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यूक्रेन से पटना लौटी बेटी को देख भावुक हुए पिता, छात्रों ने सुनाई बमबारी के बीच की आपबीती

यूक्रेन से पटना पहुंचे मेडिकल के छात्रों ने प्रधानमंत्री मोदी का शुक्रिया अदा किया. इस बीच एक छात्रा के अभिभावक ने रोते हुए कहा कि राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (MP Sushil Kumar Modi) की वजह से ही आज हमारी बच्ची यहां लौट सकी है. मैं उनको धन्यवाद देता हूं. पढ़़ें पूरी खबर..

यूक्रेन के सुमि में फंसे 7 बच्चे पहुंचे पटना एयरपोर्ट
यूक्रेन के सुमि में फंसे 7 बच्चे पहुंचे पटना एयरपोर्ट
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Published : Mar 11, 2022, 3:58 PM IST

पटनाः यूक्रेन में फंसे बिहार के बच्चों (Students Stranded In Ukraine) के आने का सिलसिला जारी है. आज भी पटना एयरपोर्ट पर यूक्रेन के सुमी में फंसे 7 छात्र-छात्राएं (Children Reached Patna Airport From Ukraine) पहुंचे. जहां राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने इनका स्वागत किया. इस दौरान सुमी से आए छात्र-छात्राओं ने अपनी आपबीती भी सुनाई. साथ ही भारतीय दूतावास और पीएम नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा किया.

ये भी पढ़ेंः यूक्रेन से पटना एयरपोर्ट पहुंचकर भावुक हुए छात्र, कहा - 'भारत सरकार ने की हमारी मदद'

पटना एयरपोर्ट से अपने बच्चे को लेने बड़ी संख्या में उनके परिजन भी पहुंचे थे, इस दौरान पटना के ही रहने वाले मधुसूदन प्रसाद अपने बच्चे से मिलने के बाद रो पड़े और उन्होंने कहा कि आज हमारी बच्ची यहां लौटकर आई है तो इसमें सबसे बड़ा योगदान सुशील कुमार मोदी का है. क्योंकि उन्होंने ही सबसे पहले मेरे घर आकर सूचना ली थी और उन्होंने ही भारत सरकार को हमारे बच्चे के बारे में सूचना दी. उनके सहयोग से आज हमारी बच्ची घर आ गई है. हम भारत सरकार को धन्यवाद देते हैं.

वहीं, छात्रा शिवांगी ने बताया कि यात्रा बहुत ही एडवेंचरस रही. 72 घंटे उन लोगों ने बैठकर यात्रा की है. लेकिन भारतीय दूतावास से हमें काफी मदद किया. सुमी में जहां पर हम लोग फंसे हुए थे दिन रात बमबारी हो रही थी. हालात दिन-ब-दिन खराब होते चले जा रहे थे. लेकिन भारतीय दूतावास के सहयोग से हम लोग पोलैंड बॉर्डर पहुंचे और वहां से यहां पर पहुंचे.

सारण के छात्र रहमत अली ने कहा कि सुमी के जो हालात थे, वह बहुत खराब थे. वहां 1 दिन भी काटना मुश्किल हो रहा था. जब भी हम लोग हॉस्टल से बाहर निकलते थे. लगातार बमबारी हो रही थी, किसी तरह भारत सरकार के सहयोग से हम उस शहर से निकलकर पोलैंड तक पहुंचे और उसके बाद आज पटना पहुंचे हैं. अब हम अपने घर आ गए हैं और इसको लेकर हम भारत सरकार को धन्यवाद देते हैं.


बच्चों के स्वागत के लिए पहुंचे राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि भारत सरकार शुरू से ही फंसे हुए बच्चों को निकालने की कोशिश कर रही थी. इसको लेकर उन्होंने 50 ऐसे लोगों को तैनात किया जो रूसी भाषा जानते थे. ऑपरेशन गंगा चलाया गया. लगातार यूक्रेन के राष्ट्रपति और रूस के राष्ट्रपति से उन्होंने बात की और आखिरकार ऑपरेशन गंगा के तहत लोगों को वहां से लाया गया.

'यह बच्चे सुमी में फंसे हुए थे. 7 बच्चे आज यहां पर पहुंचे हैं, चार बच्चे दिल्ली आ गए हैं. यह अंतिम जत्था था. इस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से ना सिर्फ अपने ही देश के बल्कि नेपाल और पाकिस्तान के कई जगहों के बच्चों को उनके घर तक पहुंचाया है. निश्चित तौर पर यह काबिले तारीफ है और लोगों ने भी इसकी प्रशंसा की है खास करके अभिभावक एक सुर में इसकी प्रशंसा कर रहे हैं. हम प्रधानमंत्री को भी धन्यवाद देते हैं साथ ही बिहार सरकार ने जिन्होंने इन बच्चों को उनके घर तक पहुंचाने का इंतजाम किया है'- सुशील कुमार मोदी, राज्यसभा सांसद

ये भी पढ़ें- यूक्रेन से लौटे छात्रों का भविष्य अधर में, सरकार से अपील-मेडिकल कॉलेजों में समायोजित किया जाए

बता दें कि पटना एयरपोर्ट पर बच्चों को लेने के लिए बड़ी संख्या में उनके परिजन भी पहुंचे हुए थे. जिनके चेहरे पर भी काफी खुशी देखी गई. परिजन अपने बच्चों को देखकर भावुक होते नजर आए. पटना एयरपोर्ट पर यूक्रेन से आने वाले बच्चों का ये आखिरी जत्था था. अब तक 20000 से ज्यादा लोगों को यूक्रेन से निकाल कर भारत के विभिन्न जिलों में पहुंचाया जा चुका है.

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पटनाः यूक्रेन में फंसे बिहार के बच्चों (Students Stranded In Ukraine) के आने का सिलसिला जारी है. आज भी पटना एयरपोर्ट पर यूक्रेन के सुमी में फंसे 7 छात्र-छात्राएं (Children Reached Patna Airport From Ukraine) पहुंचे. जहां राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने इनका स्वागत किया. इस दौरान सुमी से आए छात्र-छात्राओं ने अपनी आपबीती भी सुनाई. साथ ही भारतीय दूतावास और पीएम नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा किया.

ये भी पढ़ेंः यूक्रेन से पटना एयरपोर्ट पहुंचकर भावुक हुए छात्र, कहा - 'भारत सरकार ने की हमारी मदद'

पटना एयरपोर्ट से अपने बच्चे को लेने बड़ी संख्या में उनके परिजन भी पहुंचे थे, इस दौरान पटना के ही रहने वाले मधुसूदन प्रसाद अपने बच्चे से मिलने के बाद रो पड़े और उन्होंने कहा कि आज हमारी बच्ची यहां लौटकर आई है तो इसमें सबसे बड़ा योगदान सुशील कुमार मोदी का है. क्योंकि उन्होंने ही सबसे पहले मेरे घर आकर सूचना ली थी और उन्होंने ही भारत सरकार को हमारे बच्चे के बारे में सूचना दी. उनके सहयोग से आज हमारी बच्ची घर आ गई है. हम भारत सरकार को धन्यवाद देते हैं.

वहीं, छात्रा शिवांगी ने बताया कि यात्रा बहुत ही एडवेंचरस रही. 72 घंटे उन लोगों ने बैठकर यात्रा की है. लेकिन भारतीय दूतावास से हमें काफी मदद किया. सुमी में जहां पर हम लोग फंसे हुए थे दिन रात बमबारी हो रही थी. हालात दिन-ब-दिन खराब होते चले जा रहे थे. लेकिन भारतीय दूतावास के सहयोग से हम लोग पोलैंड बॉर्डर पहुंचे और वहां से यहां पर पहुंचे.

सारण के छात्र रहमत अली ने कहा कि सुमी के जो हालात थे, वह बहुत खराब थे. वहां 1 दिन भी काटना मुश्किल हो रहा था. जब भी हम लोग हॉस्टल से बाहर निकलते थे. लगातार बमबारी हो रही थी, किसी तरह भारत सरकार के सहयोग से हम उस शहर से निकलकर पोलैंड तक पहुंचे और उसके बाद आज पटना पहुंचे हैं. अब हम अपने घर आ गए हैं और इसको लेकर हम भारत सरकार को धन्यवाद देते हैं.


बच्चों के स्वागत के लिए पहुंचे राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि भारत सरकार शुरू से ही फंसे हुए बच्चों को निकालने की कोशिश कर रही थी. इसको लेकर उन्होंने 50 ऐसे लोगों को तैनात किया जो रूसी भाषा जानते थे. ऑपरेशन गंगा चलाया गया. लगातार यूक्रेन के राष्ट्रपति और रूस के राष्ट्रपति से उन्होंने बात की और आखिरकार ऑपरेशन गंगा के तहत लोगों को वहां से लाया गया.

'यह बच्चे सुमी में फंसे हुए थे. 7 बच्चे आज यहां पर पहुंचे हैं, चार बच्चे दिल्ली आ गए हैं. यह अंतिम जत्था था. इस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से ना सिर्फ अपने ही देश के बल्कि नेपाल और पाकिस्तान के कई जगहों के बच्चों को उनके घर तक पहुंचाया है. निश्चित तौर पर यह काबिले तारीफ है और लोगों ने भी इसकी प्रशंसा की है खास करके अभिभावक एक सुर में इसकी प्रशंसा कर रहे हैं. हम प्रधानमंत्री को भी धन्यवाद देते हैं साथ ही बिहार सरकार ने जिन्होंने इन बच्चों को उनके घर तक पहुंचाने का इंतजाम किया है'- सुशील कुमार मोदी, राज्यसभा सांसद

ये भी पढ़ें- यूक्रेन से लौटे छात्रों का भविष्य अधर में, सरकार से अपील-मेडिकल कॉलेजों में समायोजित किया जाए

बता दें कि पटना एयरपोर्ट पर बच्चों को लेने के लिए बड़ी संख्या में उनके परिजन भी पहुंचे हुए थे. जिनके चेहरे पर भी काफी खुशी देखी गई. परिजन अपने बच्चों को देखकर भावुक होते नजर आए. पटना एयरपोर्ट पर यूक्रेन से आने वाले बच्चों का ये आखिरी जत्था था. अब तक 20000 से ज्यादा लोगों को यूक्रेन से निकाल कर भारत के विभिन्न जिलों में पहुंचाया जा चुका है.

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