पटना: कोरोना महामारी के बाद बंद हुए शिक्षण संस्थानों को 4 जनवरी से बिहार सरकार ने खोलने का निर्णय लिया है. तकरीबन 10 दिन बीतने के बावजूद भी स्कूलों में छात्रों की संख्या काफी कम दिख रही है. बिहार सरकार हाल के दिनों में छोटे बच्चों की कक्षाएं खोलने के मूड में नहीं दिख रही.
"अभी शुरू की गई कक्षाओं में जो भी बच्चे आना चाहते हैं और अभिभावक जिनको भेजना चाहते हैं, वही स्कूल आ रहे हैं. जब से स्कूल खुले हैं बच्चों की संख्या को देखते हुए यह महसूस हो रहा है कि अभी भी अभिभावकों में संक्रमण को लेकर डर व्याप्त है.
सभी कोचिंग संस्थानों में कोविड गाइड लाइन का पालन किया जा रहा है. वहीं स्कूलों में भी 50% ही बच्चों की उपस्थिति रखी गई है. इसके अलावा सभी बच्चे मास्क पहनकर पहुंच रहे हैं और पर्याप्त सैनेटाइजर की भी उपलब्धता हर स्कूल में की गयी है. बिहार सरकार स्कूल-कॉलेज और निजी कोचिंग संस्थानों सहित सभी शिक्षण संस्थानों को खोलने के पक्ष में है. लेकिन अगले सेशन से सभी चीजें सामान्य हो जाएंगे, यह भी कहना जल्दबाजी होगा. अभी स्कूलों में भी रेंडमली जांच कराए गए हैं. आगे भी स्कूलों में जांच होती रहेगी"- दीपक कुमार, मुख्य सचिव
मैनेजमेंट ग्रुप की बैठक
दस दिनों के बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में क्राइसिस मैनेजमेंट की ग्रुप की बैठक बुलाई जाएगी. बैठक में स्कूलों के और भी कक्षाएं खोलने पर निर्णय लिया जाएगा. हालांकि मुख्य सचिव दीपक कुमार ने साफ कह दिया है कि अभी प्राथमिक कक्षाएं नहीं खोली जाएंगी. इसका मतलब है कि माध्यमिक यानी 4 से 8वीं तक की कक्षाएं जल्द खुलने की संभावना है.
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कोचिंग संस्थानों को लेकर मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार द्वारा कई कोचिंग संस्थानों का औचक निरीक्षण किया गया है. अभी तक कहीं भी गड़बड़ी की शिकायत नहीं मिली है.