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बिहार दिवस विशेष: अब तक 'म्यूजिकल चेयर' की तरह ही रही है बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी - Rabri Devi

बिहार का राजनीतिक इतिहास काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है. यहां अब तक 15 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं और मुख्यमंत्री 36 बार बदले जा चुके हैं.

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Published : Mar 22, 2019, 7:00 AM IST

Updated : Mar 22, 2019, 4:44 PM IST

पटना: प्राचीन काल के विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहे बिहार में आज की राजनीति भी काफी दिलचस्प है. यहां सियासी ऊंट कब किस करवट बैठेगा, ये कोई नहीं बता सकता है. बिहार में मुख्यमंत्री बनने की होड़ और सीएम बनाए जाने और बदले जाने का इतिहास बड़ा ही रोचक है.

गठबंधनों के बीच सीएम पद को लेकर होने वाली अंदरुनी सियासत बिहार के लिए कोई नई बात नहीं हैं. 2015 में आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर जेडीयू का चुनाव लड़ना और जीतकर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सिर्फ डेढ़ साल के अंदर नीतीश कुमार का पाला बदलकर बीजेपी के साथ सरकार बना लेना, इसका ताजा उदाहरण है. इससे पहले 2014 में भी नीतीश कुमार ने पहले त्यागपत्र देकर दलित नेता जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया और कुछ ही महीनों बाद उनसे कुर्सी छीनकर फिर से खुद सीएम पद की शपथ ले ली.

आजादी के बाद से ही बिहार के मुख्यमंत्री का पद म्यूजिकल चेयर बन गया है. यहां अब तक 15 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं और मुख्यमंत्री 36 बार बदले जा चुके हैं. बिहार का राजनीतिक इतिहास काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है और अस्थिरता का यह गुण इसे विरासत में मिला है.1969 के कार्यकाल में तो एक-दो नहीं बल्कि पांच नेता मुख्यमंत्री बने थे.

बिहार में कुछ ही ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा करने का सौभाग्य प्राप्त है. इनमें पहले मुख्यमंत्री कृष्णा सिंह, लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और नीतीश कुमार शामिल हैं. नीतीश कुमार ने सबसे ज्यादा छह बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. बिहार में आठ बार राष्ट्रपति शासन भी लग चुका है और बिहार ही एक ऐसा राज्य है जहां पति-पत्नी दोनों ही सीएम रह चुके हैं.

आजादी के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की और श्री कृष्ण सिंह पांच साल तक मुख्यमंत्री रहे. लेकिन अगले विधानसभा चुनाव के साथ ही बिहार की सियासत में उथल-पुथल शुरु हो गई. 1957 के चुनाव में कांग्रेस ने बहुमत तो हासिल कर लिया लेकिन पार्टी में अंदरुनी फूट दिखाई पड़ने लगी. जिसके चलते श्री कृष्ण सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी और दीप नारायण सिंह को 19 दिन के लिए सीएम बनाया गया. उसके बाद जाति के समर्थन से विनोदानंद झा ने बिहार की बागडोर संभाली.

हालांकि कुछ ही महीनों बाद 1963 में विनोदानंद झा ने कुर्सी छोड़ दी और के.बी सहाय और बीरचंद पटेल के बीच अंदरुनी मुकाबले के बाद सहाय प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद मुख्यमंत्री के म्यूजिकल चेयर पर महामाया प्रसाद सिन्हा बैठे. हालांकि 10 महीने 23 दिन बाद ही उन्हें कुर्सी से उतरना पड़ा. उसके बाद बारी आई सतीश कुमार सिंह की, जो चार दिन के लिए मुख्यमंत्री बने. फिर बीपी मंडल और विनोदानंद झा, 22 मार्च 1968 को मुख्यमंत्री बने भोला पासवान शास्त्री भी कुर्सी पर 100 दिन (95 दिन) भी पूरा नहीं कर सके. फिर राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद हुए 1969 के मध्यकालिक चुनाव में तो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नेता कपड़ों की तरह बदले.

चुनाव के बाद 26 फरवरी 1969 को हरिहर प्रसाद सिंह सीएम बने. ये सरकार दो हफ्तों के भीतर ही गिर गई और 4 जुलाई 1969 को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया. उसके बाद 16 फरवरी 1970 को दारोगा प्रसाद राय ने बिहार की कमान संभाली, जो दस महीने चली. राय के बाद कर्पूरी ठाकुर ने पांच महीने सरकार चलाई. उसके बाद एक बार फिर भोला पासवान शास्त्री के नेतृत्व में सरकार बनी.

1972 में फिर से हुए चुनावों में कांग्रेस ने जीत हासिल कर केदार पांडे को मुख्यमंत्री बनाया. लेकिन जून 1973 में पांडे की जगह अब्दुल गफूर को बिहार की कमान सौंपी गई. फिर बारी आई जगन्नाथ मिश्र की और फिर 1977 के चुनाव के बाद कर्पूरी ठाकुर फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बने. हालांकि कुछ ही महीनों बाद राम सुंदर दास को सीएम की कुर्सी सौंपी गई.

1980 में फिर से चुनाव कराने पड़े और जीत के बाद कांग्रेस ने जगन्नाथ मिश्रा को मुख्यमंत्री बनाया. पांच साल के कार्यकाल में कांग्रेस के चंद्रशेखर सिंह, बिंदेश्वरी दुबे, भागवत झा आजाद, सत्येंद्र नारायण सिंह और जगन्नाथ मिश्रा ने तू चल मैं आया की तरह कुर्सियां बदलीं. ये आखिरी मौका था जब बिहार में कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार बनी.

1990 के चुनाव में जनता दल ने जीत दर्ज की और लालू प्रसाद यादव पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. खास बात ये रही कि उन्होंने पूरे 5 साल तक सरकार चलाई. 1995 में 28 मार्च से 4 अप्रैल तक प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी रहा. उसके बाद फिर से सीएम की कुर्सी म्यूजिकल चेयर हो गई और अगले पांच साल में कई मुख्यमंत्री बदले.

1995 में लालू यादव के बाद 1997 में उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने प्रदेश की कमान संभाली और फरवरी 1999 तक मुख्यमंत्री रहीं. फिर करीब एक महीने तक सूबे में राष्ट्रपति शासन रहा. 9 मार्च 1999 को राबड़ी फिर से सीएम बनीं. 2000 में नीतीश कुमार पहली बार सात दिन के लिए बिहार के मुख्यमंत्री बने. उसके बाद हुए चुनाव में आरजेडी ने भारी जीत हासिल की और राबड़ी देवी ने 11 मार्च 2000 से 6 मार्च 2005 तक प्रदेश की कमान संभाली.

इस बीच झारखंड़ को भी बिहार से अलग कर दिया गया. फिर 2005 के चुनाव में स्पष्ट बहुमत नहीं होने की वजह से अक्टूबर में फिर से चुनाव कराए गए. जिसमें नीतीश कुमार ने जीत हासिल की और पांच साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री बने रहे. नीतीश कुमार ने 2010 में भी जीत दर्ज की और फिर से मुख्यमंत्री बने. 20 मई 2014 को नीतीश कुमार ने इस्तीफा देकर जीतन राम मांझी को सीएम बना दिया. हालांकि कुछ ही महीनों बाद उन्होंने कुर्सी वापस ले ली और 22 फरवरी 2015 को फिर से मुख्यमंत्री बने.

2015 में नीतीश कुमार आरजेडी और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरे और दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने बनने के बावजूद मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली. हालांकि डेढ़ साल बाद ही 2017 में महागठबंधन से अलग होकर नीतीश कुमार बीजेपी के साथ हो लिए और तब से अब तक सरकार चला रहे हैं.

बिहार में एक मात्र महिला राबड़ी देवी ही मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच पाईं हैं. राबड़ी पूर्व सीएम राबड़ी देवी की पत्नी हैं और उनके त्यागपत्र देने के बाद सीएम बनीं थीं. वहीं एक मात्र मुस्लिम मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर थे, जो कांग्रेस पार्टी से थे.

बिहार वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाले राज्यों में सबसे पिछड़ा है. सत्ता शीर्ष में अस्थिरता की वजह से ही बिहार देश के अन्य राज्यों के मुकाबले विकास में पिछड़ गया और अब तक संघर्ष कर रहा है.

क्र.सं. मुख्‍यमंत्री कार्यकाल
1 डॉ. श्रीकृष्‍ण सिंह 2 जनवरी 1946 – 31 जनवरी 1961
2 दीप नारायण सिंह 1 फरवरी 1961 – 18 फरवरी 1961
3 विनोदानंद झा 18 फरवरी 1961 – 2 अक्‍टूबर 1963
4 कृष्‍ण बल्‍लभ सहाय 2 अक्‍टूबर 1963 – 5 मार्च 1967
5 महामाया प्रसाद सिन्‍हा 5 मार्च 1967 – 28 जनवरी 1968
6 सतीश प्रसाद सिंह (कार्यवाहक) 28 जनवरी 1968 – 1 फरवरी 1968
7 बिंदेश्‍वरी प्रसाद मण्‍डल 1 फरवरी 1968 – 22 मार्च 1968
8 भोला पासवान शास्‍त्री 22 मार्च 1968 – 29 जून 1968
– राष्‍ट्रपति शासन 29 जून 1968 – 29 फरवरी 1969
9 सरदार हरिहर सिंह 29 फरवरी 1969 – 22 जून 1969
10 भोला पासवान शास्‍त्री 22 जून 1969 – 4 जुलाई 1969
– राष्‍ट्रपति शासन 4 जुलाई 1969 – 16 फरवरी 1970
11 दरोगा प्रसाद राय 16 फरवरी 1970 – 22 दिसम्‍बर 1970
12 कर्पूरी ठाकुर 22 दिसम्‍बर 1970 – 2 जून 1971
13 भोला पासवान शास्‍त्री 2 जून 1971 – 9 जनवरी 1972
– राष्‍ट्रपति शासन 9 जनवरी 1972 – 9 मार्च 1972
14 केदार पाण्‍डेय 9 मार्च 1972 – 2 जुलाई 1973
15 अब्‍दुल गफूर 2 जुलाई 1973 – 11 अप्रैल 1975
16 डॉ जगन्‍नाथ मिश्र 11 अप्रैल 1975 – 30 अप्रैल 1977
– राष्‍ट्रपति शासन 30 अप्रैल 1977 – 24 जून 1977
17 कर्पूरी ठाकुर 24 जून 1977 – 21 अप्रैल 1979
18 राम सुन्‍दर दास 21 अप्रैल 1979 – 17 फरवरी 1980
– राष्‍ट्रपति शासन 17 फरवरी 1980 – 8 जून 1980
19 डॉ जगन्‍नाथ मिश्र 8 जून 1980 – 14 अगस्‍त 1983
20 चन्‍द्रशेखर सिंह 14 अगस्‍त 1983 – 12 मार्च 1985
21 बिंदेश्‍वरी दुबे 12 मार्च 1985 – 13 फरवरी 1988
22 भागवत झा आजाद 14 फरवरी 1988 – 10 मार्च 1989
23 सत्‍येन्‍द्र नारायण सिंह 10 मार्च 1989 – 5 दिसम्‍बर 1989
24 डॉ जगन्‍नाथ मिश्र 5 दिसम्‍बर 1989 – 10 मार्च 1990
25 लालू प्रसाद यादव 10 मार्च 1990 – 31 मार्च 1995
– राष्‍ट्रपति शासन 31 मार्च 1995 – 4 अप्रैल 1995
26 लालू प्रसाद यादव 4 अप्रैल 1995 – 25 जुलाई 1997
27 श्रीमती राबड़ी देवी 25 जुलाई 1997 – 12 फरवरी 1999
– राष्‍ट्रपति शासन 12 फरवरी 1999 – 9 मार्च 1999
28 श्रीमती राबड़ी देवी 9 मार्च 1999 – 1 मार्च 2000
29 श्रीमती राबड़ी देवी (कार्यवाहक) 1 मार्च 2000 – 3 मार्च 2000
30 नीतीश कुमार 3 मार्च 2000 ... 10 मार्च 2000
31 श्रीमती राबड़ी देवी 11 मार्च 2000 – 8 मार्च 2005
– राष्‍ट्रपति शासन 8 मार्च 2005 – 24 नवम्‍बर 2005
32 नीतीश कुमार 24 नवम्‍बर 2005 – 20 मई 2014
33 जीतन राम मांझी 20 मई 2014 – 22 फरवरी 2015
34 नीतीश कुमार 22 फरवरी 2015 –19 नवंबर 2015
35 नीतीश कुमार 20 नवंबर 2015 ... 26 जुलाई 2017
36 नीतीश कुमार 27 जुलाई 2017 .... अब तक

पटना: प्राचीन काल के विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहे बिहार में आज की राजनीति भी काफी दिलचस्प है. यहां सियासी ऊंट कब किस करवट बैठेगा, ये कोई नहीं बता सकता है. बिहार में मुख्यमंत्री बनने की होड़ और सीएम बनाए जाने और बदले जाने का इतिहास बड़ा ही रोचक है.

गठबंधनों के बीच सीएम पद को लेकर होने वाली अंदरुनी सियासत बिहार के लिए कोई नई बात नहीं हैं. 2015 में आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर जेडीयू का चुनाव लड़ना और जीतकर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सिर्फ डेढ़ साल के अंदर नीतीश कुमार का पाला बदलकर बीजेपी के साथ सरकार बना लेना, इसका ताजा उदाहरण है. इससे पहले 2014 में भी नीतीश कुमार ने पहले त्यागपत्र देकर दलित नेता जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया और कुछ ही महीनों बाद उनसे कुर्सी छीनकर फिर से खुद सीएम पद की शपथ ले ली.

आजादी के बाद से ही बिहार के मुख्यमंत्री का पद म्यूजिकल चेयर बन गया है. यहां अब तक 15 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं और मुख्यमंत्री 36 बार बदले जा चुके हैं. बिहार का राजनीतिक इतिहास काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है और अस्थिरता का यह गुण इसे विरासत में मिला है.1969 के कार्यकाल में तो एक-दो नहीं बल्कि पांच नेता मुख्यमंत्री बने थे.

बिहार में कुछ ही ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा करने का सौभाग्य प्राप्त है. इनमें पहले मुख्यमंत्री कृष्णा सिंह, लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और नीतीश कुमार शामिल हैं. नीतीश कुमार ने सबसे ज्यादा छह बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. बिहार में आठ बार राष्ट्रपति शासन भी लग चुका है और बिहार ही एक ऐसा राज्य है जहां पति-पत्नी दोनों ही सीएम रह चुके हैं.

आजादी के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की और श्री कृष्ण सिंह पांच साल तक मुख्यमंत्री रहे. लेकिन अगले विधानसभा चुनाव के साथ ही बिहार की सियासत में उथल-पुथल शुरु हो गई. 1957 के चुनाव में कांग्रेस ने बहुमत तो हासिल कर लिया लेकिन पार्टी में अंदरुनी फूट दिखाई पड़ने लगी. जिसके चलते श्री कृष्ण सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी और दीप नारायण सिंह को 19 दिन के लिए सीएम बनाया गया. उसके बाद जाति के समर्थन से विनोदानंद झा ने बिहार की बागडोर संभाली.

हालांकि कुछ ही महीनों बाद 1963 में विनोदानंद झा ने कुर्सी छोड़ दी और के.बी सहाय और बीरचंद पटेल के बीच अंदरुनी मुकाबले के बाद सहाय प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद मुख्यमंत्री के म्यूजिकल चेयर पर महामाया प्रसाद सिन्हा बैठे. हालांकि 10 महीने 23 दिन बाद ही उन्हें कुर्सी से उतरना पड़ा. उसके बाद बारी आई सतीश कुमार सिंह की, जो चार दिन के लिए मुख्यमंत्री बने. फिर बीपी मंडल और विनोदानंद झा, 22 मार्च 1968 को मुख्यमंत्री बने भोला पासवान शास्त्री भी कुर्सी पर 100 दिन (95 दिन) भी पूरा नहीं कर सके. फिर राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद हुए 1969 के मध्यकालिक चुनाव में तो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नेता कपड़ों की तरह बदले.

चुनाव के बाद 26 फरवरी 1969 को हरिहर प्रसाद सिंह सीएम बने. ये सरकार दो हफ्तों के भीतर ही गिर गई और 4 जुलाई 1969 को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया. उसके बाद 16 फरवरी 1970 को दारोगा प्रसाद राय ने बिहार की कमान संभाली, जो दस महीने चली. राय के बाद कर्पूरी ठाकुर ने पांच महीने सरकार चलाई. उसके बाद एक बार फिर भोला पासवान शास्त्री के नेतृत्व में सरकार बनी.

1972 में फिर से हुए चुनावों में कांग्रेस ने जीत हासिल कर केदार पांडे को मुख्यमंत्री बनाया. लेकिन जून 1973 में पांडे की जगह अब्दुल गफूर को बिहार की कमान सौंपी गई. फिर बारी आई जगन्नाथ मिश्र की और फिर 1977 के चुनाव के बाद कर्पूरी ठाकुर फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बने. हालांकि कुछ ही महीनों बाद राम सुंदर दास को सीएम की कुर्सी सौंपी गई.

1980 में फिर से चुनाव कराने पड़े और जीत के बाद कांग्रेस ने जगन्नाथ मिश्रा को मुख्यमंत्री बनाया. पांच साल के कार्यकाल में कांग्रेस के चंद्रशेखर सिंह, बिंदेश्वरी दुबे, भागवत झा आजाद, सत्येंद्र नारायण सिंह और जगन्नाथ मिश्रा ने तू चल मैं आया की तरह कुर्सियां बदलीं. ये आखिरी मौका था जब बिहार में कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार बनी.

1990 के चुनाव में जनता दल ने जीत दर्ज की और लालू प्रसाद यादव पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. खास बात ये रही कि उन्होंने पूरे 5 साल तक सरकार चलाई. 1995 में 28 मार्च से 4 अप्रैल तक प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी रहा. उसके बाद फिर से सीएम की कुर्सी म्यूजिकल चेयर हो गई और अगले पांच साल में कई मुख्यमंत्री बदले.

1995 में लालू यादव के बाद 1997 में उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने प्रदेश की कमान संभाली और फरवरी 1999 तक मुख्यमंत्री रहीं. फिर करीब एक महीने तक सूबे में राष्ट्रपति शासन रहा. 9 मार्च 1999 को राबड़ी फिर से सीएम बनीं. 2000 में नीतीश कुमार पहली बार सात दिन के लिए बिहार के मुख्यमंत्री बने. उसके बाद हुए चुनाव में आरजेडी ने भारी जीत हासिल की और राबड़ी देवी ने 11 मार्च 2000 से 6 मार्च 2005 तक प्रदेश की कमान संभाली.

इस बीच झारखंड़ को भी बिहार से अलग कर दिया गया. फिर 2005 के चुनाव में स्पष्ट बहुमत नहीं होने की वजह से अक्टूबर में फिर से चुनाव कराए गए. जिसमें नीतीश कुमार ने जीत हासिल की और पांच साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री बने रहे. नीतीश कुमार ने 2010 में भी जीत दर्ज की और फिर से मुख्यमंत्री बने. 20 मई 2014 को नीतीश कुमार ने इस्तीफा देकर जीतन राम मांझी को सीएम बना दिया. हालांकि कुछ ही महीनों बाद उन्होंने कुर्सी वापस ले ली और 22 फरवरी 2015 को फिर से मुख्यमंत्री बने.

2015 में नीतीश कुमार आरजेडी और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरे और दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने बनने के बावजूद मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली. हालांकि डेढ़ साल बाद ही 2017 में महागठबंधन से अलग होकर नीतीश कुमार बीजेपी के साथ हो लिए और तब से अब तक सरकार चला रहे हैं.

बिहार में एक मात्र महिला राबड़ी देवी ही मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच पाईं हैं. राबड़ी पूर्व सीएम राबड़ी देवी की पत्नी हैं और उनके त्यागपत्र देने के बाद सीएम बनीं थीं. वहीं एक मात्र मुस्लिम मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर थे, जो कांग्रेस पार्टी से थे.

बिहार वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाले राज्यों में सबसे पिछड़ा है. सत्ता शीर्ष में अस्थिरता की वजह से ही बिहार देश के अन्य राज्यों के मुकाबले विकास में पिछड़ गया और अब तक संघर्ष कर रहा है.

क्र.सं. मुख्‍यमंत्री कार्यकाल
1 डॉ. श्रीकृष्‍ण सिंह 2 जनवरी 1946 – 31 जनवरी 1961
2 दीप नारायण सिंह 1 फरवरी 1961 – 18 फरवरी 1961
3 विनोदानंद झा 18 फरवरी 1961 – 2 अक्‍टूबर 1963
4 कृष्‍ण बल्‍लभ सहाय 2 अक्‍टूबर 1963 – 5 मार्च 1967
5 महामाया प्रसाद सिन्‍हा 5 मार्च 1967 – 28 जनवरी 1968
6 सतीश प्रसाद सिंह (कार्यवाहक) 28 जनवरी 1968 – 1 फरवरी 1968
7 बिंदेश्‍वरी प्रसाद मण्‍डल 1 फरवरी 1968 – 22 मार्च 1968
8 भोला पासवान शास्‍त्री 22 मार्च 1968 – 29 जून 1968
– राष्‍ट्रपति शासन 29 जून 1968 – 29 फरवरी 1969
9 सरदार हरिहर सिंह 29 फरवरी 1969 – 22 जून 1969
10 भोला पासवान शास्‍त्री 22 जून 1969 – 4 जुलाई 1969
– राष्‍ट्रपति शासन 4 जुलाई 1969 – 16 फरवरी 1970
11 दरोगा प्रसाद राय 16 फरवरी 1970 – 22 दिसम्‍बर 1970
12 कर्पूरी ठाकुर 22 दिसम्‍बर 1970 – 2 जून 1971
13 भोला पासवान शास्‍त्री 2 जून 1971 – 9 जनवरी 1972
– राष्‍ट्रपति शासन 9 जनवरी 1972 – 9 मार्च 1972
14 केदार पाण्‍डेय 9 मार्च 1972 – 2 जुलाई 1973
15 अब्‍दुल गफूर 2 जुलाई 1973 – 11 अप्रैल 1975
16 डॉ जगन्‍नाथ मिश्र 11 अप्रैल 1975 – 30 अप्रैल 1977
– राष्‍ट्रपति शासन 30 अप्रैल 1977 – 24 जून 1977
17 कर्पूरी ठाकुर 24 जून 1977 – 21 अप्रैल 1979
18 राम सुन्‍दर दास 21 अप्रैल 1979 – 17 फरवरी 1980
– राष्‍ट्रपति शासन 17 फरवरी 1980 – 8 जून 1980
19 डॉ जगन्‍नाथ मिश्र 8 जून 1980 – 14 अगस्‍त 1983
20 चन्‍द्रशेखर सिंह 14 अगस्‍त 1983 – 12 मार्च 1985
21 बिंदेश्‍वरी दुबे 12 मार्च 1985 – 13 फरवरी 1988
22 भागवत झा आजाद 14 फरवरी 1988 – 10 मार्च 1989
23 सत्‍येन्‍द्र नारायण सिंह 10 मार्च 1989 – 5 दिसम्‍बर 1989
24 डॉ जगन्‍नाथ मिश्र 5 दिसम्‍बर 1989 – 10 मार्च 1990
25 लालू प्रसाद यादव 10 मार्च 1990 – 31 मार्च 1995
– राष्‍ट्रपति शासन 31 मार्च 1995 – 4 अप्रैल 1995
26 लालू प्रसाद यादव 4 अप्रैल 1995 – 25 जुलाई 1997
27 श्रीमती राबड़ी देवी 25 जुलाई 1997 – 12 फरवरी 1999
– राष्‍ट्रपति शासन 12 फरवरी 1999 – 9 मार्च 1999
28 श्रीमती राबड़ी देवी 9 मार्च 1999 – 1 मार्च 2000
29 श्रीमती राबड़ी देवी (कार्यवाहक) 1 मार्च 2000 – 3 मार्च 2000
30 नीतीश कुमार 3 मार्च 2000 ... 10 मार्च 2000
31 श्रीमती राबड़ी देवी 11 मार्च 2000 – 8 मार्च 2005
– राष्‍ट्रपति शासन 8 मार्च 2005 – 24 नवम्‍बर 2005
32 नीतीश कुमार 24 नवम्‍बर 2005 – 20 मई 2014
33 जीतन राम मांझी 20 मई 2014 – 22 फरवरी 2015
34 नीतीश कुमार 22 फरवरी 2015 –19 नवंबर 2015
35 नीतीश कुमार 20 नवंबर 2015 ... 26 जुलाई 2017
36 नीतीश कुमार 27 जुलाई 2017 .... अब तक

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Last Updated : Mar 22, 2019, 4:44 PM IST
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