने जहां एक अखबार में विज्ञापन देकर नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का दावेदार माना है. वही सोशल मीडिया पर भी जदयू नेताओं की सक्रियता बढ़ गई है. बैठक कर जदयू नेताओं ने बयान जारी किया और कहा कि अगर चाय वाले का बेटा प्रधानमंत्री बन सकता है तो एक वैध का बेटा प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन सकता. देशभर में नीतीश समर्थकों ने व्हाट्सएप ग्रुप बनाए हैं और बकायदा नीतीश कुमार के पक्ष में प्रचार भी किया जा रहा है. मिल रही जानकारी के मुताबिक अप्रैल माह से नीतीश कुमार चुनावी दौरे पर जाएंगे. नीतीश देशभर का दौरा करेंगे और भाजपा की नीतियों पर हमला बोलेंगे. बिहार विधानसभा में नीतीश कुमार ने अपने भाषण में पीएम मोदी पर हमला कर अपने तेवर भी दिखला दिए थे.

"नीतीश कुमार जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तब मैंने विज्ञापन छपवाया था. इस बार भी मैंने विज्ञापन छपवाया है. 2024 में नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनेंगे और लाल किले पर झंडा भी फहराएंगे. देश के हालात अच्छे नहीं हैं. कमरतोड़ महंगाई ने आम लोगों का जीना मुहाल कर रखा है."- छोटू सिंह,जदयू नेता

"नीतीश कुमार बेदाग छवि के नेता हैं और बिहार को ऊंचाइयों पर ले जाने का काम किया है. नीतीश कुमार में वह तमाम गुण है जो एक प्रधानमंत्री के अंदर होना चाहिए. नीतीश कुमार ने रेल मंत्री और कृषि मंत्री के तौर पर भी काम किया है. देश की जनता का समर्थन नीतीश कुमार को मिलेगा."- अंजुम आरा, जदयू प्रवक्ता

"बिहार में 8 दल महागठबंधन में शामिल हैं और राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन आकार ले रहा है. इस बात का डर भाजपा को सताने लगा है. जहां तक कांग्रेस पार्टी का सवाल है तो राष्ट्र हित में कांग्रेस पार्टी भी नीतीश कुमार के नाम पर मान जाएगी."- एजाज अहमद,राजद प्रवक्ता

"नीतीश कुमार बिहार में कभी भी अपने बल पर सरकार नहीं बना सके हैं. राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी दल का समर्थन नीतीश कुमार को नहीं मिला है. जदयू नेता दिवास्वप्न देख रहे हैं. प्रधानमंत्री पद के लिए 2024 में कोई वैकेंसी नहीं है."- विनोद शर्मा,भाजपा प्रवक्ता

"नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी से दो-दो हाथ के लिए तैयारी कर ली है. अप्रैल महीने से वह दौरे पर निकलेंगे. संभव है कि बिहार के पत्रकार भी उनके साथ होंगे. शरद पवार सरीखे नेताओं ने भी नीतीश कुमार के पक्ष में आवाज बुलंद किया है. कांग्रेस पार्टी के पास भी नीतीश कुमार के पक्ष में खड़े होने के अलावा कोई विकल्प नहीं दिखता."- कन्हैया भेलारी ,वरिष्ठ पत्रकार

पटना: 2024 के लोकसभा चुनाव ( Strategy For Mission 2024) में पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को चुनौती देने के लिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने कमर कस ली है. जदयू नेताओं ने रणनीति पर काम भी करना शुरू कर दिया है. सोशल मीडिया से लेकर अखबारों में पार्टी नेताओं की सक्रियता बढ़ गई है. जदयू नेता कह रहे हैं कि चाय वाले का बेटा प्रधानमंत्री ( PM Material CM Nitish Kumar ) बन सकता है तो एक वैध का बेटा क्यों नहीं?

पढ़ें- नीतीश के टारगेट पर नरेंद्र मोदी, क्या पीएम बनने की फिर जगी इच्छा

देशभर का दौरा करेंगे नीतीश: बिहार की धरती से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने की तैयारी शुरू हो गई है. बिहार में सरकार बदलते ही महागठबंधन नेताओं का उत्साह सातवें आसमान पर है. राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन को मूर्त रूप देने के लिए बकायदा एक टीम ने काम करना शुरू कर दिया है. वहीं कांग्रेस को मनाने का जिम्मा लालू प्रसाद यादव को दिया गया है.

बिहार की सत्ता में सालों से काबिज हैं सीएम नीतीश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नीतीश कुमार की अदावत पुरानी है. साल 2013 में जब नीतीश कुमार की तस्वीर नरेंद्र मोदी के साथ छपी थी तब नीतीश नाराज हुए थे और भोज कैंसिल कर दिया था. नरेंद्र मोदी को जब प्रधानमंत्री प्रोजेक्ट किया तब भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया. 2014 में लोकसभा चुनाव में जबरदस्त पटकनी खाने के बाद नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया था.

9 महीने बाद ही जीतन राम मांझी से विवाद हो गया और लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर फिर मुख्यमंत्री की उन्होंने शपथ ली. उस समय नीतीश कुमार को राजद का समर्थन बाहर से प्राप्त था. 2015 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार की सियासत एक नया मोड़ लेती है और महागठबंधन को मूर्त रूप दिया जाता है. महागठबंधन को जनता का अपार समर्थन मिलता है और नीतीश कुमार फिर मुख्यमंत्री बन जाते हैं. साथ ही पहली बार तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री पद पर आसीन हो जाते हैं लेकिन कहा जाता है कि समाजवादी बहुत दिन एक साथ नहीं चल सकते और हुआ भी यही 2017 में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर एक बार फिर से नीतीश कुमार ने लालू यादव का साथ छोड़ दिया. राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन टूटने के बाद नीतीश एक बार फिर एनडीए में वापसी करते हैं. एक बार फिर से इनकी सत्ता आबाद हो जाती है. एनडीए की सियासत बिहार के राजनीतिक गलियारे में सरपट दौड़ने लगती है और फिर 2019 का लोकसभा चुनाव नीति भाजपा के साथ मिलकर लड़ते हैं और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को अपार बहुमत मिलती है.

पीएम बनना चाहते हैं सीएम नीतीश!: 2020 का विधानसभा चुनाव भी नीतीश भाजपा के साथ मिलकर लड़ते हैं लेकिन 2 साल नहीं बीते कि भाजपा से नीतीश कुमार के ठन गई. नीतीश कुमार ने कुछ दिनों के अंतर पर भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ लिया और एक बार फिर तेजस्वी यादव के साथ सरकार बना लिया. नीतीश कुमार के मन में प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा हिलोरे मारने लगी.जिस तरीके से भ्रष्टाचार के मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर शिकंजा कस चुका है, वैसी स्थिति में अब महागठबंधन के घटक दलों की निगाहें नीतीश कुमार पर है. जदयू नेता मौके की नजाकत को बेहतर समझ रहे हैं. जदयू की ओर से अब नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाने के लिए मुहिम शुरू कर दी गई है.

नीतीश के लिए जदयू ने बनाई रणनीति: जदयू नेता छोटू सिंह ने जहां एक अखबार में विज्ञापन देकर नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का दावेदार माना है. वही सोशल मीडिया पर भी जदयू नेताओं की सक्रियता बढ़ गई है. बैठक कर जदयू नेताओं ने बयान जारी किया और कहा कि अगर चाय वाले का बेटा प्रधानमंत्री बन सकता है तो एक वैध का बेटा प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन सकता. देशभर में नीतीश समर्थकों ने व्हाट्सएप ग्रुप बनाए हैं और बकायदा नीतीश कुमार के पक्ष में प्रचार भी किया जा रहा है. मिल रही जानकारी के मुताबिक अप्रैल माह से नीतीश कुमार चुनावी दौरे पर जाएंगे. नीतीश देशभर का दौरा करेंगे और भाजपा की नीतियों पर हमला बोलेंगे. बिहार विधानसभा में नीतीश कुमार ने अपने भाषण में पीएम मोदी पर हमला कर अपने तेवर भी दिखला दिए थे.

"नीतीश कुमार जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तब मैंने विज्ञापन छपवाया था. इस बार भी मैंने विज्ञापन छपवाया है. 2024 में नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनेंगे और लाल किले पर झंडा भी फहराएंगे. देश के हालात अच्छे नहीं हैं. कमरतोड़ महंगाई ने आम लोगों का जीना मुहाल कर रखा है."- छोटू सिंह,जदयू नेता

"नीतीश कुमार बेदाग छवि के नेता हैं और बिहार को ऊंचाइयों पर ले जाने का काम किया है. नीतीश कुमार में वह तमाम गुण है जो एक प्रधानमंत्री के अंदर होना चाहिए. नीतीश कुमार ने रेल मंत्री और कृषि मंत्री के तौर पर भी काम किया है. देश की जनता का समर्थन नीतीश कुमार को मिलेगा."- अंजुम आरा, जदयू प्रवक्ता

"बिहार में 8 दल महागठबंधन में शामिल हैं और राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन आकार ले रहा है. इस बात का डर भाजपा को सताने लगा है. जहां तक कांग्रेस पार्टी का सवाल है तो राष्ट्र हित में कांग्रेस पार्टी भी नीतीश कुमार के नाम पर मान जाएगी."- एजाज अहमद,राजद प्रवक्ता

"नीतीश कुमार बिहार में कभी भी अपने बल पर सरकार नहीं बना सके हैं. राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी दल का समर्थन नीतीश कुमार को नहीं मिला है. जदयू नेता दिवास्वप्न देख रहे हैं. प्रधानमंत्री पद के लिए 2024 में कोई वैकेंसी नहीं है."- विनोद शर्मा,भाजपा प्रवक्ता

"नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी से दो-दो हाथ के लिए तैयारी कर ली है. अप्रैल महीने से वह दौरे पर निकलेंगे. संभव है कि बिहार के पत्रकार भी उनके साथ होंगे. शरद पवार सरीखे नेताओं ने भी नीतीश कुमार के पक्ष में आवाज बुलंद किया है. कांग्रेस पार्टी के पास भी नीतीश कुमार के पक्ष में खड़े होने के अलावा कोई विकल्प नहीं दिखता."- कन्हैया भेलारी ,वरिष्ठ पत्रकार

Last Updated : Sep 5, 2022, 6:14 PM IST
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