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खुदाबख्श लाइब्रेरी को बचाने के लिए नागरिक संवाद का आयोजन, 15 अप्रैल को बनेगा मानव श्रृंखला - पटना में खुदाबख्श लाइब्रेरी

पटना में खुदाबख्श लाइब्रेरी को बचाने के लिए नागरिक संवाद का आयोजन किया गया. पुस्तकालय को बचाने के लिए 15 अप्रैल को मानव श्रृंखला बनाया जाएगा.

Khudabkhsh library in patna
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Published : Apr 14, 2021, 4:43 PM IST

पटना: अशोक राजपथ स्थित बिहार यंग मेंस इंस्टीट्यूट में बिहार विधानसभा पुस्तकालय समिति के सभापति द्वारा नागरिक संवाद का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में पटना के नामी-गिरामी चिकित्सक, शिक्षक, संस्कृति कर्मी, पत्रकार और छात्र शामिल हुए. बैठक में मुख्य रूप से सरकार के फ्लाईओवर निर्माण के लिए खुदाबख्श लाइब्रेरी के हिस्से को तोड़ने के फैसले को किस तरीके से रोका जाए, इस पर चर्चा की गई.

ये भी पढ़ें: खुदाबख्श लाइब्रेरी को तोड़ने के फैसले से छात्र निराश, कहा- 'लाइब्रेरी नहीं बल्कि बिहार के हजारों छात्रों का टूटेगा सपना'

"सरकार का फ्लाईओवर बनाने के नाम पर ऐतिहासिक धरोहर खुदाबख्श लाइब्रेरी को तोड़ने का फैसला सरासर गलत है. सरकार उस फैसले को वापस ले. आज आगामी रणनीति बनाने के लिए हम लोगों ने बैठक बुलाई है. यह फैसला लिया है कि पहले हम शांतिपूर्ण तरीके से सरकार से आग्रह करेंगे. उसके बाद भी सरकार नहीं मानी तो, हम एक बड़ा आंदोलन करेंगे. इसको लेकर बिहार के राज्यपाल और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र भी लिखा है"- सुदामा प्रसाद, सभापति, पुस्तकालय समिति

"यूनेस्को द्वारा 1959 में घोषित बिहार का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय धरोहर खुदाबख्श लाइब्रेरी है. बिहार सरकार विकास के नाम पर ऐतिहासिक धरोहरों को तोड़ने का काम कर रही है. इस पूरी योजना का सरकार के पास विकल्प है. लेकिन बावजूद उसके सरकार ऐतिहासिक धरोहर को नुकसान पहुंचाना चाहती है. जो सरासर गलत है. एक फ्लाईओवर के निर्माण के लिए सरकार 130 साल पुराना ऐतिहासिक धरोहर तोड़ना चाहती है"- संदीप सौरभ, भाकपा-माले विधायक

Khudabkhsh library in patna
भाकपा-माले विधायक संदीप सौरभ

ये भी पढ़ें: सरकार का खुदा बक्श लाइब्रेरी के हिस्से को तोड़ने का फैसला गलत : भाकपा माले

ढाई लाख से अधिक किताबें उपलब्ध
खुदाबख्श लाइब्रेरी की स्थापना के समय उसमें 4000 पांडुलिपियां थीं और वर्तमान में 21 हजार पांडुलिपि यहां उपलब्ध हैं. ढाई लाख से अधिक किताबें उपलब्ध हैं. रीडिंग हॉल में पढ़ने की परंपरा बनी हुई है. इस लाइब्रेरी में महात्मा गांधी और देश के कई क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी आ चुके हैं. जिस हॉल में महात्मा गांधी ने बैठकर किताब पढ़ी थी, उसको तोड़ने का काम किया जा रहा है.

"साल 1905 का बना रीडिंग हॉल, जहां मैंने खुद पढ़ाई की है, जेएनयू की तैयारी की है. आज हजारों की संख्या में छात्र वहां पढ़ाई करते हैं. विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के साथ-साथ सिविल सर्विसेज की तैयारी करते हैं. सिर्फ इतना ही नहीं सरकार उसके आसपास के भी ऐतिहासिक भवनों को तोड़ना चाहती है. बिहार विधानसभा में पुस्तकालय समिति बनाई गई है. जिसके अंतर्गत बिहार के पुस्तकालय हैं और खुदाबख्श लाइब्रेरी भी उसी के अंतर्गत है. लेकिन सरकार ने एक बार भी पुस्तकालय समिति से इस पर कुछ विमर्श नहीं किया. जबरन एनओसी के लिए दबाव बना रही है और ले भी लेगी. विकास के नाम पर ऐतिहासिक धरोहरों को तोड़ने का काम किया जा रहा है. ऐसा हम हरगिज नहीं होने देंगे. हम शांतिपूर्ण तरीके से सरकार से अपील करेंगे. अगर सरकार इसके बाद भी नहीं मानी तो मजबूरन हम एक बड़ा आंदोलन करेंगे"- संदीप सौरभ, भाकपा-माले विधायक

ये भी पढ़ें: पूर्व IPS अधिकारी अमिताभ दास ने पथ निर्माण विभाग को लिखा पत्र, खुदाबख्श लाइब्रेरी नहीं तोड़ने की अपील

मानव श्रृंखला का आयोजन
भाकपा-माले विधायक ने बताया कि 15 अप्रैल को कोविड-19 का पालन करते हुए खुदाबख्श लाइब्रेरी के समक्ष मानव श्रृंखला बनाया जायेगा. 16 अप्रैल को पुस्तकालय समिति ने पुल और पथ निर्माण के पदाधिकारी की बैठक बुलाई है. सरकार अगर इसके बाद भी नहीं मानी तो एक बड़ा आंदोलन बिहार में होगा.

पटना: अशोक राजपथ स्थित बिहार यंग मेंस इंस्टीट्यूट में बिहार विधानसभा पुस्तकालय समिति के सभापति द्वारा नागरिक संवाद का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में पटना के नामी-गिरामी चिकित्सक, शिक्षक, संस्कृति कर्मी, पत्रकार और छात्र शामिल हुए. बैठक में मुख्य रूप से सरकार के फ्लाईओवर निर्माण के लिए खुदाबख्श लाइब्रेरी के हिस्से को तोड़ने के फैसले को किस तरीके से रोका जाए, इस पर चर्चा की गई.

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"सरकार का फ्लाईओवर बनाने के नाम पर ऐतिहासिक धरोहर खुदाबख्श लाइब्रेरी को तोड़ने का फैसला सरासर गलत है. सरकार उस फैसले को वापस ले. आज आगामी रणनीति बनाने के लिए हम लोगों ने बैठक बुलाई है. यह फैसला लिया है कि पहले हम शांतिपूर्ण तरीके से सरकार से आग्रह करेंगे. उसके बाद भी सरकार नहीं मानी तो, हम एक बड़ा आंदोलन करेंगे. इसको लेकर बिहार के राज्यपाल और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र भी लिखा है"- सुदामा प्रसाद, सभापति, पुस्तकालय समिति

"यूनेस्को द्वारा 1959 में घोषित बिहार का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय धरोहर खुदाबख्श लाइब्रेरी है. बिहार सरकार विकास के नाम पर ऐतिहासिक धरोहरों को तोड़ने का काम कर रही है. इस पूरी योजना का सरकार के पास विकल्प है. लेकिन बावजूद उसके सरकार ऐतिहासिक धरोहर को नुकसान पहुंचाना चाहती है. जो सरासर गलत है. एक फ्लाईओवर के निर्माण के लिए सरकार 130 साल पुराना ऐतिहासिक धरोहर तोड़ना चाहती है"- संदीप सौरभ, भाकपा-माले विधायक

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भाकपा-माले विधायक संदीप सौरभ

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ढाई लाख से अधिक किताबें उपलब्ध
खुदाबख्श लाइब्रेरी की स्थापना के समय उसमें 4000 पांडुलिपियां थीं और वर्तमान में 21 हजार पांडुलिपि यहां उपलब्ध हैं. ढाई लाख से अधिक किताबें उपलब्ध हैं. रीडिंग हॉल में पढ़ने की परंपरा बनी हुई है. इस लाइब्रेरी में महात्मा गांधी और देश के कई क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी आ चुके हैं. जिस हॉल में महात्मा गांधी ने बैठकर किताब पढ़ी थी, उसको तोड़ने का काम किया जा रहा है.

"साल 1905 का बना रीडिंग हॉल, जहां मैंने खुद पढ़ाई की है, जेएनयू की तैयारी की है. आज हजारों की संख्या में छात्र वहां पढ़ाई करते हैं. विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के साथ-साथ सिविल सर्विसेज की तैयारी करते हैं. सिर्फ इतना ही नहीं सरकार उसके आसपास के भी ऐतिहासिक भवनों को तोड़ना चाहती है. बिहार विधानसभा में पुस्तकालय समिति बनाई गई है. जिसके अंतर्गत बिहार के पुस्तकालय हैं और खुदाबख्श लाइब्रेरी भी उसी के अंतर्गत है. लेकिन सरकार ने एक बार भी पुस्तकालय समिति से इस पर कुछ विमर्श नहीं किया. जबरन एनओसी के लिए दबाव बना रही है और ले भी लेगी. विकास के नाम पर ऐतिहासिक धरोहरों को तोड़ने का काम किया जा रहा है. ऐसा हम हरगिज नहीं होने देंगे. हम शांतिपूर्ण तरीके से सरकार से अपील करेंगे. अगर सरकार इसके बाद भी नहीं मानी तो मजबूरन हम एक बड़ा आंदोलन करेंगे"- संदीप सौरभ, भाकपा-माले विधायक

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मानव श्रृंखला का आयोजन
भाकपा-माले विधायक ने बताया कि 15 अप्रैल को कोविड-19 का पालन करते हुए खुदाबख्श लाइब्रेरी के समक्ष मानव श्रृंखला बनाया जायेगा. 16 अप्रैल को पुस्तकालय समिति ने पुल और पथ निर्माण के पदाधिकारी की बैठक बुलाई है. सरकार अगर इसके बाद भी नहीं मानी तो एक बड़ा आंदोलन बिहार में होगा.

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