पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद लोजपा में लगातार टूट हो रही है. पार्टी को इस संकट से उबारने के लिए लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान एक सप्ताह के बिहार दौरे पर आए थे. इस दौरान उन्होंने 2 दिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की. सोमवार देर रात वह वापस दिल्ली लौट गए.
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ऐसे में सवाल उठता है कि चिराग पासवान दिल्ली में बैठकर बिहार की राजनीति में कैसे सक्रिय रहेंगे? बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग पासवान लगातार बिहार की राजनीति में सक्रिय रहने का दावा कर रहे थे. यहां तक कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जेल भिजवाने का दावा भी कर रहे थे.
लोजपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं में इस बात की उम्मीद थी कि चिराग पासवान बिहार आए हैं तो भंग की गईं पार्टी की सभी कमेटी का पुनर्गठन किया जाएगा. परंतु विधानसभा चुनाव में हार के ढाई महीने बाद अब तक नई कमेटियों का गठन नहीं किया गया. इस संबंध में लोजपा के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष संजय पासवान ने कहा कि नई कमेटी और लोजपा को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ विचार विमर्श कर लिया गया है. जल्द ही चिराग पासवान द्वारा लिए गए निर्णय को अमली जामा पहनाया जाएगा.
लोजपा हो रही टूट की शिकार
गौरतलब है कि पिछले दिनों लोजपा के पूर्व महासचिव केशव सिंह के नेतृत्व में 208 कार्यकर्ताओं ने जदयू का दामन थाम लिया था. विधानसभा चुनाव के समय लोजपा में शामिल होने वाले भाजपा के पूर्व विधायक रामेश्वर चौरसिया ने भी पार्टी छोड़ दिया था. लोजपा की इकलौती विधान पार्षद नूतन सिंह ने भी बीजेपी ज्वाइन कर लिया.
पार्टी में लगातार हो रही टूट के बाद चिराग पासवान ने बदलाव करते हुए प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष राजू तिवारी और प्रधान महासचिव को बदलकर संजय पासवान को बनाया है. हालांकि सवाल यही उठता है कि लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान दिल्ली बैठकर अपनी पार्टी में हो रही टूट को कैसे बचा पाएंगे?