पटना : बिहार में होने वाले जलवायु परिवर्तन के बारे में अध्ययन के लिए पटना में शोध किया जाएगा. इसको लेकर पटना जू में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद की ओर से क्लाइमेंट चेंज लर्निंग लैब की स्थापना (Climate Change Teaching Laboratory Opened In Patna) की गई. बिहार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री नीरज कुमार सिंह (Minister Niraj Kumar Singh) ने रविवार को उक्त प्रयोगशाला का उद्घाटन करते हुए कहा कि यह छात्रों सहित सभी संबंधित हितधारकों को एक परस्पर संवादात्मक और दिलचस्प तरीके से जलवायु परिवर्तन से संबंधित जानकारी प्रदान करेगी. यह सुविधा बिहार में पहली बार स्थापित की गई है.
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देश के चार हिस्सों में बनना है लैब : जानकारी हो कि क्लाइमेंट चेंज की समस्या को लेकर वर्ष 2015 में पेरिस समझौता परियोजना के तहत देश के चार राज्यों हरियाणा, गुजरात, केरल एवं बिहार में जलवायु परिवर्तन प्रयोगशाला की स्थापना की जानी थी. लेकिन सबसे पहला लैब बिहार की राजधानी पटना में ही खुला है. यह पटना जू के गेट नंबर 2 के पास जू एजुकेशनल हॉल में खुला है. इसकी स्थापना यूरोपियन यूनियन एवं जर्मनी की एक संस्था जीआईजेड द्वारा किया गया है. मंत्री नीरज कुमार सिंह ने कहा कि यह लैब आम जनता को विशेषकर स्कूली बच्चों को आकर्षित करेगा.
38 जिलों के जलवायु परिवर्तन के बारे में दिखाया गया : इससे लैब में क्लाइमेट चेंज की जानकारी तो मिलेगी ही साथ ही आम लोग पूरी धरती के लिए खतरनाक हो रही गैसों के बारे में भी जानकारी ले सकेंगे. लैब में अत्याधुनिक मशीनों के साथ ही ही, टीवी स्क्रीन भी लगाए गए हैं, जहां पर बदलते क्लाइमेट के दुष्प्रभाव के बारे में स्लाइड चलते रहेंगे. इस लैब की खासियत यह है कि अगर कोई रिसर्च करना चाहे या जानकारी लेना चाहे तो इसके लिए उसे किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं देना पड़ेगा. इस लैब के माध्यम से छात्रों, रिसर्च करने वाले और साइंटिस्ट तो जानकारी ले ही सकते हैं, अगर कोई आम आदमी भी अगर इस लैब के माध्यम से जानकारी लेना चाहे तो वह भी यहां बिल्कुल मुफ्त में जानकारी ले सकता है. लैब में बिहार के सभी 38 जिलों के जलवायु परिवर्तन के बारे में भी विशेष रूप से दिखाया गया है. साथ ही यह भी बताया गया है कि राज्य के कौन-कौन से जिले क्लाइमेट चेंज के अन्य दुष्प्रभाव में धीरे-धीरे समाते जा रहे हैं.
विभिन्न समझौते के बारे में जानकारी : 2 मंजिली इस लैब को बनाने में करीब एक साल का वक्त लगा है. लैब के हर हिस्से में क्लाइमेट चेंज से जुड़ी हुई चीजों को ही दर्शाया गया है और उसके दुष्प्रभाव के बारे में जानकारी दी गई है. साथ ही जलवायु परिवर्तन के लिए अभी तक जितने भी समझौते हुए हैं, जैसे फाउंडेशन ऑफ आईपीसीसी, सीओपी, दोहा अमेंडमेंट, पृथ्वी शिखर सम्मेलन, क्योटो प्रोटोकॉल, पेरिस समझौता और सीओपी 26 के बारे में भी जानकारी दी गई है.
''हम जानते हैं कि मनुष्यों के कारण हमारी जलवायु बदल रही है और इन परिवर्तनों का हमारे जीवन पर पहले से ही बड़ा प्रभाव पड़ रहा है. ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि हम समझें कि जलवायु कैसे बदल रही है ताकि हम भविष्य के लिए तैयारी कर सकें. मैं राज्य के पर्यावरण विभाग के अधिकारियों से प्रदेश के सभी 38 जिलों में ऐसी प्रयोगशालाएं खोलने की संभावना तलाशने के लिए कहूंगा.'' - नीरज कुमार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री
मंत्री ने आगे कहा कि सीसीएलएल की स्थापना राज्य के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा पेरिस समझौता (एसपीआईपीए) परियोजना के कार्यान्वयन के लिए रणनीतिक साझेदारी के तहत की गई है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय इस परियोजना के लिए नोडल मंत्रालय है. वहीं, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ एके घोष ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए जन-जन को सहयोग की जरूरत है. प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने कहा कि हमारा प्रयास है कि सन 2040 तक राज्य में शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया जाए.