पटना: सीएम नीतीश कुमार अपने अलग अंदाज के लिए जाने जाते हैं. एक बार फिर से उनका यही रूप शनिवार को देखने को मिला. वह पटना की सड़कों पर निकले तो कोई पहचान तक नहीं पाया. क्योंकि बिना लाव लश्कर के सीएम निकले हुए थे.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) अब एक बार फिर से 'जनता दरबार' कार्यक्रम को शुरू करने की तैयारी में हैं. इस दिशा में तैयारियां तेज कर दी गईं हैं. शनिवार को सीएम ने जनता दरबार शेड का निरीक्षण किया और अधिकारियों को निर्देश दिया.
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न सुरक्षाकर्मियों और न अफसरों की भीड़
शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता दरबार सेड का निरीक्षण करने पहुंचे थे. इस दौरान न तो मुख्यमंत्री के साथ सुरक्षाकर्मियों की फौज थी और न ही अधिकारियों की टोली थी. मुख्यमंत्री ने सभी को अपने कक्ष में ही बैठने का आदेश दिया. हालांकि सीएम के साथ डीएसपी और ओएसडी गोपाल सिंह जरूर थे.
लोक सेवा अधिकार कानून बना विकल्प
सीएम नीतीश कुमार ने अपने कार्यकाल में जनता के करीब आने के लिए इस जनता दरबार' कार्यक्रम की शुरुआत की थी, लेकिन बाद में इसे रद्द कर दिया गया था. इसके विकल्प के रूप में एक तरह से लोक सेवा का अधिकार कानून लाया गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले दूसरे और तीसरे कार्यकाल में लगातार जनता से रू-ब-रू हुआ करते थे.
सीएम की अधिकारियों पर 'निर्भरता' बढ़ी
जनता दरबार कार्यक्रम के अलावा मुख्यमंत्री ने कई यात्राएं की और पूरे बिहार का भ्रमण किया. लेकिन विडंबना यह भी रही कि जैसे-जैसे नीतीश कुमार जनता से दूर होते गए, वैसे-वैसे राजनीतिक तौर पर वे कमजोर होते गए. बाद के दिनों में उनकी 'निर्भरता' अधिकारियों पर ही रह गई.
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राजनीतिक तौर पर नीतीश 'कमजोर'
नीतीश कुमार की राजनीतिक 'कमजोरी' का असर ये रहा कि न केवल विपक्ष, बल्कि सहयोगी भी अब खुलकर उनकी मुखालफत कर रहे हैं. ऐसे में नीतीश कुमार ने फिर से जनता के करीब आने का फैसला किया है और जनता दरबार कार्यक्रम शुरू करने की तैयारी तेज कर दी है.
जेडीयू की ताकत घटी
सत्ता आने के बाद 2005 और 2010 में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू की ताकत लगातार बढ़ती गई, लेकिन 2015 और 2020 विधानसभा चुनाव में दूसरे और तीसरे नंबर की पार्टी बन गई. 2005 में 88, 2010 में 115, 2015 में 71 और 2020 में महज 43 सीटों पर जीत मिली.