पटना: राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा के बाद बिहार में प्रत्याशी को लेकर भी चर्चा का बाजार गर्म है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने खुद को राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी में दिलचस्पी नहीं रहने की बात कर खुद के प्रत्याशी की चर्चा पर विराम भले लगा दिया हो, लेकिन जेडीयू को लेकर एनडीए पूरी तरह निश्चिंत भी नहीं दिखती. दरअसल, जेडीयू राष्ट्रपति चुनाव (President Election 2022) में दल से ज्यादा प्रत्याशी को अहमियत देती है. कम से कम पिछले दो चुनावों से तो यही देखा जा रहा है. यही कारण है कि इस मामले में बीजेपी भी फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही है.
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अपने फैसले से चौंकाते रहे हैं नीतीश कुमार: पिछले दो बार के राष्ट्रपति चुनाव में जेडीयू ने गठबंधन से इतर जाकर व्यक्ति को महत्व दिया. वर्ष 2012 के राष्ट्रपति चुनाव में प्रणब मुखर्जी यूपीए के प्रत्याशी थे, जबकि जेडीयू तब एनडीए का हिस्सा था. इसके बावजूद जेडीयू ने राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए प्रत्याशी प्रणब मुखर्जी का साथ दिया था. वर्ष 2017 में राष्ट्रपति चुनाव में भी नीतीश कुमार ने दल से ज्यादा प्रत्याशी को अहमियत दी थी. दोबारा प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति प्रत्याशी बनाने को लेकर जब बात भी बनी तो जेडीयू ने फिर पुराने नीति को ही अपनाया.
रामनाथ कोविंद को जेडीयू का समर्थन: उस वक्त जेडीयू बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन का हिस्सा थी, लेकिन जेडीयू ने एनडीए के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद को साथ दिया. उस समय कोविंद बिहार के राज्यपाल थे. उस दौरान नीतीश कुमार ने कहा था कि बिहार में काम करने वाले राज्यपाल को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया जा रहा.
नीतीश कुमार नहीं बनेंगे राष्ट्रपति उम्मीदवार: पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जब राष्ट्रपति उम्मीदवार के संबंध में पूछा गया था, तब उन्होंने कहा था कि अभी कुछ तय नहीं हुआ है. कौन उम्मीदवार होंगे, एक ही होंगे कि अनेक होंगे इसलिए अभी इस पर प्रतिक्रिया क्या दें. इस पर राय-विचार होगा तब सब साफ हो जाएंगे. हमलोग एनडीए में हैं. खुद के राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने के प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कौन क्या बोलता है मुझे नहीं पता. हमारी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है.
"अभी तो अंदुरुनी बातचीत चल रही है. अभी कोई बात आई नहीं है. किस तरफ से कौन कैंडिटेड होंगे कोई बात नहीं हुई है. कौन क्या बोलते रहता है. हमारी कोई इच्छा नहीं है. आज थोड़ी न मुझे राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बोला गया है, कई महीना पहले भी कहा गया था. मेरी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है. हम तो पहले ही कह चुके हैं. यह सब सवाल करके हमको मत फंसाइये." - नीतीश कुमार, सीएम, बिहार
नीतीश के फैसले पर होगी नजर: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि राष्ट्रपति चुनाव में नीतीश कुमार (Nitish Kumar in presidential election) अपने फैसले से सहयोगियों को चौकाते रहे हैं. 2012 में नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ थे लेकिन उन्होंने गठबंधन के लाइन से अलग होकर प्रणब मुखर्जी के पक्ष में मतदान किया था. वहीं, 2017 में नीतीश कुमार जब महागठबंधन के साथ थे, तब उन्होंने रामनाथ कोविंद के पक्ष में मतदान किया था. लिहाजा मुझे लगता है कि राष्ट्रपति चुनाव में पूरा दारोमदार नीतीश कुमार के ऊपर होगा और नीतीश कुमार बीजेपी के लिए राष्ट्रपति चुनाव में मजबूरी होंगे.
राष्ट्रपति चुनाव का पूरा शेड्यूल: राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव के लिए अधिसूचना 15 जून को जारी की जाएगी। नामांकन की आखिरी तारीख 29 जून तय की गई है. नामांकन पत्रों की जांच 30 जून तक होगी. उम्मीदवार अपना नामांकन दो जुलाई तक वापस ले सकेंगे. इसके बाद राष्ट्रपति का चुनाव 18 जुलाई को होगा, जिसके नतीजे तीन दिन बाद यानी 21 जुलाई को आएंगे.
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