पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एईएस (Acute Encephalitis Syndrome), जेई, हीटवेव और कालाजार को लेकर उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की. इस दौरान सीएम ने कहा कि एईएस से प्रभावित जिलों में प्रोटोकॉल के अनुसार इलाज के लिए व्यवस्था बनाए रखें. लोगों को जागरूक करने पर विशेष ध्यान दें. उनके परिवारों को बताएं कि कोई भी बच्चा रात में भूखा न सोए. इस बीमारी के कुछ भी लक्षण दिखें तो जल्द से जल्द अस्पताल जाएं, ताकि उनका समय पर इलाज हो सकें.
ये भी पढ़ें- मुजफ्फरपुर: 20 बच्चों में AES की पुष्टि, चमकी बुखार से पीड़ित 5 बच्चे SKMCH में भर्ती, 1 की हालत नाजुक
अधिकारियों को दिए निर्देश
पिछले साल एईएस प्रभावित मुजफ्फरपुर के प्रखण्डों में सोशियो इकोनॉमिक सर्वे के आधार पर जो कार्य किये गये थे, उसे एईएस प्रभावित सभी जिलों में क्रियान्वित करें. इन प्रभावित क्षेत्रों में योग्य सभी लाभुकों का आवास प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना या मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना से शीघ्र बनायें. ताकि उनके बच्चे इस बीमारी से सुरक्षित रह सकें.
'वैक्सीनेशन कार्य में लाएं तेजी'
सतत जीविकोपार्जन योजना का लाभ भी इन प्रभावित क्षेत्र के लोगों को अवश्य दिलाएं. सभी प्रभावित लोगों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो, इसके लिए सभी जरूरी कदम उठाएं, इसके लिए राशि की कमी नहीं होने दी जाएगी. जापानी इंसेफ्लाइटिस के लिए बचे तीन जिलों कैमूर, खगड़िया और बेगूसराय में वैक्सीनेशन कार्य तेजी से पूर्ण करें.
'चिकित्सा व्यवस्था दुरूस्त रखें'
हीटवेव से प्रभावित होने वाले जिले पूरी तरह अलर्ट पर रहें. अस्पतालों में हीट वेव से प्रभावित लोगों के इलाज के लिये चिकित्सा व्यवस्था दुरूस्त रखें. हीटवेव से बचाव के लिये लोगों को जागरूक करते रहें. कालाजार उन्मूलन के लिए हम लोग लगातार काम कर रहे हैं. कालाजार मरीजों के इलाज में किसी प्रकार की कोताही न बरतें.
ये भी पढ़ें- जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था: बिहार में 60% से ज्यादा डॉक्टरों की कमी, राष्ट्रीय औसत से कोसो दूर
बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, प्रधान सचिव चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार उपस्थित थे. जबकि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, उप मुख्यमंत्री रेणु देवी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे, मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत, सहित संबंधित विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव, प्रमंडलीय आयुक्त और जिलों के जिलाधिकारी जुड़े हुए थे.