नई दिल्ली/पटना: लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) में फूट के बाद पार्टी दो गुटों में बंट गई है. चिराग पासवान (Chirag Paswan) और पशुपति पारस (Pashupati Paras) दोनों के ही अपने-अपने दावे हैं. इस दौरान चिराग अपने राजनीतिक अस्तित्व की जंग लड़ रहे हैं. इस मामले में उन्होंने पीएम मोदी की चुप्पी को लेकर बड़ा बयान दिया है.
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''मैंने हनुमान की तरह प्रधानमंत्री जी का हर मुश्किल दौर में साथ दिया, आज जब हनुमान का राजनीतिक वध करने का प्रयास किया जा रहा है, मैं ये विश्वास करता हूं कि ऐसे में राम खामोशी से नहीं देखेंगे''- चिराग पासवान, सांसद, लोजपा
'हमेशा BJP के साथ रहा खड़ा'
चिराग पासवान ने कहा कि मैंने शुरू से स्पष्ट किया कि मेरा गठबंधन बीजेपी के साथ हुआ और मैं आज तक बीजेपी के साथ खड़ा हूं. बीजेपी के हर नीतिगत फैसले का मैंने समर्थन किया है, जबकि नीतीश जी ने इनके हर फैसले का विरोध किया. अब ये फैसला बीजेपी को लेना है कि वो आने वाले समय में मेरा साथ देते हैं या नीतीश जी का.
'अपनों ने ही दिया धोखा'
उन्होंने कहा कि मेरे परिवार के लोगों ने ही मेरी पार्टी को तोड़ने का काम किया है, फिलहाल मुझे अपनी पार्टी को शून्य से उस मुकाम पर लेकर जाना है, जहां पापा पार्टी को हमेशा लेकर जाना चाहते थे.
दो खेमों में बंटी लोजपा
बता दें टूट के बाद से लोजपा दो खेमों में बंट गयी है. एक खेमा चिराग पासवान के साथ है तो दूसरा खेमा पशुपति कुमार पारस का समर्थन किया है. छह में से पांच सांसद बागी हो गए हैं. चिराग के चाचा एवं सांसद पशुपति कुमार पारस बागी गुट का नेतृत्व कर रहे हैं.
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कब क्या हुआ
- 13 जून: लोजपा के 5 सांसदों ने पशुपति पारस को अपना नेता चुना. उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ संसदीय दल के नेता का दायित्व सौंपा. राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को सभी पदों से हटा दिया गया.
- 14 जून: लोकसभा सचिवालय ने चिराग की जगह पशुपति पारस को संसदीय दल का नेता चुने जाने की अधिसूचना जारी की.
- 15 जून: चिराग ने लोजपा के पांच सांसदों (पशुपति पारस, चंदन सिंह, चौधरी महबूब अली कैसर, प्रिंस राज और वीणा सिंह) को पार्टी से बाहर कर दिया. दूसरी ओर पशुपति पारस गुट ने सूरजभान सिंह को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया.
- 16 जून: चिराग ने प्रिंस की जगह राजू तिवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया.
- 17 जून: पशुपति पारस राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए.
- 18 जून: पशुपति पारस ने पार्टी की राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर की सभी कमेटियों और प्रकोष्ठ को भंग कर दिया. नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा कर दी.