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भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हुआ लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा

राजधानी के विभन्न घाटों पर छठ व्रतियों ने उदयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया. साथ ही रविवार की सुबह लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया.

chatth puja in bihar
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Published : Nov 3, 2019, 6:43 AM IST

पटना: राजधानी में स्थित गंगा तटों, तालाबों और घर-अपार्टमेंट की छतों पर लाखों व्रतियों ने उदयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया. वहीं, रविवार की सुबह लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया.

भक्तिमय हुआ शहर
शनिवार की शाम राजधानी पटना के गंगा घाटों पर भगवान भाष्कर को पहला अर्घ्य देने के लिए लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. एनआईटी गांधी घाट, कालीघाट, दीघा, पाटीपुल, कलेक्ट्री घाट, कुर्जी, बांसघाटों पर छठ व्रतियों और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रही. पारंपरिक छठ गीतों ...मारबउ रे सुगवा धनुष से ...कांच की बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए से पूरा शहर और सूबा भक्तिमय हो गया है. धार्मिक मान्यता है कि छठ महापर्व में नहाए-खाए से पारण तक व्रतियों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है.

bihar
उदयमान सूर्य को अर्घ्य

उदयमान सूर्य को अर्घ्य किया अर्पित
पारिवारिक और शारीरिक सुख-शांति के लिए मनाये जाने वाले इस महापर्व के चौथे दिन रविवार को व्रतधारी फिर नदियों और तालाबों में खड़े होकर उदयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य अर्पित किया. दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद 36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त हो गया.

36 घंटे का निर्जल व्रत
बता दें कि चार दिवसीय यह महापर्व नहाय खाय से शुरू होता और उस दिन श्रद्धालु नदियों और तलाबों में स्नान करने के बाद अरवा भोजन ग्रहण करते है. इस महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु दिन भर बिना जलग्रहण किये उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर खरना पूजा करते हैं और उसके बाद एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खाते हैं. इसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निर्जल व्रत शुरू होता है. जो कि उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त हो जाता है.

पटना: राजधानी में स्थित गंगा तटों, तालाबों और घर-अपार्टमेंट की छतों पर लाखों व्रतियों ने उदयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया. वहीं, रविवार की सुबह लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया.

भक्तिमय हुआ शहर
शनिवार की शाम राजधानी पटना के गंगा घाटों पर भगवान भाष्कर को पहला अर्घ्य देने के लिए लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. एनआईटी गांधी घाट, कालीघाट, दीघा, पाटीपुल, कलेक्ट्री घाट, कुर्जी, बांसघाटों पर छठ व्रतियों और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रही. पारंपरिक छठ गीतों ...मारबउ रे सुगवा धनुष से ...कांच की बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए से पूरा शहर और सूबा भक्तिमय हो गया है. धार्मिक मान्यता है कि छठ महापर्व में नहाए-खाए से पारण तक व्रतियों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है.

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उदयमान सूर्य को अर्घ्य

उदयमान सूर्य को अर्घ्य किया अर्पित
पारिवारिक और शारीरिक सुख-शांति के लिए मनाये जाने वाले इस महापर्व के चौथे दिन रविवार को व्रतधारी फिर नदियों और तालाबों में खड़े होकर उदयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य अर्पित किया. दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद 36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त हो गया.

36 घंटे का निर्जल व्रत
बता दें कि चार दिवसीय यह महापर्व नहाय खाय से शुरू होता और उस दिन श्रद्धालु नदियों और तलाबों में स्नान करने के बाद अरवा भोजन ग्रहण करते है. इस महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु दिन भर बिना जलग्रहण किये उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर खरना पूजा करते हैं और उसके बाद एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खाते हैं. इसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निर्जल व्रत शुरू होता है. जो कि उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त हो जाता है.

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