ETV Bharat / state

Opposition Unity: नीतीश कुमार विपक्षी एकजुटता के लिए लगातार कर रहे पहल.. फिर भी कम नहीं हो रहे राह के रोड़े

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar ) विपक्षी एकजुटता की मुहिम को आगे बढ़ाने में लगे हैं. ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाकात के बाद इस दिशा में एक कदम और आगे बढ़े हैं और 11 मई को जब महाराष्ट्र में शरद पवार और उद्धव ठाकरे से मिलेंगे, तो इस मुहिम में और तेजी आएगी. नीतीश कुमार की कोशिश अभी यह है कि बिहार में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में सभी जुटे और उस दिशा में लगातार सफलता मिल रही है, लेकिन नीतीश कुमार के सामने इसके आगे कई चुनौतियां हैं कई रोड़े हैं जिसका समाधान आसान नहीं है जिसमें सबसे बड़ी चुनौती सीटों के बंटवारे की है और दूसरा नेतृत्व को लेकर है. पढ़ें पूरी खबर..

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : May 9, 2023, 10:03 PM IST

विपक्षी एकता के लिए सीएम नीतीश कुमार की पहल

पटनाः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (Odisha Chief Minister Naveen Patnaik) से भी मिल लिए हैं. नवीन पटनायक ने गठबंधन को लेकर किसी तरह की चर्चा से इनकार किया है, लेकिन कई दिनों से ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मिलने की चर्चा हो रही थी और यह मुलाकात विपक्षी एकजुटता को लेकर ही कही जा रही थी. ऐसे में भले ही मीडिया से बातचीत में कुछ भी बोलने से बचते रहे हो, लेकिन विपक्षी एकजुटता को लेकर चर्चा जरूर हुई होगी. उससे पहले नीतीश कुमार ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव और कांग्रेस के आला नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं.

ये भी पढ़ेंः Opposition Unity : 'कोई राजनीतिक बात नहीं हुई'.. डेढ़ घंटे तक हुई नीतीश-नवीन की मुलाकात

11 को शरद पवार से होगी मुलाकातः कई नेताओं से फोन पर भी बातचीत हो रही है और 11 मई को शरद पवार और उद्धव ठाकरे से भी मिल लेंगे. एक तरह से विपक्षी एकजुटता की मुहिम जरूर आगे बढ़ रही है. बिहार में कर्नाटक चुनाव के बाद बैठक भी होगी. उसी बैठक में विपक्षी एकजुटता की मुहिम का रास्ता साफ होगा. लेकिन जो सबसे बड़ा सवाल शुरू से विपक्षी एकजुटता को लेकर उठ रहे हैं उसमें कई राज्यों में कांग्रेस और विपक्षी दल आमने सामने है. इस कारण सीट शेयरिंग एक बड़ा मुद्दा होगा. साथ ही नेतृत्व कौन करेगा यह एक यक्ष प्रश्न है. इसका जवाब विपक्ष के किसी नेता के पास फिलहाल नहीं है.


बीजेपी के खिलाफ उतरेगा संयुक्त उम्मीदवारः कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाने की नीतीश कुमार बात कर रहे हैं. उसमें सबसे बड़ी समस्या जिन राज्यों में है उसमें केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु सहित अन्य शामिल हैं. इन राज्यों में कांग्रेस का विपक्षी दलों के साथ भी मुकाबला है. ऐसे में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार उतारने के लिए सहमति बनाना आसान नहीं है. ऐसे विपक्षी एकजुटता की मुहिम जिस प्रकार से नीतीश कुमार आगे बढ़ा रहे हैं उससे जदयू और आरजेडी के नेता उत्साहित हैं. इनका कहना है बिहार में महागठबंधन की तरह ही पूरे देश में एक मैसेज जा रही है.

बीजेपी में बेचैनीः मंत्री मदन सहनी का तो यहां तक कहना है कि विपक्षी एकजुटता के बढ़ते कदम से बीजेपी में बेचैनी है.वहीं जदयू प्रवक्ता राहुल शर्मा का यह भी कहना है हम लोग जिस रोड पर काम कर रहे हैं. उसमें बंगाल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और बिहार में विपक्षी नेताओं में एकजुटता को लेकर सहमति बनती जा रही है. लेकिन बीजेपी के नेता लगातार सवाल पूछ रहे हैं कि विपक्षी एकजुटता का अभियान तो सही है लेकिन विपक्ष का नेतृत्व कौन करेगा आखिरी दूल्हा कौन होगा इसका जवाब विपक्ष की तरफ से नहीं मिल रहा है. वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहना है कि जब तक कांग्रेस और विपक्षी दलों के बीच गठजोड़ की स्थिति स्पष्ट नहीं होगी और नेतृत्व के साथ कार्य योजना पर सहमति नहीं बनेगी. विपक्षी एकजुटता की मुहिम सफल नहीं होगी.

"विपक्षी एकजुटता के बढ़ते कदम से बीजेपी में बेचैनी है. बिहार से विपक्षी एकजुटता का एक अच्छा संदेश गया है. जहां भी नीतीश कुमार गए और जिनसे मिले. वहां अच्छा रिस्पांस मिला है. यह शुभ संकेत है "- मदन सहनी, मंत्री, जेडीयू

हिंदी पट्टी के राज्यों पर नीतीश कुमार नजरः नीतीश कुमार की हिंदी पट्टी राज्यों में जहां नजर है. इसमें फिलहाल कांग्रेस कमजोर है. उसमें दिल्ली 7, बिहार 40, उत्तर प्रदेश 80, पश्चिम बंगाल 42, उड़ीसा 21, शामिल है. कांग्रेस के मुकाबले इन राज्यों में अन्य विपक्षी दल मजबूत स्थिति में है. इन राज्यों में ही बीजेपी को झटका मिल जाए तो बहुमत का आंकड़ा पार करना बीजेपी के लिए मुश्किल हो सकता है. इसके अलावा केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश के साथ उत्तर पूर्वी के राज्यों में बीजेपी लगातार मजबूत हो रही है. वहां भी बीजेपी को अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाया जाए, यह कोशिश है और इन्हीं सब को लेकर नीतीश कुमार विपक्षी दलों की बैठक कर्नाटक चुनाव के बाद बिहार में करने की तैयारी कर रहे हैं. इसमें इन सब को लेकर रोड मैप बनेगा और आगे का रास्ता साफ होगा.

"देश के अंदर कोई वेकेंसी पीएम की नहीं है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही रहेंगे. जहां तक विपक्षी एकता की बात है तो पहले विपक्ष के नेता कौन है इसका तो पता चले. दुल्हा कौन है पता ही नहीं और बारात तैयार है" - अजफर शमसी, प्रवक्ता, बीजेपी
नीतीश कुमार की अब तक की पहल: बिहार में महागठबंधन बनाने के बाद नीतीश कुमार पिछले 8 महीनों में 3 बार दिल्ली का दौरा कर चुके हैं. कोलकाता लखनऊ भी जा चुके हैं. 11 अप्रैल को राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिक्कार्जुन से मिलने के बाद विपक्षी एकजुटता की मुहिम तेजी आई है. 12 अप्रैल को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की. 24 अप्रैल को मुख्यमंत्री कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और लखनऊ में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से मिले. आज उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मिले हैं और उन्हें भी निमंत्रण दिया है. 11 मई को मुंबई में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार से भी मिलने का कार्यक्रम तय हो चुका है.

"जब तक कांग्रेस और विपक्षी दलों के बीच गठजोड़ की स्थिति स्पष्ट नहीं होगी और नेतृत्व के साथ कार्य योजना पर सहमति नहीं बनेगी. विपक्षी एकजुटता की मुहिम सफल नहीं होगी" -अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ

नीतीश कुमार के लिए बड़ी चुनौती: विपक्षी दलों का नेतृत्व कौन करेगा नरेंद्र मोदी के सामने विपक्ष का चेहरा कौन होगा. कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाने पर पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, उड़ीसा, तेलंगाना, केरल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में सीटों का बंटवारा कैसे होगा. नीतीश कुमार विपक्ष के उन नेताओं से मिल रहे हैं, जिन्हें कांग्रेस के साथ जाने में परेशानी है, लेकिन मिशन 2024 के तहत नीतीश कुमार चाहते हैं कि बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का मजबूत उम्मीदवार चुनाव मैदान में हो. जिसे बीजेपी को मात दिया जा सके. विपक्षी दल भी चाहते हैं. बीजेपी को लोकसभा चुनाव में केंद्र की सत्ता से बाहर किया जाए. बीजेपी की बढ़ती ताकत से उन्हें भी परेशानी है. ऐसे में देखना दिलचस्प है कि बिहार में कर्नाटक चुनाव के बाद जब बैठक होगी तो क्या सभी एक मंच पर जुटते हैं और आगे की रणनीति के लिए कितने तैयार होंगे.

विपक्षी एकता के लिए सीएम नीतीश कुमार की पहल

पटनाः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (Odisha Chief Minister Naveen Patnaik) से भी मिल लिए हैं. नवीन पटनायक ने गठबंधन को लेकर किसी तरह की चर्चा से इनकार किया है, लेकिन कई दिनों से ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मिलने की चर्चा हो रही थी और यह मुलाकात विपक्षी एकजुटता को लेकर ही कही जा रही थी. ऐसे में भले ही मीडिया से बातचीत में कुछ भी बोलने से बचते रहे हो, लेकिन विपक्षी एकजुटता को लेकर चर्चा जरूर हुई होगी. उससे पहले नीतीश कुमार ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव और कांग्रेस के आला नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं.

ये भी पढ़ेंः Opposition Unity : 'कोई राजनीतिक बात नहीं हुई'.. डेढ़ घंटे तक हुई नीतीश-नवीन की मुलाकात

11 को शरद पवार से होगी मुलाकातः कई नेताओं से फोन पर भी बातचीत हो रही है और 11 मई को शरद पवार और उद्धव ठाकरे से भी मिल लेंगे. एक तरह से विपक्षी एकजुटता की मुहिम जरूर आगे बढ़ रही है. बिहार में कर्नाटक चुनाव के बाद बैठक भी होगी. उसी बैठक में विपक्षी एकजुटता की मुहिम का रास्ता साफ होगा. लेकिन जो सबसे बड़ा सवाल शुरू से विपक्षी एकजुटता को लेकर उठ रहे हैं उसमें कई राज्यों में कांग्रेस और विपक्षी दल आमने सामने है. इस कारण सीट शेयरिंग एक बड़ा मुद्दा होगा. साथ ही नेतृत्व कौन करेगा यह एक यक्ष प्रश्न है. इसका जवाब विपक्ष के किसी नेता के पास फिलहाल नहीं है.


बीजेपी के खिलाफ उतरेगा संयुक्त उम्मीदवारः कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाने की नीतीश कुमार बात कर रहे हैं. उसमें सबसे बड़ी समस्या जिन राज्यों में है उसमें केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु सहित अन्य शामिल हैं. इन राज्यों में कांग्रेस का विपक्षी दलों के साथ भी मुकाबला है. ऐसे में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार उतारने के लिए सहमति बनाना आसान नहीं है. ऐसे विपक्षी एकजुटता की मुहिम जिस प्रकार से नीतीश कुमार आगे बढ़ा रहे हैं उससे जदयू और आरजेडी के नेता उत्साहित हैं. इनका कहना है बिहार में महागठबंधन की तरह ही पूरे देश में एक मैसेज जा रही है.

बीजेपी में बेचैनीः मंत्री मदन सहनी का तो यहां तक कहना है कि विपक्षी एकजुटता के बढ़ते कदम से बीजेपी में बेचैनी है.वहीं जदयू प्रवक्ता राहुल शर्मा का यह भी कहना है हम लोग जिस रोड पर काम कर रहे हैं. उसमें बंगाल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और बिहार में विपक्षी नेताओं में एकजुटता को लेकर सहमति बनती जा रही है. लेकिन बीजेपी के नेता लगातार सवाल पूछ रहे हैं कि विपक्षी एकजुटता का अभियान तो सही है लेकिन विपक्ष का नेतृत्व कौन करेगा आखिरी दूल्हा कौन होगा इसका जवाब विपक्ष की तरफ से नहीं मिल रहा है. वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहना है कि जब तक कांग्रेस और विपक्षी दलों के बीच गठजोड़ की स्थिति स्पष्ट नहीं होगी और नेतृत्व के साथ कार्य योजना पर सहमति नहीं बनेगी. विपक्षी एकजुटता की मुहिम सफल नहीं होगी.

"विपक्षी एकजुटता के बढ़ते कदम से बीजेपी में बेचैनी है. बिहार से विपक्षी एकजुटता का एक अच्छा संदेश गया है. जहां भी नीतीश कुमार गए और जिनसे मिले. वहां अच्छा रिस्पांस मिला है. यह शुभ संकेत है "- मदन सहनी, मंत्री, जेडीयू

हिंदी पट्टी के राज्यों पर नीतीश कुमार नजरः नीतीश कुमार की हिंदी पट्टी राज्यों में जहां नजर है. इसमें फिलहाल कांग्रेस कमजोर है. उसमें दिल्ली 7, बिहार 40, उत्तर प्रदेश 80, पश्चिम बंगाल 42, उड़ीसा 21, शामिल है. कांग्रेस के मुकाबले इन राज्यों में अन्य विपक्षी दल मजबूत स्थिति में है. इन राज्यों में ही बीजेपी को झटका मिल जाए तो बहुमत का आंकड़ा पार करना बीजेपी के लिए मुश्किल हो सकता है. इसके अलावा केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश के साथ उत्तर पूर्वी के राज्यों में बीजेपी लगातार मजबूत हो रही है. वहां भी बीजेपी को अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाया जाए, यह कोशिश है और इन्हीं सब को लेकर नीतीश कुमार विपक्षी दलों की बैठक कर्नाटक चुनाव के बाद बिहार में करने की तैयारी कर रहे हैं. इसमें इन सब को लेकर रोड मैप बनेगा और आगे का रास्ता साफ होगा.

"देश के अंदर कोई वेकेंसी पीएम की नहीं है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही रहेंगे. जहां तक विपक्षी एकता की बात है तो पहले विपक्ष के नेता कौन है इसका तो पता चले. दुल्हा कौन है पता ही नहीं और बारात तैयार है" - अजफर शमसी, प्रवक्ता, बीजेपी
नीतीश कुमार की अब तक की पहल: बिहार में महागठबंधन बनाने के बाद नीतीश कुमार पिछले 8 महीनों में 3 बार दिल्ली का दौरा कर चुके हैं. कोलकाता लखनऊ भी जा चुके हैं. 11 अप्रैल को राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिक्कार्जुन से मिलने के बाद विपक्षी एकजुटता की मुहिम तेजी आई है. 12 अप्रैल को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की. 24 अप्रैल को मुख्यमंत्री कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और लखनऊ में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से मिले. आज उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मिले हैं और उन्हें भी निमंत्रण दिया है. 11 मई को मुंबई में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार से भी मिलने का कार्यक्रम तय हो चुका है.

"जब तक कांग्रेस और विपक्षी दलों के बीच गठजोड़ की स्थिति स्पष्ट नहीं होगी और नेतृत्व के साथ कार्य योजना पर सहमति नहीं बनेगी. विपक्षी एकजुटता की मुहिम सफल नहीं होगी" -अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ

नीतीश कुमार के लिए बड़ी चुनौती: विपक्षी दलों का नेतृत्व कौन करेगा नरेंद्र मोदी के सामने विपक्ष का चेहरा कौन होगा. कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाने पर पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, उड़ीसा, तेलंगाना, केरल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में सीटों का बंटवारा कैसे होगा. नीतीश कुमार विपक्ष के उन नेताओं से मिल रहे हैं, जिन्हें कांग्रेस के साथ जाने में परेशानी है, लेकिन मिशन 2024 के तहत नीतीश कुमार चाहते हैं कि बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का मजबूत उम्मीदवार चुनाव मैदान में हो. जिसे बीजेपी को मात दिया जा सके. विपक्षी दल भी चाहते हैं. बीजेपी को लोकसभा चुनाव में केंद्र की सत्ता से बाहर किया जाए. बीजेपी की बढ़ती ताकत से उन्हें भी परेशानी है. ऐसे में देखना दिलचस्प है कि बिहार में कर्नाटक चुनाव के बाद जब बैठक होगी तो क्या सभी एक मंच पर जुटते हैं और आगे की रणनीति के लिए कितने तैयार होंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.