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बोले मुख्य सचिव- इस साल नहीं डूबेगा पटना, बिहार सरकार ने किए हैं खास इंतजाम

पिछले साल सितंबर महीने के अंत में हुए बारिश के बाद पटना में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी. राजधानी की कई वीआईपी कॉलोनियों में 6 फीट तक पानी भर गया था. इस साल सरकार ने जलजमाव से मुक्ति के लिए खास इंतजाम किए है.

मुख्य सचिव
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Published : Jun 12, 2020, 4:11 PM IST

पटना: मौसम विभाग ने 20 जून के बाद से बिहार में भारी बारिश होने की संभावना व्यक्त की है. मानसून की शुरुआत से पहले ही मुख्य सचिव दीपक कुमार की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक की गई. बैठक के बाद मुख्य सचिव ने बताया कि इस बार राजधानी के सभी बड़े-छोटे नाले की सफाई करा दी गई है. लॉकडाउन के कारण पंप की खरीद नहीं हो सकी है. लेकिन जल्द ही तमाम इंतजाम कर दिए जाएंगे. उन्होंने बताया कि पटना में इस बार जलजमाव नहीं होने दिया जाएगा. इसको लेकर विभाग पूरी तरह से मुस्तैद है.

'15 जुलाई के बाद से कोरोना मामले में कमी की संभावना'
कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार मानती है कि 15 जुलाई के बाद से कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण हो सकेगा. आईसीएमआर के गाइडलाइन के अनुसार कोरोना संक्रमित लक्षणों से पीड़ित की जांच की जा रही है. शुरुआत में प्रतिदिन 1 हजार से 15 सौ लोगों का जांच होता था. जो अब बढ़कर 4 हजार से 4 हजार प्रतिदिन पहुंच गया है. जल्द ही 10 हजार प्रतिदिन जांच का लक्ष्य पूरा किया जाएगा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'बाहर से आने वाले लोगों के कारण बढ़ा संक्रमण'
मुख्य सचिव ने बताया कि आईसीएमआर के गाइडलाइन के अनुसार कोरोना लक्षण वाले व्यक्तियों की जांच की जा रही है. प्रदेश में संक्रमण का आंकड़ा जरूर बढ़ा है. लेकिन संक्रमण आम लोगों के बीच कम ही फैला है. कोरोना के मामले राज्य में बाहर से आने वाले लोगों के कारण बढ़ा है. उन्होंने कहा कि बाहर के राज्यों से जितने भी मजदूरों को वापस आना था. वे सभी लगभग वापस आ चुकें है. राज्य सरकार मानती है कि लाई के प्रथम सप्ताह से लेकर 15 तक बिहार में कोरोना संक्रमण के मामले को पूरी तरह से नियंत्रित कर लिया जाएगा.

ये भी पढ़े- बिहार को बाढ़ से बचाने के लिए NDRF की टीम तैयार, 7 अति प्रभावित जिलों में 8 टीमें रहेगी तैनात

पटना के सभी इलाके में था जलप्रलय
पिछले साल सितंबर महीने के अंत में हुए बारिश के बाद पटना में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी. राजधानी पटना की कई वीआईपी कॉलोनियों में 6 फीट तक पानी भर गया था. पटना जलजमाव के कारण नीतीश सरकार की पूरे देश में किरकिरी हुई थी. हालात ऐसे हो गए थे कि राहत और बचाव के सरकारी और गैर सरकारी प्रयास भी जलजमाव पीड़ितों के लिए काफी कम पड़ गए थे. उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी पटना बाढ़ के प्रकोप से नहीं बच पाए थे. मदद की गुहार लगाने के बाद एनडीआरएफ की टीम ने उनके आवास पर पहुंच कर सुशील मोदी समेत उनके परिवार को पानी से बाहर निकाला था.

ये भी पढ़े- JDU के आरोपों पर मीसा भारती का पलटवार, बोलीं- तेजस्वी ही हैं तरुण यादव, न करें निजी हमले

राज्य सरकार की ओर से संभावित 7 जिले
बता दें कि बिहार सरकार ने बाढ़ से संभावित 7 जिले को पहले फेज के लिए चयनित किया है. जिनमें कटिहार, बेतिया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, गोपालगंज, सुपौल और पटना हैं. बिहटा स्थित 9वीं बटालियन एनडीआरएफ कमांडेंट विजय कुमार सिन्हा का कहना है कि 6 जिलों में एक-एक एनडीआरएफ टीम की तैनाती को जाएगी. इसके अलावा राजधानी पटना में दो टीमें तैनात की जाएगी. इसके अलावे बिहार के 3 और जिले को भी बाढ़ संभावित जिले की सूची में रखा गया है. जिनमें सहरसा, अररिया और किशनगंज हैं. इन 3 जिलों के लिए मुख्यालय से आदेश मिलने के बाद टीमें तैयार की जाएगी.

पटना: मौसम विभाग ने 20 जून के बाद से बिहार में भारी बारिश होने की संभावना व्यक्त की है. मानसून की शुरुआत से पहले ही मुख्य सचिव दीपक कुमार की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक की गई. बैठक के बाद मुख्य सचिव ने बताया कि इस बार राजधानी के सभी बड़े-छोटे नाले की सफाई करा दी गई है. लॉकडाउन के कारण पंप की खरीद नहीं हो सकी है. लेकिन जल्द ही तमाम इंतजाम कर दिए जाएंगे. उन्होंने बताया कि पटना में इस बार जलजमाव नहीं होने दिया जाएगा. इसको लेकर विभाग पूरी तरह से मुस्तैद है.

'15 जुलाई के बाद से कोरोना मामले में कमी की संभावना'
कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार मानती है कि 15 जुलाई के बाद से कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण हो सकेगा. आईसीएमआर के गाइडलाइन के अनुसार कोरोना संक्रमित लक्षणों से पीड़ित की जांच की जा रही है. शुरुआत में प्रतिदिन 1 हजार से 15 सौ लोगों का जांच होता था. जो अब बढ़कर 4 हजार से 4 हजार प्रतिदिन पहुंच गया है. जल्द ही 10 हजार प्रतिदिन जांच का लक्ष्य पूरा किया जाएगा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'बाहर से आने वाले लोगों के कारण बढ़ा संक्रमण'
मुख्य सचिव ने बताया कि आईसीएमआर के गाइडलाइन के अनुसार कोरोना लक्षण वाले व्यक्तियों की जांच की जा रही है. प्रदेश में संक्रमण का आंकड़ा जरूर बढ़ा है. लेकिन संक्रमण आम लोगों के बीच कम ही फैला है. कोरोना के मामले राज्य में बाहर से आने वाले लोगों के कारण बढ़ा है. उन्होंने कहा कि बाहर के राज्यों से जितने भी मजदूरों को वापस आना था. वे सभी लगभग वापस आ चुकें है. राज्य सरकार मानती है कि लाई के प्रथम सप्ताह से लेकर 15 तक बिहार में कोरोना संक्रमण के मामले को पूरी तरह से नियंत्रित कर लिया जाएगा.

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पटना के सभी इलाके में था जलप्रलय
पिछले साल सितंबर महीने के अंत में हुए बारिश के बाद पटना में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी. राजधानी पटना की कई वीआईपी कॉलोनियों में 6 फीट तक पानी भर गया था. पटना जलजमाव के कारण नीतीश सरकार की पूरे देश में किरकिरी हुई थी. हालात ऐसे हो गए थे कि राहत और बचाव के सरकारी और गैर सरकारी प्रयास भी जलजमाव पीड़ितों के लिए काफी कम पड़ गए थे. उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी पटना बाढ़ के प्रकोप से नहीं बच पाए थे. मदद की गुहार लगाने के बाद एनडीआरएफ की टीम ने उनके आवास पर पहुंच कर सुशील मोदी समेत उनके परिवार को पानी से बाहर निकाला था.

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राज्य सरकार की ओर से संभावित 7 जिले
बता दें कि बिहार सरकार ने बाढ़ से संभावित 7 जिले को पहले फेज के लिए चयनित किया है. जिनमें कटिहार, बेतिया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, गोपालगंज, सुपौल और पटना हैं. बिहटा स्थित 9वीं बटालियन एनडीआरएफ कमांडेंट विजय कुमार सिन्हा का कहना है कि 6 जिलों में एक-एक एनडीआरएफ टीम की तैनाती को जाएगी. इसके अलावा राजधानी पटना में दो टीमें तैनात की जाएगी. इसके अलावे बिहार के 3 और जिले को भी बाढ़ संभावित जिले की सूची में रखा गया है. जिनमें सहरसा, अररिया और किशनगंज हैं. इन 3 जिलों के लिए मुख्यालय से आदेश मिलने के बाद टीमें तैयार की जाएगी.

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