नई दिल्ली/पटना: क्या चिराग पासवान ( Chirag Paswan ) 12 जनपथ ( 12 Janpath ) पर स्थित बंगले को खाली नहीं करना चाहते हैं? क्या इस बंगले पर कब्जे की तैयारी कर रहे हैं? दरअसल यह सवाल अब इसलिए उठा रहा है क्योंकि इस बंगला में चिराग पासवान ने अपने पिता स्वर्गीय रामविलास पासवान ( Ram Vilas Paswan ) की मूर्ति लगा दी है.
दरअसल, इस बंगला में राम विलास पासवान करीब 30 साल तक रहे. पिछले साल आठ अक्टूबर को उनका निधन हो गया था. शहरी विकास एवं आवास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले संपदा निदेशालय ने चिराग को नोटिस भेजा था कि इस बांगला को खाली कर दीजिए.
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सूत्रों के अनुसार चिराग ने कहा था कि अपने पिता की पहली पुण्यतिथि तक वह इस बंगले में रहना चाहते हैं. लेकिन उनकी इस मांग को नहीं माना गया और यह बंगला केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को आवंटित कर दिया गया.
जमुई सांसद चिराग पासवान अपने मां और परिवार के अन्य सदस्य के साथ इस बंगला में रहत हैं. बंगला जल्द से जल्द खाली करने के लिए उनको कहा गया है लेकिन चिराग ने अपने पिता की मूर्ति स्थापित कर दी है. सूत्रों के अनुसार चिराग इस बंगले को रामविलास पासवान मेमोरियल के तौर पर घोषित करने की मांग कर सकते हैं. जो मौजूदा हालात हैं उससे यही लग रहा है कि वह इस बंगले को खाली करने के मूड में नहीं है.
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बता दें उधर लोजपा पार्टी में बड़ी टूट हुई थी. पार्टी के पांच सांसद बागी हो गए जिसमें चिराग के चाचा पशुपति पारस भी शामिल हैं. सांसदों ने पारस को संसदीय दल का नेता एवं पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग की जगह बना दिया. पारस केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं.
दूसरी तरफ चिराग ने पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलायी थी, जिसमें कहा गया कि 95% लोग उपस्थित थे. चिराग का दावा है कि लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वह हैं. पार्टी 2 खेमों बंट चुकी है. दोनों खेमा खुद को असली लोजपा बता रहा है. एक खेमा पारस व दूसरा खेमा चिराग का है. मामला अभी चुनाव आयोग में है. पार्टी से लेकर अब बंगले तक की लड़ाई चिराग लड़ रहे हैं.