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आस्था का अनोखा उदाहरण, तीन दिनों तक घर नहीं जाती हैं व्रती, गंगा किनारे रहकर खरना से लेकर अर्घ्य देने की परंपरा

Chhath Puja 2023: चार दिवसीय छठ पूजा 2023 लोक आस्था का महापर्व कहा जाता है. इसमें आस्था की कोई सीमा नहीं है. ऐसा उदाहरण पटना गंगा घाट पर देखने को मिला. कई परिवार ऐसे हैं, जो तीन दिनों तक गंगा किनारे रहकर पूजा पाठ करते हैं. पढ़ें पूरी खबर.

तीन दिनों तक गंगा किनारे होती है छठ मईया की आराधना
तीन दिनों तक गंगा किनारे होती है छठ मईया की आराधना
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 19, 2023, 6:23 AM IST

Updated : Nov 19, 2023, 8:00 AM IST

तीन दिनों तक गंगा किनारे होती है छठ मईया की आराधना

पटनाः बिहार के पटना गंगा घाट पर छठ पूजा की तैयारी पूरी हो चुकी है. शनिवार की शाम खरना का प्रसाद खाने के बाद पहला अर्घ्य की तैयारी शुरू हो गई है. रविवार को बिहार के तमाम घाटों पर सूर्यदेव को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. इसके अगले दिन सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूजा संपन्न होगा. इस बार आस्था का ऐसा उदाहरण बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद ही कभी सुनने को मिला होगा.

तीन दिनों तक गंगा किनारे छठी मईया की पूजाः हम बात कर रहे हैं पटना छठ घाट की. यहां दूर-दूर से छठ व्रती आकर सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं. नहाय खाय से पर्व की शुरुआत होती है. खरना से लेकर तीन दिनों तक व्रती गंगा किनारे ही रहकर छठी मईया की आराधना करती हैं. इसमें परिवार के अन्य लोग भी शामिल होते हैं. घाट किनारे ही तंबू लगाकर व्रती और परिवार के अन्य सदस्य रहते हैं. परना के बाद सभी लोग घर जाते हैं.

गंगा किनारे छठ व्रत करने पहुंचे लोग
गंगा किनारे छठ व्रत करने पहुंचे लोग

'पोता-पोती की मन्नत पूरी की छठी मईया': मसौढ़ी से आई छठ व्रती प्रमिला देवी बताती हैं कि छठी मईया से पोता-पोती की मन्नत मानी थी. पूरा होने के बाद हर साल गंगा घाट किनारे आकार पूरे परिवार के साथ छठ करती हैं. जहानाबाद से आई महिला रामरती देवी बताती है कि "पिछले 5 साल से गंगा किनारे रहकर छठ व्रत करती है. छठी मईया दुख-दर्द हरती है, इसलिए हमलोग तीन दिनों तक यहीं रहकर छठ पूजा करते हैं."

"पोता-पोती के लिए मन्नत माने थे, जो पूरा हुआ. इसलिए हमलोग तीन दिनों तक गंगा किनारे रहकर पूजा करते हैं. यहीं खरना और अर्घ्य के लिए प्रसाद बनाया जाता है. परना के दिन पूजा संपन्न होने के बाद सभी लोग घर जाते हैं." -प्रमिला देवी, व्रती

गंगा किनारे खरना का प्रसाद बनातीं व्रती
गंगा किनारे खरना का प्रसाद बनातीं व्रती

वर्षों से गंगा किनारे छठी मईया की आराधनाः जहानाबाद से ही आई व्रती रानी देवी का कहना है कि "छठी मईया से जो मन्नत मांगते हैं, वह पूरा होता है. कई मन्नते पूरी हुई है. इसलिए वर्षों से गंगा किनारे रहकर छठ व्रत करती हैं. इसी जगह खरना का प्रसाद बनता है. इसके बाद अगले दिन अर्घ्य के लिए भी यहीं प्रसाद बनता है. परना के दिन पूजा संपन्न होने के बाद घर के लिए प्रस्थान करती हैं." इस तरह आस्था का अनोखा उदाहरण छठी मईया की महिला को दर्शाता है.

इसे भी पढ़ेंः दुल्हन की तरह सजकर तैयार हुआ पटना का गंगा घाट, व्रतियों के लिए की गई है शानदार व्यवस्था

इसे भी पढ़ेंः जानें क्यों बंद कमरे में व्रती करते हैं खरना, क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

इसे भी पढ़ेंः Chhath Puja 2023 : कौन कहता है छठ सिर्फ हिन्दुओं का पर्व है, मुस्लिम महिलाओं की आस्था और समर्पण देख आप भी हो जाएंगे मुग्ध

इसे भी पढ़ेंः Chhath Puja 2023 : छठ पूजा की सामग्रियों में एक है अरता पात, जानिए क्यों इसका निर्माण धार्मिक सद्भावना की मिसाल मानी जाती है

इसे भी पढ़ेंः छठ की बहुत याद आ रही है, 'आना चाहते हैं बिहार लेकिन मजबूरी ने हमें रोक रखा

तीन दिनों तक गंगा किनारे होती है छठ मईया की आराधना

पटनाः बिहार के पटना गंगा घाट पर छठ पूजा की तैयारी पूरी हो चुकी है. शनिवार की शाम खरना का प्रसाद खाने के बाद पहला अर्घ्य की तैयारी शुरू हो गई है. रविवार को बिहार के तमाम घाटों पर सूर्यदेव को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. इसके अगले दिन सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूजा संपन्न होगा. इस बार आस्था का ऐसा उदाहरण बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद ही कभी सुनने को मिला होगा.

तीन दिनों तक गंगा किनारे छठी मईया की पूजाः हम बात कर रहे हैं पटना छठ घाट की. यहां दूर-दूर से छठ व्रती आकर सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं. नहाय खाय से पर्व की शुरुआत होती है. खरना से लेकर तीन दिनों तक व्रती गंगा किनारे ही रहकर छठी मईया की आराधना करती हैं. इसमें परिवार के अन्य लोग भी शामिल होते हैं. घाट किनारे ही तंबू लगाकर व्रती और परिवार के अन्य सदस्य रहते हैं. परना के बाद सभी लोग घर जाते हैं.

गंगा किनारे छठ व्रत करने पहुंचे लोग
गंगा किनारे छठ व्रत करने पहुंचे लोग

'पोता-पोती की मन्नत पूरी की छठी मईया': मसौढ़ी से आई छठ व्रती प्रमिला देवी बताती हैं कि छठी मईया से पोता-पोती की मन्नत मानी थी. पूरा होने के बाद हर साल गंगा घाट किनारे आकार पूरे परिवार के साथ छठ करती हैं. जहानाबाद से आई महिला रामरती देवी बताती है कि "पिछले 5 साल से गंगा किनारे रहकर छठ व्रत करती है. छठी मईया दुख-दर्द हरती है, इसलिए हमलोग तीन दिनों तक यहीं रहकर छठ पूजा करते हैं."

"पोता-पोती के लिए मन्नत माने थे, जो पूरा हुआ. इसलिए हमलोग तीन दिनों तक गंगा किनारे रहकर पूजा करते हैं. यहीं खरना और अर्घ्य के लिए प्रसाद बनाया जाता है. परना के दिन पूजा संपन्न होने के बाद सभी लोग घर जाते हैं." -प्रमिला देवी, व्रती

गंगा किनारे खरना का प्रसाद बनातीं व्रती
गंगा किनारे खरना का प्रसाद बनातीं व्रती

वर्षों से गंगा किनारे छठी मईया की आराधनाः जहानाबाद से ही आई व्रती रानी देवी का कहना है कि "छठी मईया से जो मन्नत मांगते हैं, वह पूरा होता है. कई मन्नते पूरी हुई है. इसलिए वर्षों से गंगा किनारे रहकर छठ व्रत करती हैं. इसी जगह खरना का प्रसाद बनता है. इसके बाद अगले दिन अर्घ्य के लिए भी यहीं प्रसाद बनता है. परना के दिन पूजा संपन्न होने के बाद घर के लिए प्रस्थान करती हैं." इस तरह आस्था का अनोखा उदाहरण छठी मईया की महिला को दर्शाता है.

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Last Updated : Nov 19, 2023, 8:00 AM IST
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