पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक अणे मार्ग स्थित नेक संवाद से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जल-जीवन-हरियाली अभियान अंतर्गत जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत 30 जिलों में प्रथम वर्ष और 8 जिलों में द्वितीय वर्ष के कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इस दौरान सीएम ने कहा कि जलवायु के अनुकूल खेती से किसानों की लागत में कमी आएगी और मुनाफा भी ज्यादा होगा. बीते दिनों कृषि क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता दोनों बढ़ी है. सीएम ने कहा कि राज्य में 76 प्रतिशत लोगों की आजीविका का आधार कृषि है.
'धान अधिप्राप्ति का कार्य तेजी से किया जा रहा है. इस बार धान अधिप्राप्ति का न्यूनतम लक्ष्य 45 लाख मीट्रिक टन रखा गया है'- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री
'जलवायु के अनुकूल करें खेती'
मौसम के अनुकूल फसल चक्र अपनाने से किसानों को काफी लाभ होगा. कृषि विभाग ने जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए सभी जिलों के 5-5 गांवों का चयन किया है. जिससे किसान जागरुक होंगे. जलवायु के अनुकूल कृषि से किसानों की लागत में कमी आती है और उन्हें अधिक लाभ होता है.
'फसल अवशेष भी कमाई का जरिया'
फसल अवशेष को जलाने से पर्यावरण पर संकट उत्पन्न होता है. इस संकट से आने वाली पीढ़ी को समस्या होगी. फसल अवशेष को जलाने की जरुरत नहीं है, बल्कि उस अवशेष का किसान सदुपयोग करें. इससे उन्हें फायदा होगा और आमदनी भी बढ़ेगी. फसल अवशेष प्रबंधन के लिये कृषि यंत्रों की खरीद पर राज्य सरकार किसानों को 75 प्रतिशत जबकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अति पिछड़े समुदाय के किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान दे रही है.
अभियान में 11 अवयवों को किया शामिल
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2019 में जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत की गई थी. इसमें 11 अवयवों को शामिल किया गया है. मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम और फसल अवशेष प्रबंधन भी इसमें शामिल है. नई तकनीक यंत्रों के माध्यम से कटनी के बाद हो रहे सीधे बुआई के कार्य को भी आज कृषि विज्ञान केंद्रों पर दिखाया गया.
कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, उपमुख्यमंत्री रेणु देवी, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी और कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह भी मौजूद रहे. इसके अलावा कार्यक्रम में वरीय वैज्ञानिकगण, कृषि विशेषज्ञगण और विभागीय पदाधिकारीगण भी जुड़े थे.