पटना: लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) में नेतृत्व की लड़ाई आर-पार की स्थिति में पहुंच गई है. लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने पार्टी के सभी पांचों बागी सांसदों को पार्टी से निकाल दिया है. पूरे मामले पर लोजपा (LJP) अध्यक्ष चिराग पासवान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की है.
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'जिन्हें संघर्ष पसंद नहीं उन्होंने दिया धोखा'
इस दौरान चिराग पासवान ने चाचा पशुपति पारस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि पापा के समय में भी पार्टी को तोड़ने का काम किया जाता रहा है. पिता के निधन के बाद उन्होंने परिवार और पार्टी दोनों को लेकर चलने का काम किया. पार्टी में कुछ लोग संघर्ष की राजनीति नहीं करना चाहते थे लेकिन हमने पार्टी के सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया. जिन लोगों को संघर्ष का रास्ता पसंद नहीं था, उन्होंने ही धोखा दिया.
''लोजपा में टूट को लेकर उन्होंने कहा कि 'मैंने अंत तक पार्टी और परिवार को बचाने की कोशिश की. मैं उनके घर भी गया. मेरी मां ने भी उनसे बात करने की कोशिश की. लेकिन फिर कल अहसास हो गया कि सारे प्रयास असफल हो गए हैं, इसलिए वर्चुअल तरीके से राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की. जो मुझे अध्यक्ष पद से हटाना चाहते हैं उन्हें उन्हें पार्टी के संविधान के बारे में जानना चाहिए.''- चिराग पासवान, राष्ट्रीय अध्यक्ष, लोजपा
'मैं शेर का बेटा हूं, लंबी लड़ाई के लिए तैयार हूं'
चिराग पासवान ने कहा कि पार्टी के संविधान के अनुसार सिर्फ संसदीय दल और खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष ही संसदीय दल के नेता को चुन सकता है, अगर चाचा कहते तो उन्हें संसदीय दल का नेता बना देता. अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष की बात है तो संविधान के अनुसार अभी भी वही अध्यक्ष हैं. मैं रामविलास पासवान का बेटा हूं, मैं शेर का बेटा हूं, पहले भी लड़ा था और आगे भी लड़ूंगा. बिहार की जनता हमारे साथ है.
'हमने मजबूती से लड़ा विधानसभा चुनाव'
विधानसभा चुनाव में लोजपा को जनता का प्यार मिला. सभी का कहना था कि हमें नकार दिया जाएगा, लेकिन हमें 6 प्रतिशत वोट मिले. राज्य के 25 लाख लोगों ने हमारी पार्टी को वोट दिया. हमने गठबंधन से अलग होकर मजबूती से चुनाव लड़ा. पापा के समय में भी पार्टी को तोड़ने का काम किया जाता रहा था. जेडीयू निरंतर लंबे समय से पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रही थी. गठबंधन में चुनाव लड़ते तो परिणाम और अच्छा होता. लेकिन, नीतीश के सामने नतमस्तक होना पड़ता, जो हमें मंजूर नहीं है.
'पीठ पीछे पार्टी को तोड़ने की रची साजिश'
चिराग पासवान ने कहा कि जब मैं बीमार था, तब मेरे पीठ पीछे पार्टी को तोड़ने की साजिश रची गई. जबकि चुनाव के बाद से ही मैं चाचा से संपर्क करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन संपर्क नहीं हुआ. जब कोई संवाद नहीं हुआ तो होली के दिन परिवार के लोग भी नहीं थे. उस दिन मैंने उन्हें पत्र भी लिखा था. जिसे मैंने कुछ दिन पहले ट्वीट कर साझा किया था.
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चिराग पासवान की बड़ी बातें:
- विधानसभा चुनाव में लोजपा को जनता का प्यार मिला
- हमने अलग होकर मजबूती से चुनाव लड़ा
- हम लोगों ने चुनाव में 6 प्रतिशत वोट प्राप्त किए
- पापा के समय में भी पार्टी को तोड़ने का काम किया जाता रहा
- निरंतर लंबे समय से पार्टी को कुछ लोगों ने तोड़ने की कोशिश की
- कुछ लोग कम्फर्टेबल राजनीति करना चाहते थे
- कुछ लोग संघर्ष की राजनीति नहीं करना चाहते थे
- हमने पार्टी के सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया
- मुझे नीतीश कुमार के साथ समझौता करना मंजूर नहीं था
- मैंने हमेशा बिहार की जनता के साथ प्यार किया
- मेरे खुद के चाचा ने पार्टी को तोड़ने की कोशिश की
- होली के समय भी मेरे लिए कठिन समय था
- होली के समय लिखी गई चिट्ठी को मैंने ट्वीट कर साझा किया
- मैंने अंत तक मामले को सुलझाने की कोशिश की
- चाचा बोलते तो उन्हें संसदीय दल का नेता बना देता
- लोजपा को तोड़ने में जेडीयू के नेताओं का हाथ है
- उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाने का अधिकार नहीं
- लोजपा के संविधान के अनुरूप ही निर्णय लेना होगा
- मैंने अपनी तरफ से पार्टी को बचाने की पूरी कोशिश की
- मैं अनाथ पापा के जाने के बाद नहीं, बल्कि आज हुआ हूं
- चिट्ठी साझा करने का मकसद कार्यकर्ताओं को जानकारी देना था
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