पटनाः बिहार की राजधानी पटना में सियासी परिवारों में भी धूमधाम (Chhath Puja in family of political leaders) से चार दिवसीय छठ महापर्व मनाया जा रहा है. बिहार में हर तरफ छठ पूजा को लेकर चहल-पहल है. भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी के यहां इस बार भी छठ हो रहा है. पोलो रोड स्थित सरकारी आवास में अशोक चौधरी की पत्नी नीता चौधरी छठ कर रही हैं. छठ पर्व का प्रसाद आज सुबह से तैयार हो रहा है और भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी भी छठ का प्रसाद बनाने में परिवार की महिला सदस्यों को मदद करने में में लगे हुए हैं.
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लालू प्रसाद यादव के घर नहीं हो रहा छठः इस बार लालू परिवार में छठ का आयोजन नहीं हो रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के परिवार के सदस्य छठ कर रहे हैं. वहीं मंत्रियों और विधयकों के परिवार में भी छठ हो रहा है.पूर्व मंत्री नितिन नवीन के आवास पर भी छठ का आयोजन हो रहा है. विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी के आवास पर भी छठ की तैयारी हो रही है. मुख्यमंत्री की भाभी भी छठ करती हैं और इस बार भी छठ कर रही हैं. मुख्यमंत्री का आवास 7 सर्कुलर रोड में छठ का आयोजन हो रहा है. इस बार मुख्यमंत्री पिछले दिनों हुई दुर्घटना के कारण पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हैं. इसलिए छठ पर्व में बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं हैं. खरना के प्रसाद में भी परिवार के सदस्य और कुछ पार्टी के नेताओं को ही आमंत्रित किया गया था. मुख्यमंत्री अपने बेटे निशांत के साथ खरना का प्रसाद भी लिये.
इस बार घाट का दौरा नहीं कर पाएंगे मुख्यमंत्रीः शाम के अर्घ्य के समय मुख्यमंत्री हर बार गंगा घाटों का नजारा लेने निकलते हैं, लेकिन जो जानकारी मिल रही है अभी तक इस बार मुख्यमंत्री नहीं भी जा सकते हैं. ऐसे छठ को लेकर क्या आम क्या खास सब जगह चहल-पहल है छठी मैया के गीत भी बज रही है. और शाम के अर्घ्य के लिए मंत्री तक महापर्व के प्रसाद तैयार करने और अन्य इंतजाम करने में सुबह से लगे हुए हैं. चारो तरफ छठ पूजा की धूम है. छठ के गीतों से पूरी राजधानी भक्तिमय हो गई है.
इस तरह देते हैं भागवान भास्कर को अर्घ्यः अर्घ्य देने के लिए शाम के समय सूप और बांस की टोकरियों में ठेकुआ, चावल के लड्डू और फल ले जाया जाता है. पूजा के सूप को व्रती बेहतर से बेहतर तरीके से सजाते हैं. कलश में जल एवं दूध भरकर इसी से सूर्यदेव को संध्या अर्घ्य दिया जाता है. इसके साथ ही सूप की सामग्री के साथ भक्त छठी मईया की भी पूजा अर्चना करते हैं. छठ व्रती पूरे परिवार के साथ छठ घाट पर दउरा में प्रसाद लेकर पहुंचते हैं और डूबते सूर्य की उपासना के लिए जल एवं दूध लेकर तालाब, नदी या पोखर में खड़े हो जाते हैं. अस्ताचलगामी सूर्य पूजन के बाद सभी लोग घर लौट आते हैं. वहीं, रात में छठी माई के भजन गाये जाते हैं और व्रत कथा का श्रवण किया जाता है. साथ ही चौथे दिन सुबह में उगते सुर्य को अर्घ्य देने की तैयारी भी की जाती है.
छठ पूजा से यश, धन, वैभव की प्राप्तिः मान्यता के अनुसार संध्या अर्घ्य देने और सूर्य की पूजा अर्चना करने से जीवन में तेज बना रहता है और यश, धन, वैभव की प्राप्ति होती है. शाम को अस्ताचलगामी सूर्यदेव को पहला अर्घ्य दिया जाता है, इसलिए इसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है. इसके पश्चात विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है. संध्या को अर्घ्य देने के लिए छठ व्रती पूरे परिवार के साथ घाटों की ओर रवाना होते हैं. इस दौरान पूरे रास्ते व्रती दंडवत करते जाते हैं. सूर्य देव को अर्घ्य देने से पहले रास्ते भर उन्हें जमीन पर लेटकर व्रती प्रणाम करते हैं. दंडवत करने के दौरान आस-पास मौजूद लोग छठव्रती को स्पर्श कर प्रणाम करते हैं, ताकि उन्हें भी पूण्य की प्राप्ति हो सके.