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आज कलम के आराध्य देव भगवान चित्रगुप्त की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त

चित्रगुप्त पूजा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनायी जाती है. कास्यथ परिवार के लोगों का कहना है कि हमारे पूर्वज चित्रगुप्त ने जितनी देर कलम नहीं छुआ. हम उसी परंपरा का निर्वहन कर साल में एक दिन कलम से काम नहीं करते हैं. यहां देखें चित्रगुप्त पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि..

chitragupta puja being celebrated in Bihar
chitragupta puja being celebrated in Bihar
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Published : Nov 6, 2021, 5:46 AM IST

पटना: देशभर में आज चित्रगुप्त पूजा (Chitragupta Puja) का त्योहार मनाया जा रहा है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन जहां भाई दूज का पर्व मनाया जाता है. वहीं, दूसरी ओर चित्रगुप्त पूजा भी की जाती है. पंचांग के अनुसार चित्रगुप्त की पूजा 6 नवंबर दिन शनिवार को की जाएगी. आज दिन कलम के देवता माने जाने वाले भगवान चित्रगुप्त की पूजा कायस्थ बंधुओं विशेष रूप से करते हैं.

यह भी पढ़ें - सिंगापुर में भी गूंज रहे छठी मईया के गीत, सात समंदर पार आकर भी नहीं भूले अपनी संस्कृति

भारत को पारंपरिक और सांस्कृतिक उत्सव का देश कहा जाता है. यहां अलग-अलग सभ्यता, धर्म और संस्कृति से जुड़े लोग रहते हैं. सबका अपना अलग-अलग तरह के रीति रिवाज है. उनके पूजा पाठ करने के ढंग और तौर तरीके भी अलग-अलग हैं. लेकिन कायस्थ समाज में एक विशेष परंपरा प्रचलित है. चित्रगुप्त पूजा के दिन वो कलम नहीं छूते हैं.

साल भर में इस एक दिन कायस्थ जाति के लोग कलम नहीं छूते हैं. ये परंपरा सदियों से चली आ रही है. वहीं, चित्रांश परिवार यानी कायस्थ जाति के लोग इस परंपरा को मानते हुए आ रहे हैं. इस दिन वो सब कलम-दवात की पूजा करते हैं. कलम दवात की पूजा करने के पीछे पौराणिक कथा प्रचलित है.

चित्रगुप्त पूजा तिथि, शुभ मुहूर्त:

प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 05 नवंबर, रात 11 बजकर 15 मिनट पर द्वितीया तिथि प्रारंभ होगी.

प्रतिपदा तिथि समाप्‍त: 06 नवंबर, शाम 07 बजकर 44 मिनट तक. इस दिन राहु काल सुबह 9 बजकर 26 मिनट से प्रात: 10 बजकर 47 मिनट तक रहेगा.

चित्रगुप्त पूजा मुहूर्त: 6 नवंबर को दोपहर 1:15 मिनट से शाम को 3:25 मिनट तक

चित्रगुप्त प्रार्थना मंत्र:

मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।

लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।

ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः मंत्र का भी उच्चारण करते रहें.

पूजा विधि:
मान्यता है कि चित्रगुप्त पूजा के दिन एक सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ओम चित्रगुप्ताय नमः लिखकर पूजन स्थल के पास रख दिया जाता है. आप भगवान से बुद्धि, विद्या और लेखन का अशीर्वाद मांग सकते हैं.

निमंत्रण नहीं मिलने से थे नाराज
मान्यता है कि इस दिन कुलदेवता चित्रगुप्त भगवान ने आक्रोश में आकर खाता-बही का काम करना बंद कर दिये थे. क्योंकि भगवान राम के राजतिलक में उन्हें निमंत्रण नहीं दिया गया था. निमंत्रण नहीं दिये जाने से वो काफी नाराज हो गए थे और मर्त्यलोक के लेखा-जोखा का काम बंद कर दिये.

'भगवान राम ने अनुनय-विनय कर मनाया'
चित्रगुप्त भगवान ने जब मर्त्यलोक लेखा-जोखा बंद कर दिया तो इसकी जानकारी भगवान राम को हुई. उन्होंने अनुनय विनय कर चित्रगुप्त भगवान को मनाया. उसके बाद चित्रगुप्त भगवान ने लेखा-जोखा का काम शुरू किए. इसीलिए कास्यथ परिवार के लोगों का कहना है कि हमारे पूर्वज चित्रगुप्त ने जितनी देर कलम नहीं छुआ. हम उसी परंपरा का निर्वहन कर साल में एक दिन कलम से काम नहीं करते हैं.

चित्रगुप्त पूजा की पौराणिक कथा
ज्योतिषविदों की मानें तो जब भगवान विष्णु अपनी योग माया से जब सृष्टि की रचना कर रहे थे. तब उनके नाभि से एक कमल फूल निकला और उस पर आसीन पुरुष ब्रह्मा कहलाए. भगवान ब्रह्मा ने समस्त प्राणियों, देवता-असुर, गंधर्व, अप्सरा और स्त्री-पुरूष बनाए. सृष्टि में जीवों के कर्मों के अनुसार उन्हें सजा देने की जिम्मेदारी देने के लिए धर्मराज यमराज का भी जन्म हुआ.

इतनी बड़ी सृष्टि के प्राणियों की सजा का काम देखने के लिए एक सहायक की आवश्यकता हुई. इसलिए भगवान ब्रह्मा ने यमराज के सहायक के तौर पर न्यायाधीश, बुद्धिमान, लेखन कार्य में दक्ष, तपस्वी, ब्रह्मनिष्ठ और वेदों का ज्ञाता चित्रगुप्त को योगमाया से उत्पन्न किया. इसलिए इन्हें भगवान ब्रह्मा का मानस पुत्र भी कहा जाता है. भगवान चित्रगुप्त सभी प्राणियों के पाप और पुण्यकर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं.आदमी का भाग्य लिखने का काम यही करते है. हर साल पूरे उल्लास के साथ यह पर्व मनाया जाता है.

पटना: देशभर में आज चित्रगुप्त पूजा (Chitragupta Puja) का त्योहार मनाया जा रहा है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन जहां भाई दूज का पर्व मनाया जाता है. वहीं, दूसरी ओर चित्रगुप्त पूजा भी की जाती है. पंचांग के अनुसार चित्रगुप्त की पूजा 6 नवंबर दिन शनिवार को की जाएगी. आज दिन कलम के देवता माने जाने वाले भगवान चित्रगुप्त की पूजा कायस्थ बंधुओं विशेष रूप से करते हैं.

यह भी पढ़ें - सिंगापुर में भी गूंज रहे छठी मईया के गीत, सात समंदर पार आकर भी नहीं भूले अपनी संस्कृति

भारत को पारंपरिक और सांस्कृतिक उत्सव का देश कहा जाता है. यहां अलग-अलग सभ्यता, धर्म और संस्कृति से जुड़े लोग रहते हैं. सबका अपना अलग-अलग तरह के रीति रिवाज है. उनके पूजा पाठ करने के ढंग और तौर तरीके भी अलग-अलग हैं. लेकिन कायस्थ समाज में एक विशेष परंपरा प्रचलित है. चित्रगुप्त पूजा के दिन वो कलम नहीं छूते हैं.

साल भर में इस एक दिन कायस्थ जाति के लोग कलम नहीं छूते हैं. ये परंपरा सदियों से चली आ रही है. वहीं, चित्रांश परिवार यानी कायस्थ जाति के लोग इस परंपरा को मानते हुए आ रहे हैं. इस दिन वो सब कलम-दवात की पूजा करते हैं. कलम दवात की पूजा करने के पीछे पौराणिक कथा प्रचलित है.

चित्रगुप्त पूजा तिथि, शुभ मुहूर्त:

प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 05 नवंबर, रात 11 बजकर 15 मिनट पर द्वितीया तिथि प्रारंभ होगी.

प्रतिपदा तिथि समाप्‍त: 06 नवंबर, शाम 07 बजकर 44 मिनट तक. इस दिन राहु काल सुबह 9 बजकर 26 मिनट से प्रात: 10 बजकर 47 मिनट तक रहेगा.

चित्रगुप्त पूजा मुहूर्त: 6 नवंबर को दोपहर 1:15 मिनट से शाम को 3:25 मिनट तक

चित्रगुप्त प्रार्थना मंत्र:

मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।

लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।

ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः मंत्र का भी उच्चारण करते रहें.

पूजा विधि:
मान्यता है कि चित्रगुप्त पूजा के दिन एक सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ओम चित्रगुप्ताय नमः लिखकर पूजन स्थल के पास रख दिया जाता है. आप भगवान से बुद्धि, विद्या और लेखन का अशीर्वाद मांग सकते हैं.

निमंत्रण नहीं मिलने से थे नाराज
मान्यता है कि इस दिन कुलदेवता चित्रगुप्त भगवान ने आक्रोश में आकर खाता-बही का काम करना बंद कर दिये थे. क्योंकि भगवान राम के राजतिलक में उन्हें निमंत्रण नहीं दिया गया था. निमंत्रण नहीं दिये जाने से वो काफी नाराज हो गए थे और मर्त्यलोक के लेखा-जोखा का काम बंद कर दिये.

'भगवान राम ने अनुनय-विनय कर मनाया'
चित्रगुप्त भगवान ने जब मर्त्यलोक लेखा-जोखा बंद कर दिया तो इसकी जानकारी भगवान राम को हुई. उन्होंने अनुनय विनय कर चित्रगुप्त भगवान को मनाया. उसके बाद चित्रगुप्त भगवान ने लेखा-जोखा का काम शुरू किए. इसीलिए कास्यथ परिवार के लोगों का कहना है कि हमारे पूर्वज चित्रगुप्त ने जितनी देर कलम नहीं छुआ. हम उसी परंपरा का निर्वहन कर साल में एक दिन कलम से काम नहीं करते हैं.

चित्रगुप्त पूजा की पौराणिक कथा
ज्योतिषविदों की मानें तो जब भगवान विष्णु अपनी योग माया से जब सृष्टि की रचना कर रहे थे. तब उनके नाभि से एक कमल फूल निकला और उस पर आसीन पुरुष ब्रह्मा कहलाए. भगवान ब्रह्मा ने समस्त प्राणियों, देवता-असुर, गंधर्व, अप्सरा और स्त्री-पुरूष बनाए. सृष्टि में जीवों के कर्मों के अनुसार उन्हें सजा देने की जिम्मेदारी देने के लिए धर्मराज यमराज का भी जन्म हुआ.

इतनी बड़ी सृष्टि के प्राणियों की सजा का काम देखने के लिए एक सहायक की आवश्यकता हुई. इसलिए भगवान ब्रह्मा ने यमराज के सहायक के तौर पर न्यायाधीश, बुद्धिमान, लेखन कार्य में दक्ष, तपस्वी, ब्रह्मनिष्ठ और वेदों का ज्ञाता चित्रगुप्त को योगमाया से उत्पन्न किया. इसलिए इन्हें भगवान ब्रह्मा का मानस पुत्र भी कहा जाता है. भगवान चित्रगुप्त सभी प्राणियों के पाप और पुण्यकर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं.आदमी का भाग्य लिखने का काम यही करते है. हर साल पूरे उल्लास के साथ यह पर्व मनाया जाता है.

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