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Uniform Civil Code: 'बिहार में समान नागरिक संहिता नहीं होगी लागू', 3 राज्यों के मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल को CM ने दिया भरोसा

देश की बीजेपी सरकार समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी लाने की पहल कर रही है. इसे लेकर कई धार्मिक और राजनीतिक संगठनों ने विरोध जताया है. वहीं इस कानून को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 3 राज्यों के मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

बिहार में समान नागरिक संहिता
बिहार में समान नागरिक संहिता
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Published : Jul 16, 2023, 1:17 PM IST

पटना: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भरोसा दिलाया है. उन्होंने कहा है कि बिहार में समान नागरिक संहिता लागू नहीं होगी. प्रतिनिधि मंडल ने नीतीश कुमार से मिलकर समान नागरिक संहिता को लेकर ज्ञापन भी सौंपा है. प्रतिनिधिमंडल में उत्तर प्रदेश दिल्ली और बिहार के सदस्य शामिल थे. यह मुलाकात शनिवार को हुई है.

पढ़ें-Uniform Civil Code: 'देश को विकास की जरुरत.. UCC की नहीं', बिहार के विधि मंत्री का बड़ा बयान

समान नागरिक संहिता एक गंभीर मामला: सीएम ने प्रतिनिधिमंडल को कहा कि 2017 में ही केंद्र सरकार को पत्र लिखकर कह दिया था कि इसे लागू नहीं किया जाए. समान नागरिक संहिता एक गंभीर मामला है. इस पर सदन से लेकर सड़क तक चर्चा होनी चाहिए. चर्चा की शुरुआत संसद से होनी चाहिए. विधि आयोग ने जिस तरीके से समान नागरिक संहिता पर राज्य सरकार से 16 सूत्री सवाल पूछे थे वह अनुचित है और आपत्तिजनक है.

"बिहार में समान नागरिक संहिता को लागू नहीं किया जाएगा इसे लेकर हमारी ओर से 2017 में ही केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इसे लागू नहीं करने की मांग की गई थी."-नीतीश कुमार, सीएम

कौन-कौन रहे मौजूद?: प्रतिनिधिमंडल में हजरत मौला ओबेदुल्ला आसादी सब शेखुल, हदीस जामिया अरबिया हथौरा बांदा यूपी और सदस्य ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ हजरत मौलाना अतीकुर्रेहमान बस्तवी. उस्ताद हदीस दारुल उलूम नदवतुल उलेमा लखनऊ और सदस्य ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ हजरत मौलाना बद्र अहमद खान खानकाह मुजिबिया फुलवारी शरीफ. वहीं सदर जमीनतूल उलेमा बिहार और सदस्य ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ हजरत मौलाना अनिसुर रहमान कासमी सदस्य ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ शामिल थे.

मुस्लिम संगठनों की ओर से तेज हुई गतिविधि: इस मौके पर बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी और एमएलसी खालिद अनवर भी मौजूद थे. यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर केंद्र सरकार की ओर से संकेत दिए गए हैं कि जल्द ही इस पर फैसला हो सकता है. प्रधानमंत्री ने भी पिछले दिनों एक जनसभा में इसको लेकर बयान दिया था. उसके बाद लॉ कमीशन के तरफ से राय ली जा रही है. बिहार सरकार की ओर से भी राय दी गई है तो दूसरी तरफ मुस्लिम संगठनों की ओर से भी इसको लेकर अपनी गतिविधियां तेज कर दी गई है.

पटना: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भरोसा दिलाया है. उन्होंने कहा है कि बिहार में समान नागरिक संहिता लागू नहीं होगी. प्रतिनिधि मंडल ने नीतीश कुमार से मिलकर समान नागरिक संहिता को लेकर ज्ञापन भी सौंपा है. प्रतिनिधिमंडल में उत्तर प्रदेश दिल्ली और बिहार के सदस्य शामिल थे. यह मुलाकात शनिवार को हुई है.

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समान नागरिक संहिता एक गंभीर मामला: सीएम ने प्रतिनिधिमंडल को कहा कि 2017 में ही केंद्र सरकार को पत्र लिखकर कह दिया था कि इसे लागू नहीं किया जाए. समान नागरिक संहिता एक गंभीर मामला है. इस पर सदन से लेकर सड़क तक चर्चा होनी चाहिए. चर्चा की शुरुआत संसद से होनी चाहिए. विधि आयोग ने जिस तरीके से समान नागरिक संहिता पर राज्य सरकार से 16 सूत्री सवाल पूछे थे वह अनुचित है और आपत्तिजनक है.

"बिहार में समान नागरिक संहिता को लागू नहीं किया जाएगा इसे लेकर हमारी ओर से 2017 में ही केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इसे लागू नहीं करने की मांग की गई थी."-नीतीश कुमार, सीएम

कौन-कौन रहे मौजूद?: प्रतिनिधिमंडल में हजरत मौला ओबेदुल्ला आसादी सब शेखुल, हदीस जामिया अरबिया हथौरा बांदा यूपी और सदस्य ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ हजरत मौलाना अतीकुर्रेहमान बस्तवी. उस्ताद हदीस दारुल उलूम नदवतुल उलेमा लखनऊ और सदस्य ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ हजरत मौलाना बद्र अहमद खान खानकाह मुजिबिया फुलवारी शरीफ. वहीं सदर जमीनतूल उलेमा बिहार और सदस्य ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ हजरत मौलाना अनिसुर रहमान कासमी सदस्य ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ शामिल थे.

मुस्लिम संगठनों की ओर से तेज हुई गतिविधि: इस मौके पर बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी और एमएलसी खालिद अनवर भी मौजूद थे. यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर केंद्र सरकार की ओर से संकेत दिए गए हैं कि जल्द ही इस पर फैसला हो सकता है. प्रधानमंत्री ने भी पिछले दिनों एक जनसभा में इसको लेकर बयान दिया था. उसके बाद लॉ कमीशन के तरफ से राय ली जा रही है. बिहार सरकार की ओर से भी राय दी गई है तो दूसरी तरफ मुस्लिम संगठनों की ओर से भी इसको लेकर अपनी गतिविधियां तेज कर दी गई है.

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